केजरीवाल का मुस्लिम प्रेमः इमामों पे करम पुजारियों को ठेंगा

-‘आप’ पर मुस्लिम वोटों को रिझाने का आरोप
-इमामों को गैरकानूनी रूप से सेलरी बांट रही सरकार
-दिल्ली सरकार ने किया आचार संहिता का उल्लंघन

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार के मुस्लिम प्रेम और हिंदुओं को ठेंगा दिखाए जाने पर आपत्ति जताई है। भाजपा ने आप सरकार पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप भी लगाया है। दिल्ली विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि केजरीवाल सरकार ने मस्जिदों के इमामों को गैरकानूनी रूप से सेलरी बांटी है। प्रदेश भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में इस मौके पर दिल्ली के चुनाव सह प्रभारी जयभान सिंह पवैया भी मॉजूद रहे। दोनों नेताओं ने कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के पैसे को गलत ढंग से ट्रांसफर करके चुनाव की आचार संहिता का उल्लंघन किया जा रहा है। इस मौके पर मीडिया प्रमुख अशोक गोयल मौजूद रहे।

500 इमामों को बांटी जा रही सेलरीः
विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि दिल्ली की करीब 250 मस्जिदों के करीब 500 इमामों और उनके सहयोगियों को 36 हजार रूपये प्रति माह और 32 हजार रूपये प्रतिमाह के हिसाब से चेक बांटे गए हैं। यह सीधे तौर पर आचार संहिता के उल्लंघन के साथ सरकारी धन का दुरूपयोग है। नियमानुसार वक्फ बोर्ड के बैंक खाते का संचालन बोर्ड के सीईओ और एक मेंबर द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है। लेकिन इसका अधिकार एक मंत्री और विधायक को गैरकानूनी ढंग से देकर चेक बांटे जा रहे हैं। उन्हांने कहा कि केजरीवाल सरकार द्वारा सरकारी खजाने को करोड़ों रूपये की चपत लगाई जा रही है।

दिल्ली निर्वाचन आयोग ने भेजा नोटिसः
दिल्ली निर्वाचन आयोग ने केजरीवाल सरकार के इस कदम को गैरकानूनी करार देते हुए नोटिस भेजा है। आयोग की ओर से दिल्ली सरकार को एक नोटिस पहले भेजा गया था। लेकिन सरकार की ओर से उसक कोई जवाब नहीं दिया गया था। इसके बाद एक बार फिर से आयोग की ओर से सरकार को नोटिस भेजा गया है।

मंदिरों के पुजारियों के साथ भेदभाव क्यों?
विजेंद्र गुप्ता ने सवाल उठाया कि चुनाव के मौके पर ही केजरीवाल सरकार ने मस्जिदों के इमामों को चेक क्यों बांटे? उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि यदि मस्जिदों के इमामों को सेलरी दी जा सकती है तो मंदिरों के पुजारियों के साथ केजरीवाल सरकार भेदभाव क्यों कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि मुस्जिदों के इमामों को सेलरी दी जा सकती है तो मंदिरों के पुजारियों को भी वेतन दिया जाना चाहिए।