संजीव अरोड़ा/नई दिल्ली
इस बार जब नई संसद या सरकार का गठन होगा तो संसद भवन में कोई किन्नर या ट्रांसजेंडर अपनी मुस्कान बिखेरता दिखाई दे सकता है। आपको बता दें कि इस बार करीब आधा दर्जन लोकसभा सीटों पर ट्रांसजेंडर चुनावी ताल ठोंक रहे हैं। इनमें से कई तो मान्यता प्राप्त दलों के टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यह साबित करना चाहते हैं कि प्रतिभा के लिए कोई लिंग, भाषा, रंग, देश जरूरी नहीं होता।
यही कारण है कि इस बार केवल ट्रांसजेंडर्स केवल वोट ही नहीं डालेंगे बल्कि अपने लिए वोट भी मांग रहे हैं। यह पहला मौका है जब लोकसभा चुनाव के लिए ट्रांसजेंडर उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। बता दें कि आम आदमी पार्टी ने इलाहाबाद सीट से भवानी नाथ बाल्मीकि उर्फ मां भवानी को टिकट देकर राजनीतिक दलों की सूची में तीसरे लिंगी उम्मीदवार का प्रवेश कराया है। मां भवानी तब चर्चा में आई थीं जब इस बार के कुंभ मेले में पहली बार किन्नर अखाड़ा पहुंचा था। उनके सामने भाजपा उम्मीदवार के रूप में रीटा बहुगुणा जोशी हैं।
वहीं मुंबई नॉर्थ सेंट्रल लोकसभा सीट से ट्रांसजेंडर स्नेहा काले ने लोकसभा चुनाव के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकर भरा। उनके सामने भारतीय जनता पार्टी की मौजूदा सांसद और प्रमोद महाजन की पुत्री पूनम महाजन और कांग्रेस की उम्मीदवार और संजय दत्त की बहन प्रिया दत्त हैं। स्नेहा काले का कहना है कि उनके ऊपर सरकार कोई ध्यान नहीं देती। यही वजह है कि समाज के लोगों की लड़ाई लड़ने के लिए वह राजनीति में आई हैं। तमिलनाडु के मदुरै लोकसभा सीट से ट्रांसजेंडर भारती कन्नम्मा चुनाव मैदान में हैं। निर्दलीय बतौर लोकसभा चुनाव लड़ रही भारती कन्नम्मा 2016 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं।
तमिलनाडु की ही दूसरी सीट चेन्नई दक्षिण लोकसभा सीट से एम राधा चुनावी मैदान में ताल ठोंक रही हैं। अंग्रेजी में पोस्ट ग्रेजुएट एम राधा लोगों के घर पर जाकर वोट मांग रही हैं। उन्होंने मदुरै में जल संकट के साथ कूड़ा प्रबंधन और सीवर व्यवस्था को ठीक करने का मुद्दा उठाया है।
शबनम मौसी से हुई थी शुरूआत
लोकसभा चुनाव में भले ही इस साल पहली बार ट्रांसजेंडर्स या किन्नरों का प्रवेश हो रहा हो, लेकिन विधानसभा चुनाव में इस जेंडर का प्रवेश 1998 में ही हो गया था। 1998 में शबनम मौसी पहली बार ट्रांसजेंडर प्रत्याशी के रूप में पहली बार विधायक बनकर मध्य प्रदेश विधानसभा में पहुंची थीं। उन्होंने एमपी के सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। बता दें कि आशा देवी पहली ट्रांसजेंडर मेयर रही हैं। वह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की महापौर रही हैं। हालांकि उनके बाद छत्तीसगढ़ की मधुबाई भी मेयर रही हैं।
अप्सरा हैं कांग्रेस की प्रवक्ता
ट्रांसजेंडर्स को अब बड़े राजनीतिक दलों ने महत्व देना शुरू किया है। इसी साल जनवरी महीनेमें कांग्रेस ने ट्रांसजेंडर अप्सरा रेड्डी को अपना राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया था। अप्सरा किसी भी राष्ट्रीय दल की पहली ट्रांसजेंडर राष्ट्रीय पदाधिकारी हैं। पेशे से पत्रकार रहीं अप्सरा इससे पहले भारतीय जनता पार्टी और एआईएडीएमके के लिए भी काम कर चुकी हैं। लड़के के रूप में जन्मी अप्सरा का शुरूआती नाम अजय है। वह विदेश में पढ़ी हैं और उन्होंने कई राष्ट्राध्यक्षों व बड़ी हस्तियों के इंटरव्यू किए हैं।
चुनाव आयोग के ब्रांड एम्बेसडरः
अब राजनीतिक दल ही नहीं चुनाव आयोग ने भी ट्रांसजेंडर्स यानी किन्नरों को महत्व दिया है। निर्वाचन आयोग ने तृतीय लिंगी श्रेणी की महाराष्ट्र की गौरी सावंत और मणिपुर की मॉडल विशेष हुयरेम को अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया है। विशेष मणिपुर की ट्रांसजेंडर मॉडल हैं और उन्होंने थाईलैंड में हुई मिस इंटरनेशनल क्वीन प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। दूसरी ओर महाराष्ट्र की गौरी सावंत सामाजिक कुरीतियों को लेकर आंदोलन चला रही हैं।