जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर दिल्ली BJP में तनातनी!

-जनरल कैटेगरी और पूर्वांचल को महत्व नहीं देने पर नाराजगी, एससी को मिली ज्यादा हिस्सेदारी
-एक व्यक्ति, एक पद को तिलांजलि पर उठ रहे सवाल, महिलाओं को नहीं मिली 33 फीसदी हिस्सेदारी

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 28 मई।
पार्टी संगठन में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति और दिल्ली नगर निगम (MCD) में जोन चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं-कार्यकर्ताओं में तनातनी शुरू हो गई है। पार्टी कार्यकर्ताओं में दबी जुबान से अलग अलग चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कोई पूर्वांचली मतदाताओं की अनदेखी तो कोई सामान्य वर्ग के नेताओं को नेतृत्व से दूर करने के आरोप लगा रहा है। खास बात है कि महिलाओं को 33 फीसदी हिस्से दारी भी नहीं मिली है, वहीं अनुसूचित जाति वर्ग को उनकी भागीदारी से ज्यादा हिस्सेदारी दी गई है।
दिल्ली बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि प्रदेश नेतृत्व का सारा जोर संगठन की मजबूती के बजाय अपने चहेतों को सेट करने पर है। जिसके चलते जिलों की जिम्मेदारी के मामले में पूर्वाचल को पूरी तरह से नकार दिया गया है। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण, राजपूत, बनिया जैसे सामान्य वर्ग को भी नकारने का प्रयास किया गया है। यहां तक कि एक व्यक्ति-एक पद की बात को भी दरकिनार कर दिया गया है।
पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता का कहना है कि जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की बात करें तो प्रदेश नेतृत्व का सारा जोर जाट और गूजर जाति से आने वालों पर रहा है। केशव पुरम, उत्तर-पूर्व, नवीन शाहदरा, मयूर विहार, नई दिल्ली, उत्तर-पश्चिम और महरौली जिलों में केवल जाट या गूजर बिरादरी से जिला अध्यक्ष बनाये गये हैं। चांदनी चौक और दक्षिणी दिल्ली से वैश्य और राजपूत बिरादरी को जिलों का नेतृत्व दिया तो गया है, परंतु इसे समुचित नहीं माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण वर्ग से एक भी व्यक्ति को किसी जिले की जिम्मेदारी नहीं सोंपी गई है।
महिलाओं को 33 फीसदी नहीं?
दिल्ली प्रदेश बीजेपी ने 14 में से केवल दो जिलों नजफगढ़ और दक्षिणी दिल्ली का नेतृत्व महिलाओं को दिया है। जबकि उनकी हिस्सेदारी करीब 5 जिलों की बैठती है। नजफगढ़ का जिला अध्यक्ष राज गौतम और दक्षिणी दिल्ली का जिला अध्यक्ष माया बिष्ट को बनाया गया है। राज गौतम अनुसूचित जाति ( हालांकि उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुअ परंतु उन्होंने शादी अनुसूचित जाति वर्ग में की है। अतः पार्टी के ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि इस जिले की बागडोर अनुसूचित जाति वर्ग को ही मिली है) और माया बिष्ट सामान्य (राजपूत) वर्ग से आती हैं।
अनुसूचित जाति को दो जिलों की जिम्मेदारी!
बीजेपी ने जिला अध्यक्षों के नेतृत्व के मामले में दो जिलों नजफगढ़ और बाहरी दिल्ली की जिम्मेदारी अनुसूचित जाति वर्ग को दी है। हालांकि 2025 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अनुसूचित जाति वर्ग का अपेक्षित सहयोग प्राप्त नहीं हुआ था। बीजेपी ने अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित 12 सीटों के अतिरिक्त 3 अन्य शकूरपुर, मटिया महल और बल्ली मारान विधानसभा सीटों से भी अनुसूचित जाति के उम्मीदवार खड़े किये थे। परंतु इन 15 उम्मीदवारों में से केवल 4 ही चुनाव जीतकर विधायक बन सके हैं। इनमें से शकूरपुर विधानसभा सीट ऐसी है जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नहीं है।
एक व्यक्ति-एक पद पर भी सवालिया निशान?
दिल्ली बीजेपी की ओर से जारी 14 जिला अध्यक्षों की सूची से एक व्यक्ति-एक पद वाली बात पर भी सवालिया निशान लगा है। पार्टी ने मास्टर विनोद कुमार को नवीन शाहदरा जिला का अध्यक्ष दोबारा से बनाया है। गौरतलब है कि 2022 में दिल्ली नगर निगम चुनाव के समय उनकी पत्नी को टिकट दिया गया था, इस आधार पर उन्हें जिला अध्यक्ष के पद से हटाकर मनोज त्यागी को जिला अध्यक्ष बनाया गया था। बीजेपी ने उस दौरान ऐसे कई जिला अध्यक्षों को हटाया गया जो या तो स्वयं पार्षद का चुनाव लड़ रहे थे या फिर उनकी पत्नी या पति चुनाव लड़ रहे थे। परंतु अब फिर से मास्टर विनोद कुमार को ही जिला अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि उनकी पत्नी अब भी निगम पार्षद हैं। हालाकि सांसद कमलजीत सहरावत, योगेंद्र चंदोलिया और बांसुरी स्वराज भी इसके अपवाद बने हुए हैं। क्योंकि इनके सांसद चुने जाने के बाद उन्हें पार्टी में दिये गये पद से नहीं हटाया गया है। सांसद हर्ष मलहोत्रा के केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद उनसे महामंत्री पद से इस्तीफा दिलाया गया था और उनके स्थान पर विष्णू मित्तल को प्रदेश में महामंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई थी। इससे पहले विष्णू मित्तल प्रदेश में कोषाध्यक्ष पद पर रहे हैं।
जोन चुनाव में भी नहीं चला एक व्यक्ति- एक पद!
दिल्ली नगर निगम में 12 जोन के चुनाव 2 जून को होने हैं। इसके लिए दिल्ली बीजेपी ने सेंट्रल जोन से योगिता सिंह को चेयरमैन पद के लिए उम्मीदवार बनाया है। उनका इस पद पर चुना जाना तय है। जबकि योगिता सिंह निगम पार्षद होने के साथ ही उनके पास पहले से ही संगठन में प्रदेश उपाध्यक्ष के पद के साथ एनएचडीसी (भारत सरकार) की निदेशक हैं।