-सरकारी कामकाज में बाधा बनी रहेंगी जमानत की शर्तें
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 13 सितंबर।
तथाकथित दिल्ली शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और उसके बाद सीबीआई (CBI) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के छह महीने बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) को शुक्रवार को जमानत मिल गई। हालांकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सीबीआई की कार्यशैली पर भी तल्ख टिप्पणी की। परंतु आम आदमी पार्टी (AAP) और इसके संयोजक अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होने वाली नहीं हैं।
अरविंद केजरीवाल को दी गई जमानत के साथ कोर्ट ने जो पाबंदियां लगाई हैं, उनकी वजह से कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। गौरतलब है कि जेल से रिहाई ऐसे वक्त में हुई है जब हरियाणा विधानसभा के चुनाव (Harayana Assembly Elections) हो रहे हैं। ऐसे में वहां के कार्यकर्ताओं के साथ ही दिल्ली के कार्यकर्ताओं का भी जोश एकाएक बढ़ गया है। दिल्ली में भी कुछ समय बाद ही चुनाव होने वाले हैं। दो राज्यों के चुनाव को देखते हुए कोर्ट की पाबंदी के साथ जेल से बाहर आने वाले अरविंद केजरीवाल के सामने कई चुनौतियां मुंहबाये खड़ी हैं।
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि जमानत की शर्तें अरविंद केजरीवाल को उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में कर्तव्यों का पालन करने की आजादी नहीं देती हैं। क्योंकि रिहाई के बाद भी वह सचिवालय या अपने सीएम ऑफिस नहीं जा सकते। केवल इतना ही नहीं बल्कि उन फाइलों के अलावा किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं जिन्हें उपराज्यपाल द्वारा मंजूरी दी जानी है।
दो राज्यों के विधानसभा चुनाव और पार्टी की चुनौतियां
अरविंद केजरीवाल के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती हरियाणा विधानसभा चुनाव हैं। कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होने के बाद उनके सामने अकेले दम पर राज्य में खाता खोलने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने का बड़ा दबाव है। दूसरी ओर दिल्ली में मंत्रिमंडल का पुनर्गठन होना बाकी है। समाज कल्याण मंत्री राज कुमार आनंद के इस्तीफा देने के बाद सात सदस्यीय मंत्रिमंडल में एक कैबिनेट पद खाली है। दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया जेल से बाहर हैं। अतः चुनाव से पहले उन्हें भी मंत्रिमंडल में शामिल करके जनता के बीच मैसेज देने की कोशिश रहेगी।
खास बात है कि अगले वर्ष की शुरुआत में दिल्ली में चुनाव होने हैं। चुनाव में काफी कम समय बचा है और दिल्ली विधानसभा को भंग करने व राष्ट्रति शासन लगाये जाने की अटकलें भी तेज हो गई हैं। ऐसे में पार्टी के स्तर पर और सरकार के स्तर पर उनके सामने दोहरी चुनौती है।
सही समय पर हुई रिहाई!
दिल्ली के मुख्यमत्री अरविंद केजरीवाल की रिहाई को आम आदमी पार्टी के अंदर सही समय माना जा रहा है। कारण है कि हरियाण विधानसभा चुनाव के लिए यह चुनाव प्रचार का समय है। केजरीवाल की रिहाई के बाद आप कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ गया है। एक-दो दिन में अरविंद केजरीवाल की रैलियों और जनसभाओं का कार्यक्रम तय किया जा सकता है। ऐसे में पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार है। हरियाणा के आप प्रमुख सुशील गुप्ता ने केजरीवाल की रिहाई के बाद कहा कि अब पार्टी अपनी पूरी शक्ति के साथ हरियाणा विधानसभा चुनाव में उतरेगी और केजरीवाल अपने उम्मीदवारों के पक्ष में जमकर प्रचार करेंगे।