-बनिया-पंजाबी समीकरणों के बीच किसी नए पर दांव खेलना चाहती है पार्टी
-सतीश, विजेंद्र, रमेश बिधूड़ी, रविंद्र गुप्ता, आरपी सिंह, पवन शर्मा, की चर्चा
टीम एटूजैड/नई दिल्ली
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में प्रदेश अध्यक्ष की तलाश तेज हो गई है। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि शीष नेतृत्व किसी ऐसे व्यक्ति पर दांव खेलना चाहता है, जो कार्यकर्ताओं पर पकड़ रखने के साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की नजर में भी अच्छा व्यक्ति हो। फिलहाल पूर्व अध्यक्षों में विजेंद्र गुप्ता और सतीश उपाध्याय के नामों की चर्चा तेज है। वहीं बनिया-पंजाबी समीकरणों पर भी विचार किया जा रहा है। नए चेहरों में रविंद्र गुप्ता, आरपी सिंह और पवन शर्मा भी अध्यक्ष पद की लॉबिंग में जुट गए हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी में रमेश बिधूड़ी के नाम की भी चर्चा हो रही है। दिल्ली बीजेपी के ज्यादातर लोग प्रदेश नेतृत्व में परिवर्तन चाहते हैं।
बीजेपी से जुड़े एक शीर्ष नेता ने बताया कि दिल्ली को लेकर पार्टी में दो मत बने हुए हैं। एक मत यह है कि आने वाले दिनों में कोई चुनाव नहीं हैं, इसलिए अभी कुछ समय के लिए नेतृत्व परिवर्तन को टाला जाए। इस मत के समर्थन में यह भी कहा जा रहा है कि अक्टूबर-नवंबर में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। अतः वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को तब तक प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बनाए रखा जाए।
पार्टी में दूसरे मत के नेताओं का कहना है कि 2022 में दिल्ली में तीनों नगर निगमों के लिए चुनाव होना है। ऐसे में तुरंत नेतृत्व परिवर्तन करके अभी से नगर निगम चुनाव की तैयारियों में लगा जाए। कारण है कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में हार की समीक्षा में एक कारण बीजेपी के निगम पार्षदों की नकारात्मक छवि को भी बताया गया था। बीजेपी 2007 से दिल्ली नगर निगम की सत्ता में है। जिसकी वजह से निगम पार्षदों के प्रति एंटी इनकमबेंसी बनती जा रही है। नए अध्यक्ष के सामने निगम चुनाव को लेकर भी बड़ी चुनौती होगी।
पुराने नेताओं में उपाध्याय व गुप्ता
प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में पुराने लोगों में पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता और सतीश उपाध्याय के नामों की चर्चा जोरों पर है। कहा जा रहा है कि विजेंद्र गुप्ता को पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी नहीं दी है, अतः उन्हें एक बार फिर से प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सोंपी जा सकती है। वहीं सतीश उपाध्याय को या तो नई दिल्ली नगर पालिका परिषद में उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सोंपी जा सकती है या फिर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है।
नयों में बिधूड़ी, रविंद्र, आरपी
नए नेताओं में प्रदेश अध्यक्ष पद की दावेदारी में रमेश बिधूड़ी, रविंद्र गुप्ता, आरपी सिंह और पवन शर्मा के नाम लिए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में गुर्जर वोटर बीजेपी के साथ ज्यादा रहे हैं, जबकि जाट वोटर्स ने बीजेपी से दूरी बनाई हुई है। पार्टी यदि गांव-देहात में बीजेपी को मजबूत बनाना चाहती है तो रमेश बिधूड़ी के नाम को आगे बढ़ाया जा सकता है। वहीं बनिया मतदाताओं के पार्टी से दूरी बनाने से बीजेपी को विधानसभा चुनाव में ज्यादा नुकसान हुआ है। पार्टी के पुराने बनिया-पंजाबी फैक्टर पर जोर देने वाले रविंद्र गुप्ता का नाम आगे बढ़ा रहे हैं। रविंद्र गुप्ता फिलहाल प्रदेश महामंत्री हैं। इससे पहले वह पार्टी के विभिन्न पदों पर रहने के अलावा उत्तरी दिल्ली के महापौर भी रह चुके हैं।
संघ और पंजाब पर फोकस!
उत्तम नगर से पूर्व विधायक पवन शर्मा का नाम भी जोरों पर चर्चा में है। पवन शर्मा लंबे समय तक प्रदेश संगठन महामंत्री रहे हैं और दिल्ली के हर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से अच्छी तरह से वाकिफ हैं। दूसरी ओर दिल्ली बीजेपी की सिख लॉबी किसी सिख यानी राजेंद्र नगर से हाल ही में दूसरी बार विधानसभा चुनाव हारे आरपी सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनवाने के लिए लॉबिंग कर रही है। उनके पक्ष में कहा जा रहा है कि मार्च 2022 में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं। दिल्ली में सिख नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से पंजाब चुनाव में बीजेपी को लाभ मिल सकता है।
बड़ा फैसला लेने से बच रही पार्टी
बीजेपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दिल्ली बीजेपी के कुछ नेताओं की ओर से लगातार नेतृत्व परिवर्तन के लिए दबाव बनाया जा रहा है। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व कोई भी बड़ा फैसला लेने से फिलहाल बच रहा है। इस बीच कोरोना की त्रासदी ने सबकुछ अस्त व्यस्त कर रखा है। अतः पार्टी अभी राज्यसभा चुनाव और मध्य प्रदेश में सरकार बनाने की स्थिति पर अपना फोकस बनाए हुए है। दिल्ली बीजेपी में नेतृत्व परिवर्तन को फिलहाल टाला जा रहा है। हालांकि पहले होली के तुरंत बाद नेतृत्व परिवर्तन के कयास लगाए जा रहे थे।
गोयल और हर्षवर्धन की चर्चा
प्रदेश बीजेपी का एक गुट पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल और वर्तमान केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन में से किसी एक को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए लॉबिंग में जुट गया है। दोनों ही नेता पहले भी दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं। बता दें कि विजय गोयल का राज्सभा का कार्यकाल 9 अप्रैल को खत्म हो रहा है। बीजेपी ने उन्हें दोबारा किसी राज्य से राज्यसभा भेजने के लिए उनका नाम जारी नहीं किया है। विजय गोयल को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यकाल में उनके पद से अचानक हटा दिया गया था। दूसरी ओर डॉ हर्षवर्धन को पार्टी पहले ही बड़े मौके दे चुकी है। अतः पार्टी के ज्यादातर नेता इन दोनों के खिलाफ हैं।