–केंद्र सरकार ने वापस लिया लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरा वेतन देने का आदेश
–मोदी सरकार ने कंपनियों और संस्थानों के रहमोकरम पर छोड़े निजी क्षेत्र के करोड़ों वेतनभोगी
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
निजी क्षेत्र की कंपनियों, औद्योगिक इकाइयों व दूसरे संस्थानों में काम करने वाले करोड़ों लोगों को अब लॉकडाउन के दौरान का वेतन नहीं मिलेगा! केंद्र की मोदी सरकार ने लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरा वेतन देने का अपना पुराना आदेश वापस ले लिया है। अब यदि कोई कंपनी बंद रहती है और कर्मचारियों से काम नहीं लेती है तो उस कंपनी की मर्जी पर होगा कि वह आगे अपने संस्थान को बंद रखने पर वेतन देना चाहते हैं या नहीं।
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हालांकि यह आदेश 18 मई से लागू माना जाएगा, लेकिन मई के 17 दिनों का वेतन भी अब मालिकों की मर्जी पर ही तय होगा। मोदी सरकार के यूटर्न और स्थिति स्पष्ट नहीं करने के बाद कर्मचारियों और नियोक्ताओं के बीच झगड़े बढ़ सकते हैं। यदि किसी नियोक्ता ने 25 मई के बाद से किसी कर्मचारी को वेतन नहीं दिया है तो लॉकडाउन की पूरी अवधि का वेतन ही अब नियोक्ता की मर्जी पर तय होगा। बताया जा रहा है कि इस कदम से कंपनियों और उद्योग जगत को राहत मिलेगी।
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केंद्रीय गृह सचिव ने लॉकडाउन लगाये जाने के कुछ ही दिन बाद 29 मार्च को जारी दिशानिर्देशों में सभी कंपनियों व अन्य नियोक्ताओं को कहा था कि वह प्रतिष्ठान बंद रहने की स्थिति में भी महीना पूरा होने पर सभी कर्मचारियों को बिना किसी कटौती के पूरा वेतन दें। बता दें कि सरकार की ओर से लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों की छंटनी नहीं किए जाने का आदेश भी जारी किया गया था। लेकिन बहुत सी कंपनियों ने आर्थिक परेशानी से बचने के लिए कर्मियों को लॉकडाउन के दौरान काम से निकाल दिया है।
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गृह सचिव अजय भल्ला ने लॉकडाउन के चौथे चरण को लेकर रविवार को नये दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनमें कहा गया है कि जहां तक इस आदेश के तहत जारी परिशिष्ट में कोई दूसरा प्रावधान नहीं किया गया हो वहां आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 10(2)(1) के तहत राष्ट्रीय कार्यकारी समिति द्वारा जारी आदेश 18 मई 2020 से अमल में नहीं माने जाएं।
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नई गाइडलांइस में 29 मार्च का आदेश नहीं
रविवार 17 मई को जारी दिशानिर्देशों में छह प्रकार के मानक परिचालन प्रोटोकॉल का जिक्र किया गया है। इनमें से ज्यादातर लोगों की आवाजाही से संबंधित हैं। इसमें गृह सचिव द्वारा 29 मार्च को जारी आदेश शामिल नहीं है। इस आदेश में सभी नियोक्ताओं को निर्देश दिया गया था कि किसी भी कटौती के बिना नियत तिथि पर श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान करें। भले ही लॉकडाउन की अवधि के दौरान उनकी वाणिज्यिक इकाई बंद हो।