-मरकज में विदेशों से हो रही थी मोटी फंडिंग
-24 से 48 घंटे में साफ हो जाता था अकाउंट
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
निजामुद्दीन के एक बैंक खाते के मरकज कनेक्शन ने दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के होश उड़ा रखे हैं। इस बैंक खाते में विदेशों से मोटी रकम आती थी। लेकिन फिर भी यह खाता ज्यादातर खाली ही रहता था। इस बैंक खाते से या तो रकम निकाल ली जाती थी, या फिर दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दी जाती थी। फिलहाल क्राइम ब्रांच यह पता लगाने में जुटी है कि आखिर इस खाते में आने वाला पैसा किस काम के लिए आता था और किसके कहने पर उसे इधर से उधर कर दिया जाता था। दिल्ली पुलिस को आशंका है कि यह पैसा हवाला के जरिए आ रहा था और इसका उपयोग गैर-कानूनी गतिविधियों के लिए तो नहीं किया जा रहा था।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को जांच के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे हैं। तबलीगी जमात के मकरज का एक खाता निजामुद्दीन के बैंक ऑफ इंडिया में है। इस खाते में मोटा लेन-देन चलता रहा है। इसमें रोजाना मोटी रकम आती थी। पुलिस मौलाना साद से इस खाते के बारे में जानकारी हासिल करना चाहती है। आश्चर्य की बात यह है कि इस खाते में विदेशों से पैसे आने के 24 से 28 घंटे के अंदर करोड़ों रुपये गायब कर दिए जाते थे। या तो पैसा निकाल लिया जाता था या फिर अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता था। खास बात है कि इस बैंक खाते के लेन-देन की जानकारी क्राइम ब्रांच और ईडी से छिपाई जा रही है।
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क्राइम ब्रांच को मिली जानकारी के मुताबिक मरकज के नाम पर होने वाली फंडिंग की कमान मौलाना साद, उसके दो बेटे व एक भांजे के हाथ में रहती थी। यह चारों ही सारे लेनदेन की पूरी मॉनिटरिंग करते थे। इस खाते में विदेशों से हुइ्र करोड़ों की फंडिंग को लेकर ही प्रवर्तन निदेशालय ने भी एक एफआईआर दर्ज कर इसकी जांच शुरू कर दी है। फिलहाल ईडी हवाला फंडिंग के एंगल से अपनी जांच को आगे बढ़ा रही है।
क्राइम ब्रांच अब तक साद के करीबी लोगों, चश्मदीद गवाहों व मरकज के कर्मचारियों आदि करीब 60 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। इनमें से ज्यादातर के बयान भी दर्ज किये जा चुके हैं। कोरोना संक्रमण के चलते क्राइम ब्रांच ने अभी साद और प्रबंधन से जुड़े छह दूसरे मौलानाओं को गिरफ्तार नहीं किया है।
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पकड़ने में नाकाम रहीं एजेंसियां
तबलीगी जमात के मरकज के नाम पर विदेशों से करोड़ों रूपये की फंडिंग हो रही थी। बैंक ऑफ इंडिया के एक खाते से ट्रांजेक्शन आते ही करोड़ों रूपये निकल जाते थे। लेकिन भारतीय जांच एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लग सकी। जब तक कोरोना के नाम पर मरकज में बड़ा बवाल नहीं हो गया, तब तक इतने बड़े स्तर का लेन-देन न तो प्रवर्तन निदेशालय और ना ही किसी दूसरी कोई एजेंसी की नजर में आया। जब मामले ने तूल पकड़ा और क्राइम ब्रांच ने इसकी जांच शुरू की, तब उसी की सिफारिश पर ईडी की नजर में पूरा मामला आ पाया।
पांचवं नोटिस की तैयारी
‘महामारी के मरकज’ के नाम से प्रसिद्ध हो चुके तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद को क्राइम ब्रांच लगातार नोटिस भेज रही है। अब तक चार नोटिस भेजे जा चुके हैं। लेकिन साद न तो पुलिस को इन नोटिसों का ठीक से जवाब दे रहा है और न ही जांच में सहयोग करने के लिए सामने आ रहा है। क्राइम ब्रांच को चौथा नोटिस भेजे भी तीन दिन हो चुके हैं। लेकिन मौलाना की ओर से इसका कोई जवाब नहीं आया है। अब क्राइम ब्रांच साद को पांचवा नोटिस भेजने की तैयारी में है।
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मांगी आय-व्यय की जानकारी
क्राइम ब्रांच के एक आला अधिकारी ने बताया कि मौलाना साद को भेजे गए पहले नोटिस में तबलीगी मरकज संस्था व प्रबंधन से जुड़े सभी सदस्यों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी गई थी। साद सेमरकज के सभी बैंक खातों व उसमें आने वाले देश विदेश से फंडिंग की जानकारी, आयकर रिटर्न आदि जानकारी भी मांगी गई थी। लेकिन मौलाना साद के वकील ने गोलमोल जवाब दिए थे। इसके बाद से बार-बार साद को लीगल नोटिस देने पड़ रहे हैं।
चौथे नोटिस में जांच रिपोर्ट और जानकारी मांगी
क्राइम ब्रांच ने अपने चौथे नोटिस में साद से दस्तावेजों के साथ पूरी जानकारी मांगी है। अधिकारी ने बताया कि मौलाना साद जानबूझकर कोई जानकारी नहीं दे रहा है। मुकदमे के लिए साद ने चार वकीलों की टीम बनाई है। इन वकीलों के जरिये ही वह क्राइम ब्रांच को जवाब भिजवा रहा है। क्राइम ब्रांच का कहना है कि मरकज के कई बैंक खाते हैं, लेकिन साद हजरत निजामुद्दीन स्थित बैंक ऑफ इंडिया में स्थित खाते के बारे में ही जानकारी नहीं दे रहा है। इस खाते में रोज बड़ी रकम आती थी, जिसे 24 से 48 घंटे में कई अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता था। इसे लेकर भी वह कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे रहा है।
सरकारी अस्पताल में कोरोना की जांच कराए मौलाना
क्राइम ब्रांच के मुताबिक साद को भेजे गए नोटिस व वकीलों के जरिये मौलाना को साफ कहा गया है कि वह ऑल इंडिया मेडिकल इंसटीट्यूट (एम्स) में कोरोना की जांच करवाकर रिपोर्ट जमा कराए। अभी तक साद के वकीलों ने जांच रिपोर्ट क्राइम ब्रांच को सौंपने का झूठा दावा किया है। निजी लैब की जांच रिपोर्ट क्राइम ब्रांच स्वीकार नहीं करेगी।