-बीजेपी की ‘एंटी इनकमबेंसी’ को कितना भुना पायेगा चार धड़ों में बंटा विपक्ष?
हीरेंद्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 11 सितंबर।
देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) से सटे हरियाणा (Haryana) के सियासी संग्राम में हर रोज नये प्रयोग देखने को मिल रहे हैं। बीजेपी (BJP) बीते एक दशक से हरियाणा विधानसभा की सत्ता में काबिज है। सियासी विशेषज्ञ मानकर चल रहे थे कि इस बार कांग्रेस के पक्ष में हवा है और बीजेपी के खिलाफ ‘एंटी इनकमबेंसी’ बहुत ज्यादा है। परंतु 12 सितंबर को नामांकन की आखिरी तारीख है और इससे एक दिन पहले तक पूरा विपक्ष चार बड़े धड़ों में बंट गया है। ऐसे में बीजेपी को ‘वॉक ओवर’ मिलने की ज्यादा संभावना है। हालांकि जिस तरह से कांग्रेस को ‘जाटवाद’ और ‘किसानों’ के नाम पर सियासी जंग में बढ़त का भरोसा मिला है। उससे कांग्रेस नेताओं के तेवर चढ़े हुए हैं।
बता दें कि ‘कुरूक्षेत्र’ के सियासी संग्राम में पांच बड़े धड़े चुनाव में उतरे हैं। बीजेपी (BJP), कांग्रेस (Congress) और आम आदमी पार्टी (AAP) जहां अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP) यह चुनाव इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के साथ और जननायक जनता पार्टी (JJP) चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (ASP) के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। बीएसपी और एसपी का हरियाणा राज्य में बहुत ज्यादा नेटवर्क नहीं है। परंतु यह दोनों दल हजारों की संख्या में मतदाताओं को तोड़ने का काम कर सकती हैं।
दूसरी ओर बीजेपी ने अपने कई मंत्रियों और वर्तमान विधायकों के टिकट काटकर दूसरे नेताओं को दिये हैं। यही काम कांग्रेस ने भी किया है जिसकी वजह से दोनों ही दलों में नेताओं और टिकटार्थियों की आवाजी बनी रही है। यही हाल जेजेपी और आईएनएलडी का भी रहा है। परंतु जिस तरह से विपक्ष बिखरा हुआ है, उससे बीजेपी की इनकंमबेंसी का असर कुछ कम होने के आसार जरूर बन गये हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि हरियाणा के सियासी कुरूक्षेत्र के चुनावी नतीजों का ऊंट किस करवट बैठता है।