सरकार से सवाल…‘बाजार’ खुले तो मंदिरों में दर्शन क्यों नहीं?

-दिल्ली के बड़े मंदिरों के पदाधिकारियों ने सरकार से की मंदिरों-देवालयों में श्रद्धालुओं के लिए दर्शन की इजाजत की मांग
-सर्व ब्राह्मण महासभा (राष्ट्रीय) व अखिल भारतीय अर्चक महासंघ ने की मंदिरों में दर्शन की छूट की मांग
दिल्ली के बिरला मंदिर में किया गया बैठक का आयोजन

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
देश के कई धार्मिक-सामाजिक संगठनों ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार के साथ विभिन्न राज्य सरकारों से मांग की है कि जब सब कुछ खोला जा रहा है तो श्रद्धालुओं को मंदिरों-देवालयों में दर्शन की इजाजत भी दी जानी चाहिए। केंद्र व राज्य सरकारें कोरोना महामारी के चलते विभिन्न वर्गों के लोगों के लिए तो सहायता राशि के साथ विभिन्न प्रकार की सुविधाएं दे रही हैं, लेकिन मंदिरों के पुजारियों और देवालयों में विभिन्न जिम्मेदारियां निभाने वालों के लिए किसी भी तरह की सहायता की घोषणा नहीं की गई है। जबकि लॉकडाउन और कोरोना की सबसे ज्यादा मार इसी वर्ग पर पड़ी है।

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इन संगठनों का कहना है कि भारतवंशियों के जीवन में सनातन धर्म और संस्कृति महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यहां सभी तरह की आपदाओं से बचाव के उपाय मौजूद हैं। पूजा, अर्चना, उपासना एवं पूर्ण आस्था के साथ आराध्य देवी-देवताओं के दर्शन लोगों को सदाचारी, सेवाभावी, समाजसेवी, राष्ट्रप्रेमी और परोपकारी बनने की ओर अग्रसर करते हैं। मंदिरों में भगवान के दर्शन करने से व्यक्ति के अषीम संतोष की प्राप्ति होती है। प्रत्येक मंदिर और देवालयों का अपना एक अलग महत्व है। हर मंदिर का अपना एक इतिहास या फिर समाज के लिए योगदान है। अतः अब मंदिरों में श्रद्धालुओं को दर्शन करने की तुरंत अनुमति दी जानी चाहिए। दिल्ली में चल रही वर्तमान परिस्थितियों को लेकर मंगलवार 29 जून को सुबह बिरला मंदिर परिसर में एक बैठ भी की गई।

दक्षिणी दिल्ली स्थित कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्र नाथ अवधूत ने कहा कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार सहित सभी राज्य सरकारों को लोगों की आस्था का भी खयाल रखना चाहिए। बाजारों में कोरोना महामारी से बचाव के मापदंडों का बिलकुल भी पालन नहीं हो रहा है। इसके बावजूद थोक और खुदरा बाजार रोजाना खुल रहे हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने पिछली बार भी सबसे पहले शराब की दुकानों को खोलने का आदेश जारी किया था। जबकि करोड़ों लोगों के आस्था के केंद्र मंदिरों को सबसे बाद में खोलने की इजाजत दी थी। इस बार भी ऐसा ही किया जा रहा है।
इस्कॉन के नेशनल कम्युनिकेशन डायरेक्टर वृजेंद्रनंदन दास ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से अपील की है कि दिल्ली की लगभग सभी संस्थाओं, कार्यालयों एवं सुविधाओं को खालने की अनुमति दे दी गई है। इस घोर महामारी के समय दिल्ली के नागरिकों और आप सभी को परम भगवान के आशीर्वाद एवं कृपा की जरूरत है। अतः सभी मंदिरों को तुरंत खोलने की अनुमति दी जाए। जिससे कि समान्य जनता को दर्शन का अवसर प्राप्त हो सके।
दिल्ली के झंडेवालान मंदिर के प्रचार प्रमुख एनके सेठी ने कहा कि डीडीएमए ने मिल, फैक्ट्री, जिम, मेट्रो सब कुछ खोल दिया है। भले ही 50 फीसदी की क्षमता के साथ खोले गए हैं। मंदिर खुले तो हैं लेकिन यहां कोई दर्शन करने नहीं आ सकता। फिर इस तरह से खोलने का क्या लाभ है। हमारी मांग है कि संख्या को नियंत्रित करके लोगों को दर्शन करने की इजाजत दी जानी चाहिए। ये वही मंदिर हैं, जहां हर साल बड़े-बड़े आयोजन कई-कई बार किये जाते रहे हैं। अतः व्यवस्था की जिम्मेदारी इन मंदिरों के ऊपर छोड़ी जा सकती है।
श्री लक्ष्मी नारायण बिरला मंदिर के उत्तर भारत के प्रशासक विनोद मिश्र ने कहा कि अब करीब-करीब स्थिति सामान्य हो गई है। ज्यादातर बड़े मंदिरों में इस तरह की व्यवस्था है कि वह बड़ी से बड़ी भीड़ को नियंतित्र कर सकें। अब भी दिल्ली की छोटी-बड़ी कालोनियों में रोजाना श्रद्धालु गाइडलाइंस को पूरी तरह से मानते हुए दर्शन कर रहे हैं। अतः सभी बड़े मंदिरों में भी लोगो को दर्शन करने की तुरंत इजाजत दी जानी चाहिए। देवी-देवताओं के दर्शन, पूजा-अर्चना, हवन-यज्ञ में इतनी शक्ति है कि पहले ही प्राकृतिक आपदाओं को दूर भगाया जाता रहा है। अतः शर्तों और गाइडलाइंस के साथ तुरंत ही मंदिरों में जाकर लोगों को दर्शन करने की इजाजत दी जानी चाहिए।
सर्व ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभेश शरमन ने कहा कि सब कुछ खोला जा रहा है लेकिन मंदिर अब भी खुलने के बावजूद बंद जैसे हालातों में हैं। श्रद्धालुओं को मंदिरों में जाकर अपने आराध्य देवी-देवताओं की पूजा और दर्शन करने की इजाजत नहीं दी गई है। यह हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति के अनुयाईयों के साथ सरासर अन्याय है। मंदिरों में दर्शन करने की तुरंत इजाजत दी जानी चाहिए।
अखिल भारतीय अर्चक महासंघ के अध्यक्ष महापंडित चंद्रमणि मिश्र का कहना है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार सहित देश की विभिन्न राज्य सरकारें केवल अपना आर्थिक लाभ देखकर निर्णय ले रही हैं। दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में पब, बार ओर मदिरालय खोल दिये गए, लेकिन धार्मिक आस्था के केंद्र मंदिरों में दर्शन की इजाजत नहीं दी जा रही है। मंदिरों से सरकारों को भले ही आर्थिक लाभ नहीं मिलता हो, लेकिन इनके द्वारा लाखों परिवारों का भरण-पोषण होता है।
अखिल भारतीय अर्चक महासंघ के संस्थापक महामंत्री आचार्य रामगोपाल शुक्ल ने कहा कि जिस तरह से उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा के लिए 1 जुलाई से आंशिक यात्रा और 10 जुलाई से राज्य के लोगों को इस पर जाने की इजाजत की घोषणा की है। हालांकि कोर्ट ने अभी इस पर रोक लगा दी है। लेकिन उससे प्रेरणा लेकर केजरीवाल सरकार को भी दिल्ली में मंदिरों में श्रद्धालुओं को दर्शनों की इजाजत देनी चाहिए। जब दिल्ली के थोक और खुदरा बाजार खुलने से कोरोना नहीं फैला तो मंदिरों में दर्शन करने पर तो इसकी बिलकुल भी आशंका नहीं है। क्योंकि मंदिरों में तो दिशानिर्देशों का ज्यादा अच्छी तरह से पालन कराया जा सकता है, जबकि बाजारों में ऐसा बिलकुल नहीं है। यहां तक कि बाजारों में तो सरकार निगरानी भी नहीं करवा पा रही है।