नॉर्थ डीएमसीः व्यवस्था लाचार… आयुष के अस्पताल खुद बीमार

-उत्तरी दिल्ली नगर निगम के 7 बड़े अस्पताल और 69 औषधालय पूरी तरह से बंद
-आयुक्त ने 55 साल से ऊपर वालों को भी काम पर बुलाया, लेकिन नहीं खोले अस्पताल
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। अरबों रूपये खर्च कर बनाए गए नॉर्थ डीएमसी के आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथी चिकित्सा के अस्पताल कोरोना से लड़ाई लड़ने से पहले ही धराशायी हो गए हैं। लोगों का इलाज करने के बजाय यह अस्पताल निगम के शीर्ष अधिकारियों की मनमानी के चलते बंद पड़े हैं। कोरोना के नाम पर बंद किए गए निगम के यह अस्पताल और डिस्पेंसरीज गृह मंत्रालय की ओर से मिली ढील के बावजूद धूल फांक रहे हैं। इन अस्पतालों के डॉक्टर्स और दूसरे कर्मचारियों को बिना अस्पताल और डिस्पेंसरी खोले बैठाकर करोड़ों रूपये की सेलरी दी जा रही है। जनता के टैक्स का अरबों रूपया बरबाद हो रहा है लेकिन जोन अधिकारियों से लेकर निगम आयुक्त तक सभी अधिकारी इसकी जिम्मेदारी लेने या जवाबदेही से भाग रहे हैं।
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बता दें कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आयुर्वेदिक, योगा एवं नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी (आयुष) विभाग के तहत सात बड़े अस्पताल और 69 औषधालय संचालित किए जाते हैं। इनमें से बल्लीमारान और हैदरपुर में आयुर्वेदिक अस्पताल हैं। जबकि बेगमपुर, राजेंद्र नगर, करमपुरा, प्रशांत विहार और पदम नगर में पंचकर्म अस्पताल हैं। कोरोना संकट से पहले तक यह अस्पताल चल रहे थे, लेकिन कोरोना संकट और लॉकडाउन के चलते इन्हें बंद कर दिया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से दिशानिर्देशों में ढील दिए जाने के बाद दिल्ली सरकार ने राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को सुचारू करने के आदेश दिए हैं। दिल्ली सरकार की ओर से 55 साल से ऊपर की आयु वाले कर्मियों को भी ड्यूटी पर बुलाने के आदेश जारी किये गए तो उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने भी अपने 55 साल से ऊपर की आयु वाले कर्मचारियों को ड्यूटी पर आने का आदेश जारी कर दिया। लेकिन अरबों रूपये की लागत से बने आयुष के अस्पताल अब भी बंद पड़े हैं। इसकी वजह से रोजाना हजारों लोग नगर निगम की स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने से वंचित हैं।
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गौरतलब है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पास आयुष के सात बड़े अस्पतालों में से पांच पंचकर्म अस्पताल हैं। वर्तमान समय में कोरोना महामारी के चलते लोग घरों में बंद हैं। कोरोना महामारी से लड़ने के लिए एक मात्र उपाय लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी सिस्टम) को मजबूत बनाना है। आयुर्वेदिक व पंचकर्मा अस्पतालों का काम भी लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है। दिल्ली नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त एसपी अग्रवाल ने निगम के अस्पतालों को पंचकर्म अस्पताल बनाने में महत्वपूर्ण भुमिका निभाई थी। उन्होंने इसके लिए विशेष तौर पर केरल का भ्रमण किया था। इसके बाद दिल्ली नगर निगम के पंचकर्म अस्पतालों को वर्तमान स्वरूप दिया गया था।
आयुष विभाग के एक आला अधिकारी के मुताबिक निगम आयुक्त को इस मामले में निर्णय लेना है। उन्होंने कोरोना-लॉकडाउन की वजह से आयुष के सभी अस्पतालों और डिस्पेंसरीज को बंद करने के आदेश तो जारी किए थे, लेकिन अभी तक इन्हें खोलने के आदेश जारी नहीं किए हैं। आयुष विभाग के अधिकारी अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। लेकिन जब तक निगम आयुक्त की ओर से अस्पतालों और डिस्पेंसरीज को खोलने के आदेश नहीं आते, तब तक इन्हें नहीं खोला जा सकता। अधिकारी ने बताया कि आयुष विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर्स अपनी ड्यूटी पर आ रहे हैं। लेकिन अस्पताल और डिस्पेंसरीज बंद होने की वजह से बाकी डॉक्टर्स और स्टॉफ अपने घर पर है।
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आयुष विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विभाग के डॉक्टर्स और स्टाफ के दूसरे लोग तो अस्पतालों, पंचकर्म सेंटर्स और डिस्पेंसरीज में आकर लोगों की सेवा करना चाहते हैं, लेकिन इन्हें खोलने का निर्णय कमिश्नर को लेना है। कमिश्नर ने बाहर से आकर दिल्ली में निगम का काम करने वाले कर्मियों के लिए भी बॉर्डर पर होने वाली परेशानियों को दूर करने में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
उन्होंने बताया कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने दिल्ली से बाहर रहने वाले अपने कर्मचारियों के लिए दिल्ली में रहकर काम करने पर अलग से भुगतान करने के आदेश जारी किए हैं। लेकिन उत्तरी दिल्ली नगर निगम की ओर से इस तरह की व्यवस्था भी नहीं की गई। आयुष विभाग के जिन अधिकारियों को सिविक सेंटर स्थित मुख्यालय में बुलाया जा रहा है, वह लोग नियमित तौर पर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। दूसरी ओर उत्तरी दिल्ली नगर निगम के शीर्ष अधिकारियों ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। एटूजैड न्यूज ने निगम आयुक्त और निदेशक- प्रेस एवं सूचना विभाग से जानकारी लेने का प्रयास किया गया, लेकिन इस विषय में कोई भी अधिकारी सामने आकर बोलने के लिए तैयार नहीं है।
काम पर नहीं निगम आयुक्त का ध्यानः आप
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता हरीश अवस्थी ने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम किसी भी काम को ठीक ढंग से नहीं कर पा रहा है। शीर्ष अधिकारियों की वजह से निगम की हालत अस्त-व्यस्त हो गई है। निगम आयुक्त का ध्यान निगम की सेवाओं को सुचारू करने के बजाय सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने पर ज्यादा है। अधिकारियों ने आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक इलाज की व्यवस्था को खत्म कर दिया है। जब दिल्ली में दूसरे विभाग खुल रहे हैं तो आयुष विभाग के सात बड़े अस्पताल और डिस्पेंसरीज को भी खोला जाना चाहिए था।
उत्तरी दिल्ली नगर निगम कोरोना महामारी से लड़ने में पूरी तरह से असफल रहा है। सबसे ज्यादा गरीब पूर्वी दिल्ली नगर निगम को कहा जाता है, लेकिन वहां भी इस निगम से हालात ज्यादा ठीक हैं। निगम आयुक्त वर्षा जोशी अपनी जिम्मेदारी संभालने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही हैं और सत्ता में बैठे बीजेपी नेता अधिकारियों से काम करवा पाने में असफल हैं।
जनता के पैसे का सरेआम दुरूपयोग: गोयल 
कांग्रेस ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम की सेवाओं की अस्त-व्यस्त हालत को जनता के पैसे का खुलेआम दुरूपयोग बताया है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस के नेता मुकेश गोयल ने कहा कि बीजेपी सत्ता में है, उसकी जिम्मेदारी बनती है कि दिल्ली वालों को नगर निगम की सुविधाएं दिलाए। यदि निगम आयुक्त या दूसरे अधिकारी व्यवस्थाओं को सुधारने में नाकाम साबित हो रहे हैं तो उन्हें निगम में तुरंत दूसरे अधिकारी लगवाने चाहिए। आज अधिकारियों की लापरवाही और बेरूखी की वजह से अरबों रूपये खर्च करके खड़ी की गई आयुष विभाग की स्वास्थ्य सेवाओं का उपयोग नहीं हो पा रहा है।
कमिश्नर ने जारी नहीं किया आदेशः मेयर
उत्तरी दिल्ली के महापौर अवतार सिंह ने बताया कि आयुष के अस्पताल और डिसपेंसरीज को बंद कराने के आदेश निगम आयुक्त ने दिए थे। लेकिन इसके बाद अभी तक उन्होंने इन्हें खालने के आदेश जारी नहीं किए हैं। इसकी वजह से निगम के कार्यक्षेत्र में आने वाले सभी अस्पताल, पंचकर्म अस्पताल और डिस्पेंसरीज अभी बंद हैं। महापौर ने कहा कि अधिकारियों का कहना है कि कोरोना का इलाज आयुष के अस्पतालों में नहीं होता, इसलिए अभी तक इन्हें बंद रखा गया है।