शुएब इकबाल आम आदमी पार्टी में शामिल

-पार्षद आले मोहम्मद व सुलताना ने थामा ‘आप’ का दामन
-आम आदमी पार्टी से आसिम अहमद खान का पत्ता साफ
-दिल्ली में जमीन तलाश रही कांग्रेस को दिया बड़ा झटका

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
राजधानी में सियासी पारा चरम पर है। राजनीतिक दलों के नेताओं का एक-दूसरी पार्टी में आना-जाना जारी है। ऐसे में हर नया-पुराना नेता अपनी टिकट पक्की करने में जुटा है। दिल्ली में अपनी सियासी जमीन तलाश रही कांग्रेस को आम आदमी पार्टी को तगड़ा झटका दिया है। गुरूवार को मटिया महल विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक शुएब इकबाल ने कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी ज्वॉइन कर ली। उनके साथ कांग्रेस पार्षद सुलताना आबाद भी आम आदमी पार्टी में शामिल हो गईं। शुएब के साथ उनके बेटे आले मोहम्मद इकबाल ने भी आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। आले मोहम्मद फिलहाल कांग्रेस पार्टी से निगम पार्षद हैं।
आम आदमी पार्टी से जुड़ें सूत्र बताते हैं कि मटिया महल सीट से मो. आसिम अहमद खान का टिकट काटा जा रहा है। अब इस सीट से आम आदमी पार्टी के टिकट पर शुएब इकबाल या उनके बेटे आले इकबाल को चुनाव लड़ाया जाएगा। बता दें कि दो पार्षदों के साथ में आ जाने से शुएब इकबाल की स्थिति आम आदमी पार्टी में मजबूत हो गई है। इकबाल ने ओखला से आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली। इस मौके पर दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल खास तौर पर मौजूद रहे।
मुस्लिम वोट बैंक पर बढ़ी पकड़
मटिया महल से पूर्व विधायक और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष शुएब इकबाल के आम आदमी पार्टी में शामिल हो जाने से दिल्ली के मुस्लिम मतदाताओं में आप की पकड़ मजबूत हुई है। मई में लोकसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाता आम आदमी पार्टी से दूर होकर कांग्रेस की ओर चले गए थे। इसके चलते कांग्रेस पार्टी दिल्ली में आम आदमी पार्टी को पछाड़ते हुए दूसरे स्थान पर आ गई थी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस चांदनी चौक, मटिया महल, बल्लीमारान, सीलमपुर और ओखला सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी। जबकि बाकी 65 सीट पर भारतीय जनता पार्टी दूसरे स्थान पर रही थी।
कांग्रेस और भाजपा को बड़ा झटका
शुएब इकबाल और उनके बेटे व पार्षद आले माहम्मद इकबाल और दूसरी पार्षद सुलताना आबाद के आम आदमी पार्टी में जाने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। माना जा रहा है कि इससे विधानसभा चुनाव के लिहाज से दिल्ली में न केवल कांग्रेस कमजोर होगी बल्कि इसका नुकसान भाजपा को भी होगा। वर्तमान सियासी समीकरणों के अनुसार यदि कांग्रेस पार्टी कमजोर बनी रहती है तो इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ेगा।