वर्ल्ड वुमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप का हाल… करोड़ों रूपये खर्च करके भी दर्शक नहीं जुटा पा रहे आयोजक… अस्तित्व पर उठे सवाल!

-खाली पड़ी रहती हैं ज्यादातर सीटें, मीडिया रूम का भी बुरा हाल

विजय कुमार/ नई दिल्ली, 23 मार्च, 2023।
जंगल मैं मोर नाचा किसने देखा? यह कहावत राजधानी में आयोजित की जा रही विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप पर बिलकुल सटीक बैठती है। बताया जा रहा है कि 15 से 26 मार्च तक आयोजित होने वाली इस चैंपियनशिप की व्यवस्थाओं पर करीब 8 से 10 करोड रूपया खर्च किया जा रहा है। मगर सुविधाओं के नाम पर केवल और केवल औपचारिकताएं ही निभाई जा रही हैं। हालात यह हैं कि मीडिया रूम में जहां अफरातफरी का माहौल रहता है, वहीं स्टेडियम के अंदर भी ऐसी ही स्थिति है। अब तो इस चैंपियनशिप के अस्तित्व पर ही सवाल उठने लगे हैं।
इतना पैसा खर्च होने के बाद भी दर्शक स्टेडियम तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। हालात यह हैं कि भारतीय मुक्केबाजी प्रतियोगिताओं के दौरान जरूर वीआईपी बॉक्स भरा दिखाई पड जाएगा, मगर बाकी समय बॉक्स पूरे दिन खाली ही रहता है। दिल्ली से जुडे मुक्केबाजों, कोचों व एसोसिएशनों के अधिकारियों को भी चैंपियनशिप में बुलाया गया है। बताया यह भी जा रहा है कि इन सभी को भारतीय मुक्केबाजी संघ ने अपने-अपने विभागों से छुटटी लेने के लिए पत्र भी लिखे हैं, ताकि स्टेडियम में भीड जैसा माहौल बना रहे। लेकिन इनमें से अधिकतर तो विभागों से छूटटी लेने के बाद वहां दिखाई नहीं देते।
अब चर्चा शुरू हो गई है कि विश्व महिला मुक्केबाजी चैपियनशिप के आयोजक देश की राजधानी दिल्ली जैसे शहर में चैंपियनशिप को लेकर माहौल ही खडा नहीं कर सके। स्टेडियम में दर्शको का निशुल्क प्रवेश रखा गया है। स्टेडियम की क्षमता भी महज तीन हजार दर्शकों की है। इसके बावजूद स्टेडियम की 10 फीसदी सीटें भी नहीं भर पाती हैं। जबकि राजधानी में ही करीब 100 के आसपास स्पार्टस क्लब व अकादमी बताई जा रही हैं।
इंदिरागांधी स्पोर्टस काम्पलैक्स स्थित केडी जाधव कुश्ती स्टेडियम में विश्व महिला मुक्केबाजी का आयोजन किया जा रहा है। इसे आकर्षक बनाने के लिए स्टेडियम के भीतर रंग-बिरंगी लाइटे लगाई गई हैं। इन लाइटों को जलाने वाली तारें खुले में देखी जा सकती हैं। ऐसे में बारिश के चलते अगर कोई हादसा हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?
चैंपियनशिप के अस्तित्व पर सवाल
महत्वपूर्ण बात यह है कि करोडो रूपये खर्च करने के बावजूद इस चैंपियनशिप का कोई विशेष महत्व नहीं है। इस चैंपियनशिप में पदक जीतने के बावजूद मुक्केबाजों को ओलंपिक या किसी विश्व स्तरीय प्रतियोगिता में खेलने के लिए सीधे अवसर नहीं मिल सकता। इसका फायदा भारतीय मुक्केबाजों को आर्थिक तौर पर जरूर है। क्योंकि भारतीय मुक्केबाज इस चैंपियनशिप में पदक जीत कर सरकारी खजाने से इनाम के रूप में मोटा पैसा जरूर वसूल लेंगे। यही कारण है कि खेल जगत में भी इस तरह की चैंपियनशिप पर सरकारी धन की बरबादी नहीं किये जाने की मांग उठने लगी है।
वॉलेंटियर्स की व्यवस्था पर भी उठ रहे सवाल
आयोजक केवल खेल चैंपियनशिप के आयोयन पर ही नहीं बल्कि इसके लिए की गई व्यवस्थाओं के मामले में भी अलोचनाओं के शिकार हो रहे हैं। मुक्केबाजों और स्टेडियम में आने वाले दर्शकों को सुविधाएं देने के नाम पर वॉलियंटर्स को रखा गया है। यह वॉलियंटर्स दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के छात्र बताए जा रहे हैं, जो पत्रकारिता सीखने के बजाए, पूरे समय मौज मस्ती करते अधिक दिखाई दे रहे हैं। यहीं नहीं अगर कोई पत्रकार अपनी खबरों में आयोजकों या फिर वॉलेंटियर्स की गतिविधियों के बारे में लिख देता है तो संबंधित अधिकारी इस पर भी अपनी नाराजगी जाहिर करते हैं।