जमातियों ने फिर की गुंडागर्दी… कानपुर मेडिकल कॉलेज का मामला

-आसोलेशन वार्ड में खाना फेंका, वार्ड ब्वॉय को मारने के लिए दौड़ाया
-आला अधिकारियों से जमातियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
पूरा देश कोरोना संकट से जूझ रहा है। लेकिन जमातियों की गुंडागर्दी कम होने का नाम नहीं ले रही है। अलग अलग क्वारंटाइन सेंटर्स में जमाती डॉक्टर्स, नर्सों और मेडिकल सटाफ के साथ बदसलूकी कर रहे हैं। ताजा मामला कानपुर मेडिकल कॉलेज से सामने आया है। मांसाहारी खाने की मांग को लेकर जमातियों ने अस्पतालकर्मियों के साथ गुंडागर्दी की।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक कानपुर मेडिकल कॉलेज में भारी संख्या में जमातियों को आइसोलेशन में रखा गया है। रविवार को कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में आइसोलेशन में रखे गए तबलीगियों ने खाना देने आए वार्ड व्वॉय पर हमला कर दिया। अस्पताल प्रशासन की ओर से पुलिस के आला अधिकारियों और डीएम को दी गई शिकायत के मुताबिक जमाती अपने लिए मांसाहरी खाने की मांग कर रहे थे।
तबलीगी जमातियों ने पहले वार्ड व्वॉय से मांसाहारी खाने की मांग और यह कहते हुए उसके पीछे मारने के लिए भागे कि वह रोजाना दाल रोटी नहीं खा सकते। उसके साथ गाली-गलौज करने लगे तो वार्ड ब्वॉय ने किसी तरह वहां से भागकर अपनी जान बचाई। पिछले हफ्ते ही जमातियों ने दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में भी इसी तरह की स्वास्थ्यकर्मियों के साथ बदतमीजी की है।
मेडिकल कॉलेज में पहले भी दुर्व्यवहार कर चुके जमाती
तबलीगी जमाती इससे पहले भी गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के क्वारैंटाइन वार्ड में मेडिकल व पैरामेडिकल स्टॉफ के साथ बदसलूकी कर चुके हैं। 3 अप्रैल को भी तमातियों ने अस्पताल में थूक-थूककर गंदगी फैलाई थी। तब भी कॉलेज की प्राचार्या डॉ. आरती लाल चंदानी ने इस मामले पर नाराजगी जाहिर की थी। तब भी उन्होंने मेडिकल स्टाफ के साथ बात-बात पर बहस कर माहौल खराब किया था और क्वारंटाइन वार्ड में थूक-थूककर गंदगी फैलाई थी।
मुश्किल समय बिता रहे डॉक्टर्स
कानपुर मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर डॉ. आरती लाल चंदानी ने बताया कि डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ कठिन परिस्थितियों में मरीजों की सेवा कर रहे हैं। यह बहुत ही कठिन काम होता है। सुरक्षा सूट 6 घंटे से ज्यादा पहना नहीं जाता। इसके बाद भी यह रोटेशन से ड्यूटी कर रजू हैं। उन्हें एक अलग कमरे में रहना पड़ता है। वह अपने परिवारों से भी नहीं मिल पा रहे हैं। 21 दिन बाद इनकी ड्यूटी बदली जाती है। जिनकी सेवा में हमारे डॉक्टर लगे हैं, वह अच्छा बर्ताव नहीं कर रहे हैं। इससे बहुत दुख हो रहा है।