6 घंटे बहस… वोटिंग के बाद ट्रिपल तलाक का ‘दि एंड’

-राज्यसभा ने दी तीन तलाक के खिलाफ विधेयक को मंजूरी
-राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही बिल बन जाएगा कानून
-कई मुस्लिम नेताओें को ट्रिपल तलाक विरोधी कानून नहीं आ रहा रास

टीम एटूजैड/नई दिल्ली
तीन तलाक के खिलाफ बिल को लेकर संसद में ऐतिहासिक फैसला लिया गया। लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी तीन तलाक विरोधी बिल को मंजूरी दे दी। बिल के पक्ष में 99 और विपक्ष में 84 वोट पड़े। अब इस बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। इससे पहले राज्यसभा में तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव वोटिंग के बाद गिर गया। प्रस्ताव के पक्ष में 84 और विपक्ष में 100 वोट पड़े थे। बिल का विरोध करने वाली कई पार्टियां वोटिंग के दौरान राज्यसभा से वॉकआउट कर गई थीं। इस बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान शामिल है।
मुस्लिम समाज में जारी तीन तलाक बिल पर रोक लगने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसकी कड़ी निंदा की है। बोर्ड ने ट्वीट किया है कि हम कांग्रेस, जनता दल यूनाइटेड, मायावती की बहुजन समाज पार्टी, एआईएडीएमके, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), वाईएसआरकांग्रेस पार्टी की कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राजनीतिक एजेंडे को अपना समर्थन दिया और राज्यसभा में वोटिंग के समय वॉकआउट कर गए। इन राजनीतिक दलों ने अपना असली रंग दिखा दिया है।
लाल हुआ ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड
ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने संसद में तीन तलाक विरोधी बिल पास होने को भारतीय लोकतंत्र का काला दिन करार दिया। बोर्ड ने कहा है कि निश्चित तौर पर भारतीय मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक बिल के खिलाफ हैं। मोदी सरकार की अगुवाई में दोनों सदनों में यह बिल पास करा दिया गया है। हम लाखों मुस्लिम महिलाओं की ओर से इसकी निंदा करते हैं।
नहीं है ऐतिहासिक फैसलाः ओवैसी
एआईएमआईएम के मुखिया और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी सवाल खड़े किए हैं। ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक बिल पास होना कोई ऐतिहासिक फैसला नहीं है। यह बिल मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है और ये उनके साथ नाइंसाफी है। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक गुनाह है। लेकिन जो बिल पास हुआ है, उससे मुस्लिम महिलाओं की परेशानी बढ़ जाएगी। यह कानून एक क्लास ऑफ ग्रुप के लिए बनाया गया ह।. ये कानून सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिकने वाला।

ट्रिपल तलाक पर भिड़े उमर और महबूबा
राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास होने के बाद जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि ‘तीन तलाक बिल को पास कराने की जरूरत को समझ नहीं पा रही हू, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही इसे अवैध करार दे चुका था। मुस्लिम समुदाय को दंडित करने के लिए यह अनावश्यक का हस्तक्षेप है।’
महबूबा मुफ्ती के इस ट्वीट को शेयर करते हुए नेशनल कांफेंस के नेता उमर अब्दुल्ला महबूबा पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया कि ’महबूबा मुफ्ती जी, आपको यह चेक करना चाहिए था कि इस ट्वीट से पहले आपके सदस्यों ने कैसे वोट किया? मुझे लगता है कि उन्होंने सदन में अनुपस्थित रहकर सरकार की मदद की, क्योंकि बिल पास कराने के लिए उन्हें सदन में नंबर चाहिए थे।’
उमर की इस टिप्पणी पर महबूबा भड़क गईं, उन्होंने पलटवार करने में देर नहीं लगाई और ट्वीट किया कि ‘उमर साहब आपको यह शोभा नहीं देता, क्योंकि आपकी अपनी ही पार्टी थी, जिसने 1999 में बीजेपी के खिलाफ मतदान करने के लिए सोज साहब को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।’
बता दें कि इससे पहले पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि उनकी पार्टी तीन तलाक विधेयक पर केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार का राज्यसभा में समर्थन नहीं करेगी। पीडीपी सांसद राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक का विरोध करेंगे। लेकिन जब राज्यसभा में तीन तलाक बिल पर वोटिंग शुरू हुई तो पीडीपी सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।