-हारे को हरि नाम …एलजी को हटाने की मांग
-बैठक में उठा दिल्ली में चली सीलिंग का मुद्दा
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
‘पछताए का होत है जब चिड़िया चुग गई खेत‘, कुछ इसी तरह का माहौल दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हारे हुए नेताओं की बैठक में रहा। बैठक में हार की ठीकरा पूर्वांचल और निगम पार्षदों के सिर पर फूटा। होली से पूर्व प्रदेश बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में हारे हुए प्रत्याशियों की बैठक बुलाई थी। खास बात यह रही कि पार्टी के हारे हुए सिपहसालारों में से ज्यादातर ने प्रदेश संगठन की नाकामियों की ओर ही इशारा किया।
बैठक में प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर, प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू, प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी और प्रदेश संगठन महामंत्री सिद्धार्थन शामिल हुए। बैठक की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर बैठक शुरू होने के 15 मिनट में ही निकल गए।
बता दें कि दिल्न्ली विधानसभा की 70 में से 62 सीट पर आम अदमी पार्टी ने जीत हासिल की है। पार्टी द्वारा बुलाए गए 62 उम्मीदवारों में से केवल 52 लोग ही इस बैठक में पहुंचे। कुछ लोगों ने तो मुंह से कहने के बजाय मंच पर बैठे नेताओं को अपनी बात कागज पर लिखकर लिफाफे थमा दिए।
चुनाव हारने वाले कई नेताओं ने कहा कि विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के लोगों ने वोट नहीं दिया। जबकि पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष की सिफारिश पर करीब एक दर्जन पूर्वांचली लोगों को चुनाव मैदान में उतारा था। इस पर रिठाला से चुनाव लड़कर भारी मतों से हारे मनीष चौधरी ने हालांकि इस पर आपत्ति जताई। लेकिन दूसरे लोगों ने फिर इस बात को उठाया। बता दें कि मनीष चौधरी निगम पार्षद हैं और प्रदेश नेतृत्व की सिफारिश पर ही उन्हें टिकट दिया गया था। लेकिन वह जिस वार्ड से निगम पार्षद हैं, उसी वार्ड से सबसे ज्यादा वोट से हारे हैं।
चुनाव हारे कई उम्मीदवारों ने अपनी हार का ठीकरा निगम पार्षदों के सिर पर फोड़ा। पार्टी नेताओं ने कहा कि निगम पार्षद अपने इलाकों में कुछ नहहीं कर रहे हैं, जिसकी वजह से पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है। कई नेताओं ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि लोग अपने मकानों में छोटा-मोटा काम भी कराते हैं तो पार्षद के लोग उगाही के लिए उनके यहां पहुंच जाते हैं। चुनाव हारे कई लोगों ने अपनी हार के लिए केवल प्रदेश संगठन की ओर से चुनाव घोषणा पत्र देरी से जारी होने जैसी बातें कहीं या फिर चुप रहे।
उपराज्यपाल रहे नाकाम!
मध्य दिल्ली की एक विधानसभा सीट से लगातार दोबारा चुनाव हारे एक बीजेपी के पूर्व विधायक ने हार के लिए सीलिंग को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में सीलिंग चलती रही। लाखों प्रापर्टी सील की गईंर्। लेकिन प्रदेश बीजेपी की ओर से इस मामले में केवल हवा में तीर छोड़े जाते रहे। उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल को भी इसके लिए जिम्मेदार बताया और कहा कि उन्हें तुरंत हटाया जाना चाहिए। जब कुछ लोगों ने उपराज्यपाल का बचाव किया तो नेताजी ने कहा कि ‘‘आपको कुछ पता नहीं है’। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल सीलिंग के खिलाफ लिए गए निर्णयों के मामलों में समय रहते अधिसूचना भी जारी नहीं करा सके।
बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी पर उठे सवाल!
बीजेपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हारे हुए ज्यादातर उम्मीदवारों ने इसलिए भी तीखे तेवर नहीं अपनाए, क्योंकि बैठक में कोई बड़ा नेता मौजूद ही नहीं था। जिन लोगों ने अपनी मनमानी के साथ टिकट बंटवारा किया, जिन लोगों ने चुनाव लड़ने वालों को प्रदेश की ओर से कोई खास सहयोग नहीं दिया। वही लोग हार के कारणों की समीक्षा करने बैठे थे। ऐसे में हार के कारणों के पीछे की बड़ी बातें रखने को कोई मतलब ही नहीं था। क्योंकि जिन लोगों के नाकाम नेतृत्व की वजह से पार्टी बुरी तरह से हारी, वही लोग हारे हुए लोगों से जानकारी ले रहे थे।