दंगों के दौरान इलाके में ही था चांदबाग का गुनहगार!

-24 से 27 फरवरी तक चांदबाग में मिली मोबाइल फोन की लोकेशन
-कड़कड़डूमा कोर्ट ने 7 दिन की रिमांड पर भेजा आप पार्षद ताहिर

टीम एटूजैड/नई दिल्ली
चांदबाग का गुनहगार कौन? फिलहाल दिल्ली पुलिस इस बात की तलाश में जुटी है। लेकिन पुलिस की अब तक की तफ्तीश में सामने आया है कि आम आदमी पार्टी का निलंबित पार्षद व चांदबाग दंगों के गुनाहों का आरोपी ताहिर हुसैन हिंसा के दौरान 24 से 27 फरवरी के बीच दंगा प्रभावित चांदबाग इलाके में ही मौजूद था। सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब ताहिर को पुलिस ने उसके घर से दंगाईयों के बीच से रेस्क्यू करके निकालकर बाहर भेज दिया था, फिर वह चांदबाग-मुस्तफाबाद इलाके में क्या कर रहा था। पुलिस से जुड़े सूत्रों का यह भी कहना है कि ताहिर इस दौरान आम आदमी पार्टी के कई नेताओं के संपर्क में रहा।
शुरूआती दिनों में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी माना था कि उनके साथ ताहिर ने फोन पर बात की थी। फिलहाल कड़कड़डूमा कोर्ट ने ताहिर हुसैन को पूछताछ के लिए सात दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। मामले की जांच के लिए बनाई गई स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) ने पांच दंगाईयों की फोटो जारी की हैं।
बता दें कि चांदबाग में हुए दंगों के मास्टरमाइंड माने जा रहे और आईबीकर्मी अंकित शर्मा की हत्या के आरोपी ताहिर हुसैन ने गिरफ्तारी से पहले दावा किया था कि 24 फरवरी को खुद पुलिस ने उसे उसके चांदबाग स्थित घर से बाहर निकाला था। उसने खुद पुलिस को दंगाईयों द्वारा उसे घेरे जाने की शिकायत की थी। लेकिन अब जांच के दौरान चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। एसआईटी के एक अधिकारी के मुताबिक ताहिर के मोबाइल फोन की लोकेशन 24 से 27 फरवरी के बीच चांदबाग इलाके में ही पाई गई है।
27 फरवरी को चांदबाग दंगों के गुनाह का आरोपी व आप के तत्कालीन पार्षद की मोबाइल लोकेशन मुस्तफाबाद इलाके से बाहर पाई थी। 27 फरवरी को ताहिर की लोकेशन जाकिर नगर इलाके में पाई गई थी। लेकिन इसके बाद उसने अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया था। इसके बाद उसने अपना पुराना सिम कार्ड चालू कर लिया था। इस सिम कार्ड से ताहिर हुसैन ने आम आदमी पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं और अपने वकीलों से बात किए जाने की बात भी सामने आई है।
अब तक की जांच के दौरान यह बात भी सामने आई है कि चांदबाग दंगों के गुनाह का आरोपी ताहिर हुसैन ने केवल पीसीआर को फोन कॉल्स की थीं। हालांकि संख्या में बहुत ज्यादा कॉल्स होने की वजह से पुलिस वहां तक नहीं पहुंच पाई थी। बाद में पुलिस को पता चला था कि ताहिर हुसैन अपने घर से सुरक्षित निकल गए हैं। इसके बाद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। लेकिन ताहिर ने जिस तरह से दावा किया है कि पुलिस ने उसे सुरक्षित निकाला था। लेकिन ताहिर की मोबाइल लोकेशन उसी स्थान पर मिलने से आप के तत्कालीन पार्षद की बातों में झोल नजर आ रहा है।
गुरूवार को नॉर्थ ईस्ट जिले में हुए दंगों के आरोपी पार्षद ताहिर हुसैन की कड़कड़डूमा कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी। गुरुवार दोपहर करीब 2 बजे का समय था। अदालत परिसर में पैरा मिलिट्री फोर्स की तैनाती की गई थी। माना जा रहा था कि ताहिर सरेंडर करने आ सकता है। खबर फैली तो जिला जज की कोर्ट में वकीलों की भारी भीड़ जुट गई। खचाखच भरे कोर्ट रूम में करीब 2ः20 बजे जिला जज लंच के बाद अपनी सीट पर आए। कोर्ट से ताहिर हुसैन की आवाज लगी। लेकिन कोई नहीं आया तो जज ने 3 बजे तक के लिए सुनवाई टाल दी। इसी दौरान ताहिर ने राउज एवेन्यू कोर्ट में सरेंडर की अर्जी लगाई, जिसकी सुनवाई से कोर्ट ने इनकार कर दिया। इसके बाद स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने ताहिर को कोर्ट की पार्किंग से गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद एसआईटी उसे सनलाइट कॉलोनी के क्राइम ब्रांच के ऑफिस ले गई।
कड़कड़डूमा में आवाज, राउज एवेन्यू में सरेंडर!
चांदबाग के गुनाहों के आरोपी ताहिर हुसैन ने गिरफ्तारी से बचने के लिए गुरूवार को दो अदालतों में अग्रिम जमानत और सरेंडर के लिए याचिका दायर की थी। कड़कड़डूमा कोर्ट में ताहिर की चाचिका पर सुनवाई के लिए दो बार आवाज लगाई गई, लेकिन न ताहिर और ना ही उसका कोई वकील वहां पहुंचा। इस आधार पर कोर्ट ने याचिका को रद्द कर दिया। वहीं राउज एवेन्यू अदालत ने ताहिर की याचिका को इस आधार पर रद्द कर दिया कि उसके पास सुनवाई का अधिकार नहीं है। इसके बाद दिल्ली पुलिस की एसआईटी ने ताहिर को अदालत की पार्किंग से गिरफ्तार कर लिया।
अंकित की हत्या का आरोप
चांदबाग के गुनाहों के आरोपी ताहिर हुसैन पर आईबी में तैनात कांस्टेबल अंकित शर्मा की हत्या का आरोप भी लगाया गया है। उसके खिलाफ खजूरी खास और दयालपुर थानों में एफआईआर दर्ज की गई हैं। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के नाम पर हिंसा फैलाई गई थी। इसी दौरान चांद बाग की पुलिया के नाले से इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के अधिकारी अंकित शर्मा की डेडबॉडी 26 फरवरी को निकाली गई थी। दयालपुर थाने में दर्ज इस हत्याकांड में आप से सस्पेंड पार्षद ताहिर हुसैन वॉन्टेड चल रहा था। इसके अलावा पार्षद के खिलाफ दयालपुर थाने में हत्या के प्रयास, जबकि खजूरी खास थाने में आगजनी के दर्ज दो मुकदमों में भी ताहिर का नाम आ गया। वह इसके बाद से वह फरार चल रहा था। पुलिस की टीमें गिरफ्तारी के लिए दिल्ली से लेकर अमरोहा तक लगातार दबिश दे रही थीं।
टार्गेट किलिंग थी अंकित शर्मा की हत्या!
आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या मामले की चल रही जांच से यह संकेत मिल रहे हैं कि यह एक ’टार्गेट किलिंग’ थी। यानी अंकित को जानबूझकर निशाना बनाया गया था। सूत्रों का कहना है कि यह सिर्फ दंगे में हुई मौत का मामला नहीं है। पुलिस पूरे घटनाक्रम की कड़ी जोड़ रही है। अंकित 25 फरवरी को शाम 5 बजे के करीब ऑफिस से लौटे थे और अपने दोस्तों के साथ बाहर गए थे। उनके साथ उनका दोस्त कालू भी था और कुछ और लोग थे, जो कि पुलिया के एक तरफ खड़े थे। तभी दूसरी तरफ से पथराव हुआ और अंकित सामने ही खड़े थे।
प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया है कि अंकित को पत्थर लगा और वह गिर गए। इसके बाद दूसरी तरफ से तीन-चार लोग आए और उन्होंने अंकित को पकड़कर ले गए। इसके बाद अंकित को एक घर के अंदर ले जाया गया।
सुनसान इलाके में ले जाया
अंकित को किसी सुनसान जगह ले जाया गया जिसके बाद उसे किसी ने नहीं देखा। जहां उनके कपड़े उतारकर नृशंसता की गई। उनका शव फिर नाले में फेंक दिया गया। अगले दिन उनका शव नाले से मिला, वह सिर्फ अंडरगारमेंट में थे।। घटनाक्रम, प्रथम द्रष्टया मिली जानकारी, कुछ बयानों और डॉक्टरों की शुरुआती राय को देखते हुए आईबी का यह मानना है कि अंकित की हत्या किसी मकसद से की गई थी। आईबी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक घटनाक्रम संकेत देते हैं कि हत्यारे कुछ संदेश देना चाहते थे। हम जो देख रहे हैं यह उससे कहीं बड़ा है।
बांग्लादेशी अपराधियों पर नजर
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक एसआईटी अंकित को खींचकर ले जाने वाले शख्स की पहचान करने में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि इलाके के टेक्निकल सर्विलांस के आधार पर सबूत अकट्ठे किए जा रहे हैं। बांग्लादेशी अपराधियों के ग्रुप्स को भी ट्रेस किया जा रहा है। जिनका लोकेशन दंगों के दौरान वहां पाया गया था, ऐसे लोगों पर खास नजर रखी जा रही है।