दिल्लीः सीलिंग का कहर-ख्याला के कारोबारियों पर

ईमानदार कारोबारियों पर सरकार की टेढ़ी नजर
दिल्ली सरकार के प्रस्तावित औद्योगिक इलाके का हाल-बेहाल

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली के कारोबारियों पर सीलिंग कहर बनकर टूटी है। खास तौर पर ख्याला औद्योगिक क्षेत्र के कारोबारियों की मुश्किलें हर दिन बढ़ती जा रही हैं। दिल्ली के प्रस्तावित औद्योगिक इलाकों में अघोषित कर्फ्यू लगा है। रोजाना कुछ कारोबारियों के नाम के सीलिंग के नोटिस आ रहे हैं। नोटिस भी ऐसे लोगों के नाम जिन्हें कोई जानता नहीं, लेकिन जिस पते पर वह नोटिस आया है, यदि नहीं लिया गया तो पूरी बिल्डिंग सील होगी। जीहां ऐसा ही कुछ हाल दिल्ली के ख्याला इलाके का है। यहां के हजारों कारोबारी बेघर, बेराजगार और बेसहारा हो गए हैं। यहां धड़ाधड़ सीलिंग की कार्रवाई हो रही है लेकिन कारोबारियों की सुनने वाला कोई नहीं है। दिल्ली के कारोबारियों पर सीलिंग का कहर जारी है। उद्यमियों की परेशानी दूर करने के लिए न दिल्ली सरकार आगे आ रही है और ना ही केंद्र सरकार। कांग्रेस ने विरोध में थोड़ा हाथ-पैर मारे, लेकिन अब वह भी शांत हो गई है। लेकिन कारोबारी मुश्किल में हैं। यहां का कारोबार पूरी तरह से ठप ही नहीं बर्बाद हो चुका है।

नगर निगम कर रहा कार्रवाईः
भारतीय जनता पार्टी के नेता यह कहकर अपना पीछा छुड़ा रहे हैं कि यह कार्रवाई मॉनिटरिंग कमेटी के आदेश पर हो रही है। लेकिन नोटिस देने और सीलिंग की कार्रवाई दिल्ली के तीनों नगर निगम कर रहे हैं। बता दें कि तीनों निगमों में भाजपा सत्ता में है। केंद्र में भी भाजपा नीत गठबंधन की सरकार है। इसके बावजूद कारोबारियों को कोई राहत नहीं मिल पा रही।

अज्ञात लोगों के नाम पर नोटिसः
ख्याला इलाके में व्यापारिक इकाइयों की हो रही सीलिंग का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि यहां दक्षिणी दिल्ली नगर निगम अज्ञात लोगों के नाम पर नोटिस भेज रहा है। निगम के अधिकारियों के इससे कोई लेना-देना नहीं कि जिसके नाम पर नोटिस जारी किया गया है वह कारोबार कर रहा है या नहीं। यदि नोटिस बैरिंग लौट जाता है तो नगर निगम पूरी बिल्डिंग के खिलाफ सीलिंग की कार्रवाई करता है। इसलिए अपने कारोबार को कुछ दिन के लिए ही बचाने के लिए व्यापारी अज्ञात लोगों के नाम पर आए नोटिस भी लेने को मजबूर हैं।

बवाना और भोरगढ़ में फेल हुई ‘आप’ सरकार

प्रस्तावित इलाके में जंग लगी सुविधाएं

आम लोगों की सरकार होने का दम भरने वाली केजरीवाल सरकार औद्योगिक इकाईयों की सीलिंग के मामले में पूरी तरह से फेल साबित हुई है। प्रस्तावित औद्योगिक इलाकों के कारोरियों की औद्योगिक इकाईयों को बवाना और भोरगढ़ यानी बवाना-2 में शिफ्ट करने का फैसला किया गया था। लेकिन बवाना और भोरगढ़ इलाकों में लंबा समय गुजर जाने के बावजूद आम आदमी पार्टी की सरकार जरूरी सुविधाएं तक मुहैया नहीं करा पाई है। ऐसे में कारोबारियों के सामने मुश्किल यह है कि वह जाएं तो कहां?

मोदी सरकार भी न आई काम
‘सबका साथ, सबका विकास’ का दावा करने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार भी दिल्ली के उद्यमियों के आंसू पोंछने से पीछे हट गई है। भाजपा सरकार यदि चाहे तो ऑर्डिनेंस लाकर व्यापारियों को फौरी राहत दे सकती है। लेकिन केंद्र की बात तो दूर दिल्ली के भाजपा नेता भी इस विषय पर चर्चा करने से कतरा रहे हैं। बता दें कि साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार ऐसा ही कानून लाई थी औ दिल्ली के लाखों कारोबारियों को इस कानून के तहत अब तक राहत मिलती आ रही है।

भाजपा नेताओं का दिखावा, आप की चुप्पी
भाजपा नेता औद्योगिक इकाईयों की सीलिंग पर दिखावा करने में जुटे हैं। पिछले दिनों ख्याला इलाके में सीलिंग के विरोध में भाजपा नेताओं ने 19 नवंबर को बंद का ऐलान किया था, लेकिन पहले से ही उजाड़ हो चुके इस औद्योगिक इलाके में बंद जैसा कोइ माहौल नहीं दिखा। खास बात है कि यहां भाजपा-एसएडी के एक विधायक और भाजपा के एक सांसद सीलिंग के विरोध में दिखावा करने पहुंचे। लेकिन वह भी कारोबारियों को कोई राहत नहीं दिला सके।

कारोबारीः जाएं तो जाएं कहां?

कारोबारी जाएं तो जाएं कहां

कारोबारियों के सामने करो या मरो की स्थिति है। लेकिन उनकी समझ में नहीं आ रहा कि वह कहां जाएं। कारोबारी नेता संजीव अरोड़ा का कहना है कि दिल्ली सरकार बवाना और भोरगढ़ में ऐसी सविधाएं नहीं दे पाई कि वहां व्यापार खड़ा किया जा सके। खरीदारों, ग्राहकों और देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले व्यापारियों के लिए अब तक ऐसी व्यवस्थाएं नहीं हो पाईं कि कोई इस नई जगह पर आसानी से पहुंच सके। दिल्ली के छोटे-छोटे लाखों उद्यमियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अब भी उम्मीद है और उनका सवाल भी है कि उनके लिए अच्छे दिन कब आएंगे?