सुप्रीम कोर्ट पर नहीं भरोसा- उदितराज

-भाजपा सांसद बोले- न्याय पालिका पर कुछ परिवारों का कब्जा

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
भाजपा सांसद उदित राज ने न्यायपालिका पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि न्यायपालिका को कानून बनाना और प्रशासन चलाना बंद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था में गुरू-शिष्य परंपरा को खत्म करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जज बनाने के लिए किसी योग्यता की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि एससी/एसटी/ओबीसी के लिए सुप्रीम कोर्ट का रास्ता बंद कर दिया गया है। जिन जजों की खुद की नियुक्ति नियमों से नहीं होती, वह यह तय करते हैं कि कौन चुनाव लड़ेगा और कौन नहीं लड़ेगा। जजों की नियुक्ति के लिए कोई मैरिट नहीं होती। इसी तरह जनहित याचिकाओं का भी दुरूपयोग हो रहा है। उन्होंने सवाल उठाए कि कुछ अमीर लोग जनहित याचिका लगाते हैं और दो-तीन जजों की बैंच उस पर फैसला दे देती है। वह दो-तीन जज पूरे देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते तो फिर उनका फैसला कैसे सही साबित हो सकता है? उदित राज ने मांग की कि न्यायपालिका में आरक्षण लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी मांग को लेकर 3 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में एससी/एसटी संगठनों का सम्मेलन बुलाया जा रहा है।

मैरिट से हो जजों की नियुक्तिः
उदित राज ने कहा कि जजों की नियुक्ति किसी मैरिट के आधार पर नहीं होती। उन्होंने उदाहरण दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट किसी भी वकील का नाम जज के लिए प्रस्तावित कर देता है। ऐसे वकील को न तो कोई लिखित परीक्षा देनी पड़ती है, नाही कोई इंटरव्यू देना होता है और ना ही उस वकील के द्वारा लड़े गए केसों की भी कोई जांच नहीं होती। ऐसे जज पूरे देश की मैरिट तय करते हैं, जो कि गलत है और यह व्यवस्था तुरंत बंद होनी चाहिए।

एससी/एसटी एक्ट पर छलका दर्दः
एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका पर सांसद उदित राज का दर्द छलक गया। उन्होंने कहा कि 20 मार्च को एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि किसी भी मामले में जांच से पहले गिरफ्तारी नहीं होगी। लेकिन उसे संसद ने खत्म कर दिया था, लेकिन अब फिर से एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल पड़ गई है और सुप्रीम कोर्ट ने उसे स्वीकार भी कर लिया है। जब संसद ने संशोधन कर दिया था तो यह मामला यहीं पर रूक जाना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट में एक-एक हियरिंग के लाखों रूपये लिए जाते हैं। कोई गरीब और आम आदमी सुप्रीम कोर्ट में जा ही नहीं सकता।

बंद हो गुरू-शिष्य परंपरा
उदित राज ने आरोप लगाया कि कुछ गिने-चुने परिवारों को न्यायपालिका पर कब्जा है। वही लोग अपने शिष्यों को जज नियुक्त करते हैं। जब गुरू रिटायर होते हैं तो वह अपने चेलों को नया जज नियुक्त कर देते हैं। यह व्यवस्था बंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी वह इस मांग को संसद में नहीं उठाएंगे, लेकिन आगे चलकर इस मांग को संसद में भी उठाया जाएगा।