दिल्ली दंगे मामले में गोली चलाने वाले शाहरूख पर शिकंजा

-सलाखों के पीछे भेजा दंगाई शाहरूख को छिपाने वाला कैराना का कलीम
-350 पेज के आरोप पत्र में इश्तियाक सहित तीन पर दंगे भड़काने का आरोप

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
फरवरी महीने में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले में एक ओर जहां प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने पत्रकारों पर हुए हमलों पर संज्ञान लिया है। दूसरी ओर दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा भी दंगाईयों को बिलकुल बख्शने के मूड में नहीं है। दंगों के दौरान सरेआम गोली चलाने वाले शाहरूख और उसके दो साथी दंगाईयों के खिलाफ पुलिस ने शुक्रवार 1 मई को कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया।

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कड़कड़डूमा कोर्ट में 350 पेज के आरोप पत्र में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने शाहरुख पठान को मुख्य आरोपी बनाया गया है। उसकी फरारी के बाद उसे छिपाकर अपने घर में रखने वाले उसके दोस्त कलीम अहमद और दूसरे दश्तियाक मलिक को भी प्रमुख आरोपी बनाया गया है। कलीम उत्तर प्रदेश के कैराना का रहने वाला है।
कड़कड़डूमा कोर्ट में शुक्रवार को दायर आरोपपत्र में पुलिस ने शाहरुख को लेकर कई अहम खुलासे किए हैं। आरोप पत्र में कहा गया है कि 23 वर्षीय शाहरुख पठान जाफराबाद व मौजपुर में दंगे फैलाने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है। उसने खुद दो सरेआम गोलियां चलाई, और बंदूक लहराते हुए घंटों दूसरे दंगाइयों के साथ सड़क पर खुलेआम घूमता रहा।

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दिल्ली पुलिस ने शाहरूख के खिलाफ 26 फरवरी, 2020 को जाफरादबाद थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 186/ 353/307 के तहत एफआईआर संख्या 51 दर्ज की थी। दंगों का आरोपी शाहरूख 24 फरवरी 2020 को दंगे भड़ाकाने में प्रमुख रूप से शामिल था। उसने खुलेआम गोलियां चलाई थीं। केवल यही नहीं दंगाई ने जान से मारने के इरादे से कांस्टेबल दीपक दहिया पर पिस्तौल तान दी थी।
कलीम व इश्तियाक की प्रमुख भूमिका
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने आरोपपत्र में दंगाई शाहरूख के साथ अन्य दो आरोपियों कलीम अहमद व इश्तियाक मलिक को भी प्रमुख आरोपी बनाया है। आरोप पत्र में दोनों की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा गया है कि कलीम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना में रहता है। वह अच्छी तरह से जानता था कि शाहरुख ने कितने बड़े अपराध को अंजाम दिया है। इसके बावजूद कलीम ने उसे अपने घर में छिपाकर रखा। दिल्ली पुलिस उसको ढूंढूती रही और कलीम अपने घर में शाहरुख की खातिदारी करता रहा।

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आरोप पत्र में दूसरे दंगाई इश्तियाक मलिक के बारे में कहा गया है कि वह मौजपुर के पास घोंडा के अरविंद नगर में रहता है। शाहरूख जिस समय 24 फरवरी 2020 को सड़क पर उतर कर खुलेआम गोली चला रहा था तब इश्तियाक उसके साथ मौजूद था। वह भी दंगे भड़काने और पत्थरबाजी में शामिल था।
साक्ष्यों में सीसीटीवी फुटेज शामिल
दिल्ली पुलिस की ओर से कड़कड़डूमा कोर्ट में दाखिल किए गए आरोप पत्र में सीसीटीवी फुटेज को प्रमुख साक्ष्य बनाया है। आरोपपत्र में कहा गया है कि शाहरुख पठान व इश्तियाक मलिक दोनों ही एक साथ घटनास्थल पर मौजूद थे। घटनास्थल के आस-पास लगे दर्जनों कैमरों इसके साक्ष्य मौजूद हैं। दूसरी ओर लोगों ने अपनी छतों से जो वीडियो बनाए हैं, उनमें भी दोनों एक साथ मौजूद दिखाई दे रहे हैं।।
मीडिया फुटेज का इस्तेमाल
दिल्ली पुलिस ने सक्ष्यों के बतौर मीडिया फुटेज का भी इस्तमाल किया है। माना जा रहा है कि सीसीटीवी कैमरों की फुटेज व वीडियो के रूप में जो साक्ष्य दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में पेश किए हैं, इनसे आरोपियों की दंगों में सक्रिय भागीदारी साबित होती है। मीडिया द्वारा बनाई गई क्लीपिंग में शाहरुख दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल दीपक दहिया की छाती पर पिस्तौल तानते हुए साफ दिखाई दे रहा है। इसके अलावा इन दोनों आरोपियों के मोबाइल फोन की लोकेशन भी इनके खिलाफ पुख्ता साक्ष्य के तौर पर आरोपपत्र में शामिल की गई है।
दंगों में 3 मार्च को पहली गिरफ्तारी
उत्तर पूर्वी दिल्ली में 23 से 25 फरवरी तक हुए दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस ने शाहरुख के रूप में 3 मार्च 2020 को पहली गिरफ्तारी की थी। शाहरुख को गुप्त सूचना के आधार पर दिल्ली पुलिस की नारकोटिक्स सेल ने उत्तर प्रदेश के शामली बस अड्डे से गिरफ्तारर किया था। इसके बाद शाहरुख से पूछताछ के आधार पर कलीम और इश्तियाक की गिरफ्तारी की गई थी। तभी से दिल्ली की सड़कों पर दहशत फैलाने वाले यह आरोपी दहशतगर्द जेल की हवा खा रहे हैं।
आरोपी से पिस्टल और कारतूस बरामद
दिल्ली पुलिस ने इस मामले की जांच के दौरान आरोपी दहशतगर्द शाहरुख द्वारा कथित अपराध में प्रयोग की गई 7.65 एमएम की पिस्तौल (देसी कट्टा) और दो जिंदा कारतूस बरामद किए हैं। इन साक्ष्यों को फोरेंसिक जांच के लिए लैब में भेज दिया गया है। दिल्ली पुलिस ने कई मीडिया हाउस की क्लीपिंग को भी महत्वपूर्ण सबूत के तौर पर अदालत में पेश किया है। पुलिस ने आरोपपत्र में कहा है कि दंगों को फैलाने में शाहरुख की अहम भूमिका थी।
आरोपी दहशतगर्दों पर पुलिस ने लगाई निम्न धाराएं
दिल्ली पुलिस ने जांच के दौरान जानकारी में आई गतिविधियों के चलते एफआईआर में कुछ धाराएं और जोड़ी हैं। आरोपी दहशतगर्दों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 186 (सरकारी काम में बाधा पहुंचाना), धारा 353 (सरकारी कार्य पर तैनात कर्मचारी के साथ मारपीट व बदसलूकी करना), धारा 307 (हत्या प्रयास), धारा 147 (दंगे फैलाने के लिए दंड का प्रावधान), धारा 148 (खतरनाक हथियार के साथ दंगे फैलाना), धारा 149 (गैरकानूनी तरीके से एकत्रित प्रत्येक व्यक्ति दंगे फैलाने का आरोपी होगा, जोकि वहां मौके पर मौजूद पाया जाने पर सभी का मकसद एक ही माना जाना), धारा 216 (किसी ऐसे व्यक्ति को पनाह देना जिसका पता हो कि वह पुलिस की हिरासत से भाग कर आया है या फिर उसने ऐसा अपराध किया है, जिसमें उसकी गिरफ्तारी होने की संभावना) और धारा 25/27 हथियार अधिनियम के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया है।
दंगा मामले में गिरफ्तारियां जारी
फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले में गिरफ्तारियों का सिलसिला अब भी जारी है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अब तक दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया है। हाल ही में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के दो छात्रों एवं जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के छात्र नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। कई थानों की पुलिस अपने अपने यहां दर्ज अलग अलग एफआईआर के तहत मामलों की जांच में जुटी है।