-कंपनियां दिल्ली वालों को भेजे रहीं लॉकडाउन में बिजली के बिल
-एक ओर किराया न लेने की अपील दूसरी ओर वसूली का फरमान
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
राजधानी में बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनियों का गैर-संवेदनशील चेहरा सामने आया है। देश की राजधानी में लागू लॉकडाउन के बीच दिल्ली वालों को बिजली के बिल भेजे जा रहे हैं। इन्हें इस अवधि के दौरान ही जमा कराने की तारीख भी दी गई है। ऐसे में पहले से रोजगार की मार झेल रहे दिल्ली में रह रहे किरायेदारों खास तौर पर दिल्ली के असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के सामने एक और गंभीर संकट खड़ा हो गया है। दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मांग की है कि मानवता के आधार पर तुरंत बिजली और पानी के बिलों की वसूली को स्थगित किया जाए।
दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने अपने ट्वीट में कहा है कि एक ओर दिल्ली में रहने वाले लाखों किराएदार और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोग अपने घरों पर बैठे हैं। यह लोग लॉकडाउन के दौरान राष्ट्र हित में घर पर बैठ कर अनेक परेशानियां भोग रहे हैं। दूसरी ओर दिल्ली सरकार की साझेदारी वाली बिजली कंपनी बीएसईएस ने गत महीने के बिल जारी करके बिजली बिलों की वसूली शुरू कर दी है।
बिजली बिलों में जमा कराने की अंतिम तारीख मार्च के अंतिम सप्ताह से लेकर अप्रैल के प्रथम सप्ताह की दी गई है। खास बात है कि इस दौरान लॉकडाउन जारी रहेगा और मोदी सरकार के साथ ही खुद दिल्ली सरकार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों से अपने घरों में ही रहने की अपील की है। प्रवीन शंकर कपूर ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अभी कुछ दिन पहले ही दिल्ली के मकान मालिकों से अपील की थी कि वह अपने किराएदारों से किराए की वसूली के लिए दबाव नहीं बनाएं और उन्हें किराया देने के लिए दो महीने का समय दें या उन्हें किराया किश्तों में भरने की छूट दें। दूसरी ओर दिल्ली सरकार की भागीदारी वाली बिजली कंपनियां बिजली बिलों की वसूली के लिए जोर लगा रही हैं।
बता दें कि दिल्ली में संगठित व असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले बहुत से लोग किराए पर रहते हैं। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लाखों लोगों को अपना बिजली बिल बढ़े हुई दरों के साथ मालिकों को चुकाना होता है। ऐसे में बिजली कंपनियों द्वारा मासिक बिल जारी किए जाने की वजह से ऐसे लाखों लोगों के सिर पर बिजली बिलों का बोझ बढ़ गया है, जो लॉकडाउन होने की वजह से अपने घरों पर बैठे हैं।