‘आपातकाल में जेल भेजे गये थे 200 से ज्यादा पत्रकार’

-आपातकाल की घोषणा के 48वें वर्ष की पूर्व संध्या पर आयोजित संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकारों ने रखे अपने विचार
-’विनोबा भावे ने आपातकाल को अनुशासन-पर्व कभी नहीं कहा’: राम बहादुर राय
-‘इंदिरा को आंदोलन से ज्यादा अखबारों से खतरा था’ः आलोक मेहता’
-‘आपातकाल में 2 सौ से ज्यादा पत्रकार जेल भेजे गए थे’ -हितेश शंकर’

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली, 24 जून।
‘आचार्य विनोबा भावे ने आपातकाल को अनुशासन पर्व कभी नहीं कहा था, यह प्रचार-प्रसार गांधीवादी नेता निर्मला देशपांडे ने प्रेस के जरिये देशभर में करवाया था। यह खुलासा आपातकाल में जेल में रहे वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री राम बहादुर राय (Ram Bahadur Rai) ने किया है।
25 जून 1975 की रात को आपातकाल लागू किया गया था उसकी पूर्व संध्या पर आयोजित आपातकाल और प्रेस विषय पर एक एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए हिंदुस्तान समाचार के प्रधान संपादक पद्मश्री राम बहादुर राय ने कहा कि आपातकाल के दौरान अटल बिहारी वाजपेई ने विनोबा भावे से मिलकर इंदिरा गांधी पर देश में चुनाव कराने का दबाव बनवाया था, लेकिन विनोबा भावे ने कभी भी आपातकाल का पक्ष नहीं लिया। हालांकि यह भ्रम फैलाया गया कि उन्होंने आपातकाल को अनुशासन-पर्व कहा था। उन्होंने यह भी कहा कि आपातकाल के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भूमिगत होकर संगठित तरीके से पूरे देश भर में काम किया था।
एनयूजेआई (NUJI) स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन एवं दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (Delhi Journalists Association) द्वारा आयोजित संगोष्ठी में आईटीवी के संपादकीय निदेशक पद्मश्री डॉ आलोक मेहता (Alok Mehta) ने कहा कि इस समय पत्रकारों के बीच यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि देश में आपातकाल जैसी स्थिति है। उन्होंने कहा कि आज भी प्रेस को पूरी स्वतंत्रता है कि वह तथ्यों के आधार पर समाचारों का प्रकाशन करें। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी कहां करती थी कि हमें जयप्रकाश के आंदोलन से उतना खतरा नहीं है जितना अखबारों से है।
पांचजन्य (Panchjaya) के संपादक हितेश शंकर ने (Hitesh Shankar) कहा कि आपातकाल के दौरान 2 सौ से ज्यादा पत्रकार विभिन्न जेलों में गिरफ्तार किए गए थे, लेकिन आपातकाल के बाद हुए आम चुनावों ने यह तय कर दिया था कि यह देश सत्ता की सनक से नहीं बल्कि संविधान से चलाया जाता है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स (NUJI) के अध्यक्ष रास बिहारी (Rasabihari) ने कहा प्रेस और मीडिया में आज भी कई राज्यों में आपातकाल जैसी स्थिति है। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम लेते हुए कई राज्य सरकारों पर आरोप लगाया कि वहां पर मीडिया पूरी तरह से सरकारों के नेतृत्व में काम कर रही है। संगोष्ठी में स्कूल आफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन के अध्यक्ष अनिल पांडेय, केपी मलिक, अमलेश राजू, ऊषा पहवा, एवं संयोजक राकेश थपलियाल ने भी विचार व्यक्त किए।