दिग्विजय सिंह को चुकानी होगी कोरोना की सियासी कीमत

-कांग्रेस बदल सकती है मध्य प्रदेश में राज्यसभा की प्राथमिकता
-ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत का कांग्रेस में सियासी असर

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
देश भर के लोग कोरोना के कहर की कीमत चुका रहे हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को कोरोना की सियासी कीमत चुकानी पड़ सकती है। महामारी के चलते निर्वाचन आयोग ने राज्यसभा चुनाव टाल दिए है। लेकिन इसके चलते मध्य प्रदेश से कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार बने दिग्विजय िंसंह और फूल सिंह बरैया की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक 22 विधायक और मंत्रियों की बगावत के बाद राज्य में सियासी समीकरण बदल गए हैं। इसके चलते अब सबसे बड़ी चिंता अब कांग्रेस के दिग्विजय सिंह की है। उनके राज्यसभा में प्रवेश को रोकने के लिए विरोधी लॉबी सक्रिय हो गई है। बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के चलते कमलनाथ की सत्ता जा चुकी है और अब दिग्विजय सिंह की राज्यसभा सीट पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
सूत्रों के मुताबिक दिग्विजय सिंह के विरोधी गुट ने कांग्रेस आलाकमान को बताया है कि पार्टी को अब राज्यसभा चुनाव में फूल सिंह बरैया को अपनी प्राथमिकता देनी चाहिए। यदि बरैया राज्यसभा पहुंच जाते हैं तो इससे अनुसूचित जाति और आदिवासी समुदाय को साधने में मदद मिलेगी। इसका सियासी फायदा आने वाले चुनाव में मिल सकता है। वहीं, फूल सिंह बरैया ने कहा हे कि दिग्विजय सिंह का राज्यसभा में जाना ज्यादा जरूरी है।
बता दें कि सिंधिया की बगावत से पहले मध्य प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति ऐसी थी कि आसानी से तीन में से उसके दो सदस्य राज्यसभा में चुनकर जा सकते थे। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद गणित बिगड़ गया है। मौजूदा स्थिति के मुताबिक कांग्रेस अब केवल एक और बीजेपी को दो राज्यसभा सीटें मिलने की उम्मीद है।
निर्वाचन आयोग द्वारा तीन सीटों के लिए चुनाव कार्यक्रम घोषित करने के बाद कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को प्रथम वरीयता और फूल सिंह बरैया को दूसरी वरीयता के आधार पर नामांकन दाखिल करवाया था। लेकिन कोरोना के चलते देशभर में लॉकडाउन के चलते निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम रद्द कर दिया था। आने वाले दिनों में निर्वाचन आयोग फिर से चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करेगा। ऐसे में विरोधी गुट ने दिग्विजय सिंह को राज्यसभा में जाने से रोकने के लिए कोशिशें तेज कर दी हैं।
गौरतलब है कि कांग्रेस 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया है। इनमें से ज्यादातर ज्योतिरादित्य सिंधिया के ग्वालियर, दुर्ग और चंबल क्षेत्र के हैं। कांग्रेस की ओर से राज्यसभा उम्मीदवार फूल सिंह बरैया भी चंबल क्षेत्र से आते हैं। वह दलित समुदाय से हैं। यह पूरा इलाका ही दलित बहुल माना जाता हैं। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों से खाली हुई सीटों पर आने वाले दिनों में उपचुनाव होना है।
ऐसे में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह विरोधी लॉबी को मौका मिल गया है। यह लौबी कांग्रेस आलाकमान को इस क्षेत्र में दलित और आदिवासी वोटों के गणित को समझानरे में जुट गई है। माना जा रहा है कि इसके बाद फूल िंसंह बरैया को दिग्विजय सिंह की जगह वरीयता के आधार पर राज्यसभा में भेजा जा सकता है। वहीं पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता अखंड प्रताप सिंह ने कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व को पत्र लिखकर मांग की है कि फूल सिंह बरैया को राज्यसभा में भेजा जाए। इसके लिए सभी विधायकों को राज्यसभा चुनाव में फूल सिंह बरैया को प्रथम वरीयता के आधार पर वोट देने के लिए प्रेरित किया जाए।
फूल सिंह बरैया ने भी स्वीकार किया है कि पार्टी में इस तरह की चर्चा चल रही है। उनके राज्यसभा जाने से मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनावों में दलित-आदिवासी वोटों का फायदा होगा। उन्होंने कहा कि ‘‘पार्टी का जो भी निर्णय होगा उसे हम स्वीकार करेंगे, लेकिन मौजूदा राजनीतिक हालात में दिग्विजय सिंह का राज्यसभा जाना जरूरी है।
दिग्विजय सिंह कांग्रेस में लाए थे बरैया को
मध्य प्रदेश की सियासत में दिलचस्प बात यह है कि फूल सिंह बरैया को कांग्रेस में खुद दिग्विजय सिंह ही लेकर आए थे। फूल सिंह ने लोकसभा चुनावों के पहले कमलनाथ की मौजूदगी में अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस का दामन थामा था। बरैया इससे पहले बहुजन समाज पार्टी के साथ जुड़े रहे हैं। वह दलित वर्ग के नेता हैं और चंबल संभाल से आते हैं। लेकिन अब कांग्रेस की एक लॉबी बरैया के कंधों पर बंदूक रखकर दिग्विजय सिंह पर निशाना साध रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि मध्य प्रदेश कांग्रेस में चल रहे शह और मात के इस खेल में कौन बाजी मारता है।