दिल्ली हिंसा मामलाः चार राजद्रोही यूएपीए में जेल भेजे

-उमर खालिद, दानिश, मीरान हैदर, सफूरा जरगर के खिलाफ दर्ज हुईं एफआईआर
-दंगा फैलाने के आरोप में केंद्र सरकार ने की दंगाईयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में केंद्र सरकार ने दंगाईयों के सरगनाओं के खिलाफ केंद्र की मोदी सरकार ने सख्त कदम उठाया है।
सरकार ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नेता रहे उमर खालिद, भजनपुरा के रहने वाले दानिश, जामिया के छात्र मीरान हैदर औश्र छात्रा सफूरा जजरगर के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारियां की गई हैं।
दिल्ली के जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्र नेता रहे उमर खालिद और दानिश पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली इलाके में हुए दंगों को लेकर यूएपीए लगाया गया है। इससे पहले जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र और राष्ट्रीय जनता दल की युवा इकाई के नेता मीरान हैदर और जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी की मीडिया को-ऑर्डिनेटर सफूरा जरगर को भी दिल्ली दंगों की साजिश और दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया है। यह अभी न्यायिक हिरासत में हैं। मीरान हैदर पीएचडी का छात्र हैं और जरगर जामिया मिल्लिया इस्लामिया से एम.फिल कर रही हैं।
एफआईआर में कहा गया है कि खालिद उमर ने दो स्थानों पर भड़काऊ भाषण दिए थे और भारत में अल्पसंख्यकों का हाल कैसा है, यह बात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे के दौरान लोगों से सड़क पर उतरकर सड़कों को बंद करने के लिए कहा था। पुलिस का यह भी आरोप है कि दानिश को हिंसा में हिस्सा लेने के लिए दो जगहों पर लोगों को इकट्ठा करने की जिम्मेदारी सांपी गई थी।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया हिंसा और उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के मामले में निष्पक्ष तरीके से जांच की गई और वैज्ञानिक साक्ष्यों के विश्लेषण के बाद यह गिरफ्तारियां की गईं हैं। पिछले साल दिसंबर में पुलिस कथित तौर पर सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के हिंसक हो जाने के बाद जामिया परिसर में दाखिल हुई थी।
एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक इन लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 149 और 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। जांच के दौरान कुछ और तथ्य सामने आए हैं। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास) और 153ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुष्मनी को बढ़ावा देने) जैसी धाराओं को एफआईआर में जोड़ा गया है।
एफआईआर में दावा किया गया है कि इस साजिश में हथियार, पेट्रोल बम, तेजाब की बोतलें और पत्थर कई घरों में इकट्ठे किये गए थे। सह-आरोपी दानिश को दंगों में हिस्सा लेने के लिये दो जगहों पर लोगों को इकट्ठा करने की जिम्मेदारी सोंपी गई थी। इसमें कहा गया है कि महिलाओं और बच्चों से जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे की सड़क को 23 फरवरी को बंद कराया गया था, जिससे आसपास के लोगों में तनाव पैदा किया जा सके।
पीएफआई की भूमिका!
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के दो नताओं को शाहीनबाग-उत्तरपूर्वी दिल्ली हिंसा मामले में जांच के लिए गिरफ्तार किया था। जांच के दौरा मोहम्मद दानिश की भूमिका सामने आई है। उत्तरपूर्वी दिल्ली में दंगे भड़काने में दानिश का बड़ा हाथ है। आरोप है कि उसने दंगा भड़काने के लिए फंडिंग भी की थी और लोगों को दंगे भड़काने के लिए उकसाया था।
पांच दर्जन की गई जान, सैकड़ों घायल
बता दें कि इसी साल फरवरी महीने में उत्तर पूर्वी दिल्ली के करावल नगर, मुस्तफाबाद, यमुना विहार, गोकलपुरी, दुर्गापुरी, जाफराबाद, भजनपुरा, सीलमपुर, घोंडा, बाबरपुर और इनसे जुड़े इलाकों में भयंकर दंगे भड़के थे। इन दंगों में करीब पांच दर्जन लोगों की जान चली गई थी। इसके अलावा सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए थे। एक डीसीपी और एक एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे और पुलिस के एक जवान और खजूरी में रहने वाले अंकित शर्मा को दंगाईयों ने बड़ी बेरहमी के साथ हत्या कर दी थी। सैकड़ों की संख्या में वाहन और लोगों के घर जलाए गए थे।