देना ही होगा मकान का किरायाः हाई कोर्ट

-एग्रीमेंट में लिखा होने पर ही मिल सकती है किराये से छूट
-मकान खाली करने पर भी किराएदार चुकाएं बकाया किराया

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि किराएदारों को कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान का किराया चुकाना ही होगा। किराएदार और मकान मालिक के बीच यदि कोई कांट्रेक्ट हुआ है और उसमें प्राकृतिक आपदा के समय किराए में छूट दिए जाने की बात लिखी है, तभी किराएदार को किराया देने से छूट मिल सकती है। लॉकडाउन के दौरान काम बंद होने की वजह से किसी को किराए में छूट मांगने का अधिकार नहीं है।

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कोरोना की वजह लॉकडाउन के दौरान लोगों का काम धंधा तो बंद था, इसके बाद उनके बीच तमाम तरक के कानूनी दांव-पेंच भी शुरू हो गए हैं। सबसे ज्यादा विवाद मकान मालिकों और किरायेदारों से जुड़े हुए सामने आ रहे हैं। इस मामले में र्दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने कोविड-19 महामारी में किराये से छूट और माफी की मांगों के निपटारे के लिए कुछ दिशानिर्देश तय किए हैं।

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जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने अपने फैसले में कहा कि मकान मालिक और किरायेदार के बीच का रिश्ता कई तरीकों का हो सकता है। ये रिश्ते या तो कॉन्ट्रैक्ट से बंधे होते हैं या कानून से। कॉन्ट्रैक्ट वाले मामलों में पक्षकारों के हक या अधिकार उसी कॉन्ट्रैकट की शर्तों और नियमों के आधार पर तय होंगे। किराये से माफी, छूट या रोक उससे संबंधित एग्रीमेंट की शर्तों के हिसाब से ही मिल सकता है।

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कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार किराए की देनदारी
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि कॉन्ट्रैक्ट में प्राकृतिक या अप्रत्याशित आपदा का क्लॉज या इसी तरह की कोई शर्त हो जो मासिक किराये के भुगतान से छूट की इजाजत देती हो, तो ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट के नियमों का पालन होना चाहिए। यदि कांट्रेक्ट में ऐसा नहीं है तो फिर उसमें लागू होने वाले कानून के आधार पर ही विवाद का निपटारा होगा।

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मकान खाली करने पर भी किराए का भुगतान
हाई कोर्ट ने साफ करते हुए कहा कि अप्रत्याशित आपदा का क्लॉज इंडियन कॉन्ट्रैक्ट ऐक्ट, 1872 के तहत मान्य है। मूल सिद्धांत यही है कि यदि कॉन्ट्रैक्ट में किराये से छूट की बात लिखी गई है तभी किसी किरायेदार को किराए से छूट का दावा करने का हक है। अगर वह आगे भी किरायेदार बने रहना चाहता है तो उसे मकान मालिक को उसके मासिक किराये का भुगतान करना ही होगा। यदि कोई मकान या दुकान को खाली करना चाहता है, तो भी बकाया किराये का भुगतान करना होगा।
खारिज की किरायेदारों की याचिका
दिल्ली हाई कोर्ट ने कुछ किरायेदारों की याचिका खारिज करते हुए यह फैसला दिया है। एडवोकेट तरूण राणा और अन्य के जरिए दायर याचिका में किराये से माफी, छूट या इसे आगे के लिए टाले जाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने खान मार्केट में एक डेंटिस्ट की प्रॉपर्टी में जूतों का स्टोर खोला हुआ है। लॉकडाउन की वजह से कारोबार पूरी तरह से बंद है। हाई कोर्ट ने पाया कि किरायेदारों को दुकान खाली करने का आदेश दिया जा चुका है। इसी मामले में याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।