पैरामिलिट्री फोर्सेजः सुरक्षा की जिम्मेदारी… खुद असुरक्षा में हिस्सेदारी

– कोर्ट के आदेश के बावजूद नहीं जारी हुआ नोटिफिकेशन
-प्रमोशन, डेपुटेशन, वतनमान व अन्य असमानताओं का मामला

टीम एटूजेड/नई दिल्ली
कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को खूब वाहवाही मिल रही है। लेकिन जम्मू-कश्मीर में शांति व्यवस्था बनाए रखने में अहम भूमिका निभाने वाले अर्धसैन्य बल खुद न्याय पाने के लिए संघर्षरत हैं। दूसरों की सुरक्षा की गारंटी लेने वाले इन बलों के लोग खुद असुरक्षा के घेरे में हैं। उन्हें दूसरे सुरक्षा बलों की तरह समानता का अधिकार पाने के लिए जद्दोजेहद करनी पड़ रही है। सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ और एसएसबी जैसी पैरामिलिट्री फोर्सेज के अधिकारियों को न्याय पाने के लिए कोर्ट तक जाना पड़ा। कोर्ट का फैसला हक में आने के बावजूद इन बलों को वेतनमान, प्रमोशन और बड़े पदों पर नियुक्ति जैसी कई असमानताओं का सामना करना पड़ रहा है।
देश के किसी भी हिस्से में शांति और कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए सबसे पहले इन्हीं अर्ध सैनिक बलों को याद किया जाता है। जम्मू-कश्मीर ही नहीं कई दूसरे राज्यों में भी पैरामिलिट्री फोर्सेज अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। लेकिन इन सैन्य बलों के करीब 20 हजार पूर्व और वर्तमान अधिकारी आज भी इस सेवा में व्याप्त असमानताओं का सामना कर रहे हैं।
आईपीएस लॉबी का विरोधः
माना जा रहा है कि अर्धसैनिक बलों के अधिकारों के बीच आईपीएस लॉबी आती रही है। बीएसएफ के पूर्व शीर्ष अधिकारी एसके सूद का कहना है कि आईपीएस अधिकारियों को इन बलों में बड़े पदों पर तैनात किया जाता है। यहां वह इन बलों के अधिकारों का अनुचित लाभ उठाते हैं। इसलिए वह नहीं चाहते कि इन बलों के अधिकारियों को ज्यादा अधिकार और समान सामर्थ्य मिले। इस मामले को लेकर अर्ध सैनिक बलों से जुड़े अधिकारी जब कोर्ट गए तो आईपीएस लॉबी ने इस पर विरोध जताया था। आरोप है कि आईपीएस लॉबी मंत्रालय के स्तर पर फैसला लेने में भागीदार है। इसीलिए पैरामिलिट्री फोर्सेज के हक में फैसले लेने में देरी हो रही है।
अवमानना के केस की तैयारीः
अर्धसन्य बलों के पूर्व आला अधिकारियों का कहना है कि हमने अपना पक्ष कोर्ट में रखा है। सरकार ने भी माना है कि इन बलों को समान अधिकार होने चाहिए। इसके बावजूद नोटिफिकेशन जारी करने में देरी की जा रही है। इस मामले को लेकर कोर्ट के आदेश की अवमानना का मामला भी दायर करने की तैयारी की जा रही है।
नोटिफिकेशन से दूर होंगी असमानताएंः
दरअसल कोर्ट के आदेश के बाद गृह मंत्रालय की ओर से नोटिफिकेशन जारी करने में देरी हो रही है। नोटिफिकेशन जारी होते ही पैरामिलिट्री फोर्सेज के अधिकारियों को बड़े पदों पर ज्यादा नियुक्तियां मिल सकेंगी। इसके अलावा समान पद के लिए समान वेतन जैसा मुद्दा भी सुलझ जाएगा। लेकिन इससे आईपीएस अधिकारियों की इन बलों में प्रतिनियुक्तियों पर असर पड़ेगा। माना जा रहा है कि इसी वजह से नोटिफिकेशन में लगातार देरी हो रही है। मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को होनी है।