हम तुम्हे मारेंगे, और ज़रूर मारेंगे..

जगदीश ममगांई

हम तुम्हे मारेंगे, और ज़रूर मारेंगे.. लेकिन वो बंदूक भी हमारी होगी, गोली भी हमारी होगी और वक़्त भी हमारा होगा ”

वर्ष 1991 में आई फिल्म सौदागर में अभिनेता राजकुमार का यह एक चर्चित संवाद था। कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 कर्मियों की हत्या पर समूचा देशवासियों के गुस्से के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी रैली में फिल्म सौदागर की तर्ज पर कहा, ‘समय क्या हो, स्थान क्या हो और स्वरूप क्या हो’ कार्रवाई तय करने के लिए सुरक्षाबलों को सभी फैसले लेने की इजाजत दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झांसी की जनसभा में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं से आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को वोट देने और केंद्र में एक मजबूत सरकार सुनिश्चित करने का आग्रह किया। महाराष्ट्र के यवतमाल में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा “क्या आप मेरे द्वारा किए जा रहे कार्यों से खुश हैं, जो प्रयास मैं कर रहा हूं”। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार रैलियां कर रहे हैं, सरकारी रैली में लगे हाथों बीजेपी के लिए वोट भी मांग लेते हैं। जिस परिवार में शोक होता है चार दिन तो कम से कम कारोबार बंद रखते हैं, नया कार्य तो शुरू ही नहीं करते हैं। क्या सरकारी योजनाओं को बिना किसी समारोह, जनसभा, भाषणबाजी, वोट अपील के नहीं किया जा सकता था ? देश के प्रधानमंत्री ऐसे कृत्य को टालते तो बेहतर था, ऐसे समय कहीं विपक्ष इस प्रकार रैली कर वोट मांग रहा होता तो देशद्रोही का तमगा लग गया होता। पुलगामा की घटना से समूचा देश स्तब्ध है, अंतिम संस्कार के लिए शहीदों के पार्थिव शरीर उनके पैतृक स्थानों पर पहुंच गए हैं। काश प्रधानमंत्री मोदी इन अंतिम संस्कारो में शामिल होने के लिए रैलियों से वक्त निकाल पाते तो आमजन को शकून मिलता।
देश के 16 राज्यों में शहीद जवानों के पार्थिव शरीर पहुंचे हैं, अंतिम संस्कार में बढी संख्या में देशवासी शामिल हुए। उत्तर प्रदेश के 12, राजस्थान के 5, पंजाब के 4, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, बिहार व पश्चिम बंगाल के 2-2, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल व मध्य प्रदेश के 1-1 जवान शहीद हुए हैं। पुलवामा में हुए नृशंस आतंकवादी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के ज्यादातर जवानों के शव उनके गृहनगर पहुंच गए और हजारों लोग अंतिम संस्कार में शामिल हुए। शहीद परिवार के सदस्यों के विलाप करने पर दिल दहला देने वाले दृश्य देखे गए। अंतिम सम्मान में शामिल ग्रामीणों ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। शहीदों के परिवार व सहयोगियों में केन्द्र सरकार के प्रति तल्खी है, यह सार्वजनिक रूप से प्रकट भी हो रही है। उनकी आँखों के आंसू सूखने से पहले भारत सरकार को हिसाब चुकता कर देना चाहिए …
उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में रहने वाले शहीद प्रदीप सिंह की पत्नी नीरज नरेंद्र मोदी सरकार से निराशा है, अपनी दो बेटी 10 वर्षीय सुप्रिया और 2 वर्षीय सोना के साथ पछाड खाती वह कहती हैं कि सुरक्षा बलों को मुक्त हाथ पहले ही क्यों नहीं दिया गया ? जवान के पिता सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर अमर सिंह ने कहा कि सरकार ने कभी भी जवानों के योगदान को महत्व नहीं दिया। सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में प्रचार किया लेकिन आतंकी गतिविधियां अभी भी हो रही हैं। प्रदीप यादव के पार्थिव शरीर को बड़ी बेटी सुप्रिया ने मुखाग्नि दी, मुखाग्नि देने के कुछ सेकेंड बाद सुप्रिया बेहोश होकर गिर पड़ी। सेना के जवानों ने उसे गोद में उठाया,चेहरे पर पानी की कुछ बूंदें डाली जिसके बाद उसे होश आया।                                                                                                                                                     ढाई वर्ष पूर्व सीमा पार जा सर्जिकल स्ट्राइक नरेन्द्र मोदी सरकार की दृढ इच्छाशक्ति बता केन्द्र सरकार प्रचारित कर वाहवाही लेती रही है तो अब कार्रवाई फौज पर क्यों छोड रहे हो, क्या फौज भारत सरकार के आदेश के बिना पाकिस्तान पर हमला कर सकती है ! 26/11 के नायक मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के पिता के उन्नीकृष्णन ने कहा कि भारत को खोखली चर्चाओं और “राजनीतिक सर्जिकल स्ट्राइक” के बजाय आतंकी हमलों को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई करने की जरूरत है। शहीद हुए वाराणसी के सीआरपीएफ जवान रमेश यादव के परिवार और प्रशासन के बीच में अंत्येष्टि को लेकर विवाद हो गया। शहीद रमेश के पिता आग्रह करते रहे कि उनका बड़ा बेटा राजेश यादव कर्नाटक से आ रहा है, वह अभी रास्ते में है, उसके आने के बाद अंतिम संस्कार करा लिजिएगा। लेकिन संवेदनहीन जिला प्रशासन जल्द से जल्द निपटाने के चलते पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए जबरन ले जाने लगा। स्थानीय ग्रामीण बिफर गए, जमकर इसका विरोध किया और पाकिस्तान मुर्दाबाद की जगह जिला प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगने लगे। शहीद सीआरपीएफ के पिता रतन ठाकुर के पिता, राम निरंजन ठाकुर ने कहा कि भारत माता की सेवा में एक बेटे की कुर्बानी दी है, पाकिस्तान को सख्त जवाब देने व बदला लेने के लिए अपने दूसरे बेटे का बलिदान करने में संकोच नहीं करेंगे। “यदि आवश्यक हो, तो मैं भी बंदूक उठाऊंगा और आतंकी हमलों के प्रायोजकों से दो-दो हाथ करूंगा”। यूपी के महाराजगंज जिले के हरपुर में पंकज त्रिपाठी के पिता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि हमें गर्व है कि बेटे ने मातृभूमि के लिए अपनी जान दे दी लेकिन सरकार को हमलावरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए, यह बात करने का समय नहीं है बदला लेने का समय है।
पंजाब से शहीद होने वालों में मोगा जिले के जयमल सिंह, तरनतारन के सुखजिंदर सिंह, गुरदासपुर के मनिंदर सिंह अत्री और रोपड़ के कुलविंदर सिंह हैं। उप-निरीक्षक जयमल सिंह का परिवार चाहता है कि केंद्र सरकार इस जघन्य हत्याकाँड पर मूकदर्शक न बनी रहे, सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि और अधिक सिपाहियों को जान न गंवानी पड़े। जयमल सिंह अपने बूढ़े माता-पिता, पत्नी, 10 साल के बेटे और एक छोटे भाई को छोड़ गए हैं। शहीद सुखजिंदर सिंह सात महीने के बेटे को छोड़ गए हैं, उनके परिवार के सदस्यों ने हमले पर अपना गुस्सा उतारा और मांग की कि केंद्र सरकार को इन मौतों का बदला लेना चाहिए और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को करारा जवाब देना चाहिए। पुलवामा हमले में मारे गए 30 वर्षीय सीआरपीएफ जवान देवरिया के विजय कुमार मौर्य के पिता रामायण मौर्य ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की बात की, उन्होंने कहा कि कार्रवाई इतनी मजबूत होनी चाहिए कि पाकिस्तान भविष्य में हमारे क्षेत्र में प्रवेश न करे और हमारे सैनिकों की तरफ आँख उठाने की हिम्मत न कर सके। विजय मौर्य की पत्नी ने कहा कि ऐसी घटनाएं होती रहती हैं, सरकार कभी कुछ नहीं करती है। बहुत से लोग अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं लेकिन 4-5 दिनों के बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है। पश्चिम बंगाल में बबलू संतरा का परिवार चाहता है कि हत्या का बदला लिया जाए और अपराधियों को ऐसा सबक सिखाया जाए कि वे भूल न पाएं। असम में कालाबारी गाँव में सीआरपीएफ हेड कांस्टेबल मानेश्वर बसुमतारी की बेटी की मांग है कि अपराधियों को मेरे पिता, हमारे जवानों को मारने की सजा मिलनी चाहिए।                                                                                                                              – जगदीश ममगांई