‘मजहबी वायरस’ के अड्डे में उड़ती रहीं संविधान की धज्जियां!

-लॉकडाउन के दौरान देशद्राह के लिए उकसा रहा था मौलाना!
-दागदार है तबलीकी जमात का इतिहास, चल चुके लाठी-डंडे

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
राजधानी के निजामुद्दीन इलाके में चल रहा तबलीगी जमात लॉकडाउन से पहले और लॉकडाउन के दौरान भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाता रहा। तबलीगी जमात का मुख्यालय ‘मजहबी वायरस’ का अड्डा बन गया था। जमात का प्रमुख मौलाना साद लोगों को सारे नियम-कायदों को तोड़कर मस्जिदों में आने के लिए उकसा रहा था। यह सनसनीखेज खुलासा खुद मौलाना के एक ऑडियो टेप से हुआ है। यह ऑडियो टेप अब सोशल मीडिया पर आ चुका है। मौलाना के ‘मजहबी वायरस’ जमात में शामिल होने के बाद देशभर में ऐसे फैले कि करीब 22 राज्यों में संकट की घड़ी आ गई है। 16 शहरों के करीब 10 हजार लोग कोरोना वायरस की चपेट में हैं।
लॉकडाउन के बावजूद दिल्ली के निज़ामुद्दीन इलाके के तबलीगी जमात के मरकज में 2300 से ज्यादा लोग इकट्ठे थे। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने से जमात की सामाजिक जिम्मेदारी कठघरे में खड़ी हो गई है। दिल्ली पुलिस ने फिलहाल तबलीगी जमात के मौलाना साद और अन्य लोगों के खिलाफ महामारी कानून 1897 के तहत केस दर्ज कर लिया है। तबलीगी जमात के मरकज भवन में लोगों को देशद्रोह के लिए उकसाया जा रहा था। उन्हें बताया जा रहा था कि सरकार उनके साथ धर्म के आधार पर बीमारी के नाम से बांटने का काम कर रही है। यहां तक कि पुलिस-प्रशासन आदेश के बावजूद मंगलवार रात्रि तक यहां मौजूद लोग जगह छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे।
चल चुके लाठी-डंडे
विवादों और तबलीगी जमात का पुराना नाता है। इससे पहले भी मौलाना साद और तबलीगी जमात विवादों में फंसे हैं। एक विवाद के बाद तो जमात दो गुटों में बंट चुका है। उस विवाद के बाद मौलाना साद ने पुरानी तबलीगी जमात का खुद को स्वयंभू ‘अमीर’ घोषित कर दिया था। जबकि दूसरे गुट ने 10 सदस्यों की सूरा कमेटी बनाकर दिल्ली के तुर्कमान गेट पर मस्जिद फैज-ए-इलाही से अपनी अलग तबलीगी जमात चला रखी है। खास बात है कि मौलाना इब्राहीम, मौलाना अहमद लाड और मौलाना जुहैर सहित कई इस्लामिक स्कॉलर इस दूसरे गुट से जुड़े हुए हैं।
फैज-ए-इलाही ने किया लॉकडाउन का पालन
कोरोना के खतरे को भांपते हुए मस्जिद-ए-इलाही से संचालित संगठन ने तबलीगी जमात का काम सरकार की चेतावनी के बाद ही बंद कर दिया था। बताया जा रहा है कि मौलाना साद से अलग हुए इस संगठन ने तबलीगी जमात का कार्य का संचालन एक मार्च को ही बंद कर दिया था। लेकिन मौलान साद ने निजामुद्दीन के मरकज में जमात का काम जारी रखा। बीते 13 मार्च को ही मौलाना साद ने मरकज में जोड़ का एक कार्यक्रम रखा था। इसमें शामिल होने के लिए भारत ही नहीं विदेश से भी बड़ी संख्या में लोग आए थे। यही कारण है कि लॉकडाउन के बाद भी तबलीगी जमात के मरकज में हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।
1927 में हुआ था जमात कागठन
गौरतलब है कि मौलाना साद के परदादा मौलाना इलियास कांधलवी ने 1927 में तबलीगी जमात का गठन किया था। वह उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कांधला के रहने वाले थे। यही कारण है कि मौलाना इलियास अपने नाम के साथ कांधलवी लगाते थे। मौलाना साद मोलाना इलियास की चौथी पीढ़ी से हैं और उनके परपोते हैं। मौलाना साद के दादा मौलाना युसुफ अपने पिता मौलाना इलियास के निधन के बाद अमीर बने थे।
जमात पर कब्जे को लेकर हुआ था झगड़ा
मौलाना इनामुल हसन ने 1993 में 10 सदस्यों की कमेटी का गठन किया था। इसमें मौलाना इनामुल हसन, मौलाना साद, मौलाना जुबैर और मौलाना अब्दुल वहाब भी शामिल थे। साल 1995 में मौलाना इनामुल हसन का निधन हो गया था। इसके बाद जमात और मरकज भवन पर कब्जे को लेकर आपस में झगड़ा बढ़ गया था। तब किसी को अमीर नहीं बनाया गया और 10 सदस्यों की सूरा कमेटी इसका संचालन करती रही। आगे चलकर कमेटी के ज्यादातर सदस्यों की मौत हो चुकी थी। मौलाना जुबैर के 2015 में निधन के बाद सूरा में केवल अब्दुल वहाब बचे थे। जब कमेटी में नये सदस्यों की नियुक्ति की मांग उठी तो मौलाना साद इसके लिए तैयार नहीं हुए और उन्होंने खुद को तबलीगी जमात का स्वयंभू अमीर घोषित कर दिया।
दो-फाड़ हुआ तबलीगी जमात
निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मुख्यालय पर कब्जे के चलते तबलीगी जमात में बड़ा झगड़ा हुआ था। दोनों गुटों के बीच जमकर लाठियां-डंडे चलाए गए। तब यह मामला पुलिस तक भी पहुंचा था। इसके बाद अलग हुए दूसरे गुट ने मरकज से अलग तुर्कमान गेट पर मस्जिद फैज-ए-इलाही से जमात का काम शुरू कर दिया था। बता दें कि मुस्लिम समुदाय का बड़ा हिस्सा अब भी निजामुद्दीन स्थिति तबलीगी जमात से ही जुड़ा हुआ है।
2361 लोगों को निकाला
निजामुद्दीन की मरकज बिल्डिंग कोरोना ही नही ‘मजहबी वायरस’ का बड़ा केंद्र बन गई थी। बुधवार की सुबह तक यहां से 2361 लोगों को निकालकर इसे खाली कराया गया। इसके बाद पूरे परिसर को सैनिटाइज किया गया। यहां से निकले लोगों की तलाश में 22 से ज्यादा राज्यों में तलाशी अभियान छेड़ा गया है। इनमें से कई लोगों को ढूंढ लिया गया है। मरकज से गए गए लोगों में से अब तक तमिलनाडु में 77, आंध्र प्रदेश 43, दिल्ली में 24, तेलंगाना में 21, अंडमान-निकोबार में 9, असम में 5 और कश्मीर में एक कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। आशंका जताई जा रही है कि यह मामले और बढ़ सकते हैं।
22 राज्य, 16 शहर और 10 हजार लोग
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि मरकज से गए संक्रमित मौलानाओं के संपर्क में 22 राज्य व 16 शहरों में कम से कम 10 हजार लोग आए हैं। राज्यों को भी इन लोगों की सूची भेजी गई है। मरकज में संक्रमण का खुलासा होने के बाद केंद्र ने देशभर के 10 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में कोरोना के 16 हॉटस्पॉट चिन्हित किए गए हैं। सोमवार तक ऐसे 10 हॉटस्पॉट थे। यह वो स्थान हैं जहां संक्रमण का सामुदायिक फैलाव (कम्युनिटी ट्रांसमिशन) हो सकता है।
जमात में शामिल हुए 2100 विदेशी
गृह मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक मरकज में शामिल होने के लिए 2100 विदेशी आए थे। इनमें इंडोनेशिया, मलेशिया, थाइलैंड, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका और किर्गिस्तान के लोग शामिल हैं। बता दें कि आमतौर पर मरकज में पहुंचने वाले विदेशी लोग निजामुद्दीन में बंगलेवाली मस्जिद में अपने पहुंचने की सूचना दर्ज कराते हैं। मरकज में शामिल होने वाले 2,137 लोगों की पहचान करके अब तक उनकी मेडिकल जांच की जा चुकी है। 1339 लोगों को नरेला, सुल्तानपुरी, बक्करवाला, झज्जर और एम्स में क्वारैंटाइन किया गया है। 303 लोगों में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं, जिन्हें दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में दाखिल कराया गया है।
फरार है देशद्रोह के लिए उकसाने वाला मौलाना
लॉकडाउन से पहले और लॉकडाउन के दौरान एक खास धर्म के लोगों को देशद्रोह के लिए उकसाने वाला मौलाना साद कई दिनों से फरार है। जो मौलाना लोगों से कह रहा था कि वह मस्जिद में आएं और एक साथ नमाज पढ़ें और खाना खाएं। वह मौलाना अब पुलिस से मिलने से बचता फिर रहा है। जो मौलाना सोशल डिस्टेंसिंग को मुसलमान को मुसलमान से अलग करने की साजिश बता रहा था वही मौलाना बीते कई दिनों से लोगों से पूरी तरह से डिस्टेंस बनाए हुए है। जिस कौम को मौलाना साद कानून तोड़ने के लिए उकसा रहा था, जिस कौम को देशद्रोह का पाठ पढ़ा रहा था, वही मौलाना अब इतनी बड़ी संख्या में अपनी कौम के लोगों को मुश्किल में डालकर अंडरग्राउंड हो गया है।