-दंगाईयों से क्राइम ब्रांच ने बरामद किए बिहार निर्मित हथियार
-तस्करों ने स्वीकारी दिल्ली-एनसीआर में आपूर्ति करने की बात
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में बिहार के मुंगेर ब्रांड के पिस्टल और तमंचों ने आग उगली थी। दंगों में आतताईयों ने मुंगेर में बने अवैध पिस्टल और तमंचों का इस्तेमाल किया था। दंगों के दौरान दंगाईयों ने हजारों राउंड गोलियां चलाई थीं। इसकी वजह से पुलिस वालों सहित करीब साढ़े चार दर्जन लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
यह बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की जांच के दौरान सामने आई है कि मुंगेर मेड पिस्टलों का हिंसा में जमकर इस्तेमाल हुआ था। गिरफ्तार किए गए अधिकतर दंगाइयों के पास से बिहार मेड पिस्टल बरामद हुई है। इनमें प्रतिबंधित नाइन एमएम से लेकर 315 बोर के असलहे शामिल हैं। खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिली है कि दिल्ली और आसपास के सटे यूपी के इलाकों में बिहार से असलहों की सप्लाई का रूट चंदौली बना था।
बिहार से चंदौली और वहां से दिल्ली ट्रेन के जरिए असलहों की तस्करी की जा रही थी। गुडवर्क का खेल कहें या फिर सटीक मुखबिरी कि चंदौली पुलिस व जीआरपी दीन दयाल उपाध्याय टर्मिनल स्टेशन की टीम बीते तीन साल से हर साल औसतन 100 पिस्टल और 500 से ज्यादा कारतूस बरामद कर रही हैं। पकड़े गए तस्करों में ज्यादातर बिहार और झारखंड के रहने वाले हैं। पकड़े गए तस्करों ने दिल्ली व उससे सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तस्करी के जरिए अवैध हथियारों की आपूर्ति की बात स्वीकार की है।
एजेंसियां नहीं लगा पाई साजिश का अंदाजा
समय-समय पर भारी संख्या में एक साथ असलहों की बरामदगी के बावजूद खुफिया एजेंसियां और उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ दिल्ली पुलिस भी गहरी साजिश का अंदाजा नहीं लगा पाई। जबकि लंबे समय से इतनी बड़ी मात्रा में हथियारों और कारतूसों की तस्करी दिल्ली व आसपास के इलाकों में हो रही थी।
मोदी के पड़ाव से आठ किलोमीटर दूर था असलहों का जखीरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 फरवरी को बनारस पहुंचे थे। इस दौरान पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए वह चंदौली के पड़ाव पर पहुंचे थे। इसी दौरान जीआरपी डीडीयू स्टेशन की टीम ने झारखंड के दो तस्करों से 24 पिस्टल और 48 मैगजीन बरामद किये थे। इससे पहले 22 जुलाई 2019 को भी इतनी ही संख्या में पिस्टल बरामद की गई थीं।
गोल्ड और गन की तस्करी वाया पीडीडीयू नगर
एशिया के सबसे बड़े यार्ड के रूप में अपनी पहचान रखने वाले पीडीडीयू नगर को पहले मुगसलराय रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाता था। यह स्टेशन बीते कुछ समय से सोने-चांदी और असलहों के साथ कछुओं की तस्करी का बड़ा रूट बन गया है। बिहार व पश्चिम बंगाल की ट्रेनें पीडीडीयू नगर होकर दिल्ली-मुंबई व पश्चिम उत्तर प्रदेश जाती हैं। पीडीडीयू नगर के जरिए पश्चिम बंगाल से आने वाली ट्रेनों से सोने-चांदी, कछुआ, नकली नोटों की व बिहार के रास्ते असलहों की तस्करी की जाती है।