-पुलिस को छापेमारी में मिले मौलाना साद की तानाशाही के सबूत
-अपनों ने खोला मजकर में गड़बड़ी का मौलाना का कच्चा चिट्ठा
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
देशभर में कोरोना महामारी के मामले बड़ी संख्या में सामने आने के बाद तबलीगी जमात का मुख्यालय ‘महामारी का मरकज’ नाम से प्रसिद्ध हुआ है। सामने आकर जांच एजेंसियों का कोई सहयोग नहीं करने की वजह से इसके मुखिया मौलाना मोहम्मद साद पर पुलिस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। मौलाना के मरकज और फार्महाउस पर छापेमारी के दौरान पुलिस को ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिनसे साबित होता है कि साद पिछले कई वर्षों से तबलीगी जमात और मरकज को तानाशाही के साथ चला रहा है।
खास बात है कि मौलाना की तानाशाही के खिलाफ मरकज से जुड़े कई लोगों ने कई बार आवाज उठाई थी, लेकिन उनकी आवाज को दबा दिया गया। मरकज के मौलाना के खिलाफ एक बार आवाज उठाने वाले ने दोबारा यह हरकत नहीं की। क्राइम ब्रांच ने गुरुवार को तबलीगी जमात के मौलाना साद के शामली स्थित फार्म हाउस पर छापेमारी की थी। सूत्रों का कहना है कि पुलिस और ईडी को कुछ ऐसे दस्तावेज हाथ लगे हैं जिनसे साद की तानाशाही का पता चलता है। बीते 5 वर्ष में मौलाना और जमात से जुड़े कई लोगों ने 7 लिखित शिकायतें दी थीं लेकिन इन शिकायतों को दबा दिया गया।
‘महामारी के मरकज’ के मौलाना की शिकायत करने वालों में एक नाम अमानतुल्लाह चौधरी की है। वह तबलीगी जमात की वर्किंग कमिटी के पूर्व सदस्य हैं। चौधरी ने 2015 में की गई अपनी शिकायत में लिखा है कि पहले कोषाध्यक्ष और मैनेजर अलग-अलग होते थे। लेकिन अब दोनों काम एक ही व्यक्ति देख रहा है। केवल इतना ही नहीं अब मरकज की कमाई और खर्च का कोई हिसाब नहीं रखा जाता। साल 2016 में भी ऐसे ही 7 सदस्यों ने लिखित शिकायत की थी। इनमें गुजरात के गोधरा के मौलाना इस्माइल ने लिखा था कि सीनियर मैंबर्स को इस बात की चिंता नहीं है कि मरकज किस दिशा में जा रही है। 2016 में ही चेन्नै, अलीगढ़, बेंगलुरु और दिल्ली से साद के खिलाफ इसी तरह की शिकायतें आई थीं। कई शिकायतों में लिखा गया था कि मौलाना साद केवल मस्जिदों में जुटने पर जोर देते हैं। मरकज में अब यह नहीं बताया जाता कि मस्जिदों से बाहर निकलकर जमातियों को क्या करना है।
इन शिकायतों में ‘महामारी के मरकज’ के मौलाना पर 95 साल पुराने संगठन को अपनी मर्जी से चलाने का आरोप लगाया गया है। इसके साथ ही लोगों ने मौलाना पर पारदर्शिता को खत्म कर देने और कई मामलों में रास्ते से भटक जाने का आरोप लगाया है। साद पर आरोप लगाए गए हैं कि बिना किसी से सलाह किए उन्होंने मरकज और तबलीगी जमात के लोगों को पढ़ाया जाने वाला सलेबस भी दिया। प्रमुख कार्यक्रमों को निजामुद्दीन के मरकज में ही करने पर जोर दिया जाता है।
लिखित शिकायतों में साद पर आरोप लगाए गए हैं कि वह लोगों से सलाह करने के बजाय ऑर्डर देते हैं। संगठन के वित्तीय मामलों में पारदर्शिता खत्म होने की बात कही गई थी। अब जांच में लगी ईडी और दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम को उन्हीं इंटरनल शिकायतों की प्रतियां मिली हैं। ईडी और क्राइम ब्रांच मौलाना की शिकायतों के संबंधत में मिले पत्रों से मिले क्लू के आधार पर अपनी जांच को आगे बढ़ा रही हैं।