-उर्मिला गंगवाल का नहीं चला सर्टिफिकेट तो बीजेपी से कैलाश को मिला टिकट?
-‘डील की फील’, दो पूर्व मोर्चा अध्यक्षों व वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी पर पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 17 दिसंबर।
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में विधानसभा चुनाव के टिकटों के बंटवारे को लेकर भारी नाराजगी है। शुक्रवार को जब मादीपुर (अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित) विधानसभा सीट पर एक महिला नेता का जाति प्रमाण पत्र मान्य नहीं हुआ तो पार्टी नेतृत्व ने उसके पति को टिकट थमा दिया। खास बात है कि इस सीट पर अनुसूचित जाति मोर्चा के एक पूर्व अध्यक्ष और इसी मोर्चे के एक वर्तमान अध्यक्ष के साथ एक पूर्व मेयर और कई अन्य वरिष्ठ नेता दावेदार हैं। ऐसे में स्थानीय कार्यकर्ताओं में पार्टी नेतृत्व के निर्णय पर दबी जुबान से ‘डील की फील’ जैसे सवाल उठाये जा रहे हैं। यहां तक कि इस सीट पर टिकट बंटवारे को लेकर स्थानीय कार्यकर्ताओं में ‘डील’ के गंभीर आरोपों वाली अफवाहें भी जोरों पर हैं। हालांकि महिला नेता के जाति प्रमाण पत्र की अमान्यता की बात अभी तक सवालों के घेरे में है।
दिल्ली बीजेपी की ओर से 11 जनवरी को जारी पार्टी उम्मीदवारों की दूसरी सूची में मादीपुर (सुरक्षित) विधानसभा सीट से पार्टी की दूसरी बार निगम पार्षद बनीं उर्मिला गंगवाल को उम्मीदवार घोषित किया गया था। सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को जब उर्मिला गंगवाल अपना नामांकन पत्र दाखिल करने पहुंची तो चुनाव अधिकारियों ने उनके जाति प्रमाण पत्र पर आपत्ति की। इसके पश्चात इसकी सूचना पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को दी गई तो वहां से उर्मिला के पति कैलाश गंगवाल को पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार बनाने का फरमान जारी कर दिया गया। इसके पश्चात शुक्रवार को कैलाश गंगवाल ने पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के बतौर अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है।
बताया जा रहा है कि इस सीट से अनुसूचित जाति मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष भूपेंद्र गोठवाल, दूसरी बार मोर्चा अध्यक्ष बनाये गये मोहन लाल गिहारा, राजकुमार फुलवारिया, दक्षिणी दिल्ली की पूर्व मेयर सुनीता कांगड़ा व कैलाश सांखला सहित कई अन्य वरिष्ठ नेता दावेदार थे। परंतु दिल्ली बीजेपी ने उर्मिला गंगवाल के स्थान पर उनके पति कैलाश गंगवाल को विधानसभा चुनाव का टिकट थमा दिया है। पार्टी में सवाल उठाये जा रहे हैं कि उर्मिला गंगवाल पहले से ही निगम पार्षद हैं तो उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट क्यों दिया गया? यदि किसी महिला को ही चुनाव लड़ाना था तो फिर उर्मिला की जगह दूसरी महिला को टिकट क्यों नहीं दिया गया? सवाल यह भी उठाये जा रहे हैं कि यदि किसी पुरूष नेता को ही चुनाव लड़ाना था तो पूर्व और वर्तमान मोर्चा अध्यक्षों व अन्य पूर्व वरिष्ठ पदाधिकारियों में से किसी को चुनाव क्यों नहीं लड़ाया गया?
निगम चुनाव में भी जताई थी नाराजगी, दो महीने तक बनाई थी कामकाज से दूरी
गौरतलब है कि मादीपुर इलाके के दिल्ली बीजेपी के कुछ पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने नगर निगम चुनाव के समय भी पार्टी के कामकाज से दूरी बना ली थी। नाराजगी केवल टिकट बंटवारे को लेकर बनी थी। उस समय अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सामान्य सीट पर पूर्व मेयर सुनीता कांग़ड़ा (महिला) को टिकट दिया गया था। जबकि किसी पुरूष नेता को टिकट दिया जा सकता था। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी की वजह से सुनीता कांगड़ा चुनाव हार गई थीं। अब विधानसभा चुनाव में भी पार्टी नेतृत्व ने इसी तरह का निर्णय लिया है, जिसको लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है। अब देखना यह है कि इस नाराजगी के बाद चुनावी नतीजों का ऊंट किस करवट बैठता है? इस मामले में दिल्ली बीजेपी के मीडिया प्रभारी प्रवीण शंकर कपूर ने बताया कि उर्मिला गंगवाल के स्थान पर उनके पति को टिकट दिया गया है, यह पार्टी का फैसला है।