-जा सकता है उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री पद
-कोरोना के चलते टला विधान परिषद का चुनाव
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
कोरोना संकट के चलते उद्धव ठाकरे की महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी खतरे में पड़ गई है। समय रहते वह विधानसभा या विधान परिषद सदस्य नहीं बने तो राज्य में संवैधानिक संकट खुड़ा हो सकता है। कारण है कि कोरोना के चलते राज्य में विधान परिषद का चुनाव नहीं हो पा रहा है। जबकि उद्धव ठाकरे फिलहाल राज्य में किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं।
दरअसल मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अभी किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। आने वाली 28 मई को मुख्यमंत्री का पद संभाले उन्हें छह महीने पूरे हो जाएंगे। यदि तब तक वह किसी सदन के सदस्य नहीं चुने जाते हैं तो उन्हें अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। ठाकरे पहले विधान परिषद के लिए चुने जाने की उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन कोरोना की वजह से राज्य में विधान परिषद का चुनाव खटाई में पड़ गया है।
हालांकि मंत्रिमंडल ने उद्धव ठाकरे को राज्यपाल के कोटे से विधान परिषद का सदस्य (एमएलसी) बनाने की
अब कैबिनेट ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से उद्धव की कुर्सी बचाने के लिए उनको राज्यपाल कोटे से एमएलसी बनाने की सिफारिश की है। लेकिन इस मामले में एक एक पेंच फंसा हुआ है। क्योंकि राज्यपाल अपने कोटे से परंपारा के अनुसार केवल गैर राजनीतिक व्यक्ति को ही विधान परिषद का सदस्य बना सकते हैं। ऐसी स्थिति में गेंद अब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पाले में आ गई है।
कोरोना वायरस के खतरे और लॉकडाउन के चलते तीन दिन पहले ही महाराष्ट्र में एमएलसी का चुनाव टाला गया है। इसके बाद से ही उद्धव ठाकरे की मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर संकट आ गया है। महाराष्ट्र सरकार की सिफारिश के बाद अब राज्यपाल को यह फैसला लेना है कि वह उन्हें गैर राजनीतिक कोटे से विधान परिषद में भेजते हैं कि नहीं।
जरूरी है 6 माह के अंदर किसी सदन की सदस्यता
उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। संविधान की धारा 164 (4) के अनुसार उन्हें 6 महीने के अंदर राज्य के किसी सदन का सदस्य होना आवश्यक है। ऐसे में उद्धव ठाकरे को अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाए रखने के लिए 28 मई से पहले विधानमंडल का सदस्य बनना है जरूरी है। खास बात है कि अब कोई विधानसभा की सीट खाली करवाकर चुनाव लड़कर विधानसभा में आने का समय भी नहीं रहा है।
खाली हैं दो गैर राजनीतिक कोटे की सीट
महाराष्ट्र में विधान मंडल की राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाने वाले लोगों के लिए विधान परिषद की दो सीटें खाली हैं। इन्हीं में से एक सीट पर कैबिनेट ने उद्धव ठाकरे को नामित करने की सिफारिश राज्यपाल से की है। यदि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी सहमत हो जाते हैं तो उद्धव की कुर्सी बच जाएगी।
लेकिन विशेषज्ञों की अलग राय
इस मामले में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है कि राज्यपाल द्वारा मनोनीत होने वाले एमएलसी सदस्यों के नामों की सिफारिश राज्य सरकार ही करती है। हालांकि राज्यपालों का यह आग्रह रहता है कि राज्य सरकार केवल ऐसे नामों की सिफारिश करे जो गैर राजनीतिक हों। राज्यपाल इस कोटे से खेल, कला, विज्ञान, शिक्षा, साहित्य आदि के क्षेत्र से किसी को मनोनीत कर कर सकते हैं। हालांकि यह राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करेगा कि वह सरकार का अनुरोध मानें या फिर नहीं मानें।
अखिलेश को भी नहीं मिली थी मंजूरी
ऐसा ही एक मामला साल 2015 में उत्तर प्रदेश में आया था। तत्कालीन अखिलेश सरकार ने राज्यपाल कोटे से एमएलसी के लिए 9 उम्मीदवारों के नाम की सिफारिश की थी। लेकिन उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल रामनाइक ने चार नामों श्रीराम सिंह यादव, लीलावती कुशवाहा, रामवृक्ष सिंह यादव व जितेंद्र यादव का अनुमोदन कर बाकी पांच कमलेश कुमार पाठक, संजय सेठ, रणविजय सिंह, अब्दुल सरफराज खां और डॉ. राजपाल कश्यप के नामों को वापस भेज दिया था।
गैर राजनीतिक क्षेत्र का अनुभव नहीं
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने अखिलेष सरकार को पांच नाम वापस भेजते हुए कहा था कि इनमें से कई लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले थे। वह संविधान के अनुच्छेद 171 (5) के तहत 5 क्षेत्रों साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन और समाज सेवा में से किसी भी क्षेत्र में विशेष ज्ञान अथवा व्यावहारिक अनुभव नहीं रखते हैं। इस कारण उन्हें विधान परिषद का सदस्य नामित नहीं किया जा सकता। इसके पश्चात अखिलेश सरकार को अलग से उनकी जगह शायर जहीर हसन ’वसीम बरेलवी’, बलवंत सिंह रामूवालिया व मधुकर जेटली जैसे नाम भेजने पड़े थे।
फोटोग्राफी से होगा बेड़ा पार!
कला के क्षेत्र की बात की जाए तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे फोटोग्राफी के शौकीन रहे हैं। वाइल्ड लाइफ और नेचर फोटोग्राफी उनके पसंदीदा विषय रहे हैं। खास बात यह है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वह अपने मोबाइल फोन से कई बार फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डाल चुके हैं। मुंबई की जहांगीर आर्ट गैलरी में अक्सर उद्धव ठाकरे की फोटो प्रदर्शनी लगती रही है। प्रदर्शनी से होने वाली आय वह किसानों और जरूरतमंदों को दान करते हैं। उद्धव अपनी फोटोग्राफी के संकलन को ’महाराष्ट्र देशा’ नाम की एक किताब के रूप में भी पेश कर चुके हैं। विधान मंडल सदस्य चुने जाने के लिए उद्धव अपनी इसी कला का सहारा ले सकते हैं। क्योंकि उनकी किताब महाराष्ट्र की ऐतिहासिक धरोहरों की तस्वीरों का संकलन है। अगर गवर्नर कला क्षेत्र से किसी नाम का आग्रह करते हैं तो उद्धव की दावेदारी पेश की जा सकती है।