-दिल्ली वालों को सता रहा डेंगू का डरः देवेन्द्र यादव
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली, 2 जून, 2025।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने कहा कि कोरोना की वापसी के बाद भी बीजेपी की दिल्ली सरकार राजधानी की ध्वस्त हो चुकी स्वास्थय व्यवस्था को सुधारने में बिलकुल भी संवेदनशील नही है। दिल्ली सरकार की नाकामी को देखते हुए बढ़ते कोरोना के कारण हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है, कि परिस्थितियों का सामना करने के लिए दिल्ली के अस्पताल कितने तैयार है? जबकि दिल्ली में बारिश के बाद डेंगू के 160 मामले दर्ज हुए जो पिछले पांच वर्षों के रिकॉर्ड में सबसे अधिक है, वहीं कोरोना का डर भी लोगां को सता रहा है।
देवेन्द्र यादव ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य दिवस पर जारी आंकड़ो के अनुसार राजधानी दिल्ली में हर दिन 20 नवजात शिशुओं की मौत हो रही है और यह अत्यंत भयावह है कि दिल्ली में पिछले वर्ष 7439 नवजात शिशु मौत की भेट चढ़ गए। उन्होंने कहा कि दिल्ली के अस्पतालों की वास्तविकता यह है कि आम आदमी पार्टी के शासन में हुए बदहाल अस्पतालों में सुधार करने में भाजपा सरकार कोई ध्यान नही देना चाहती। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित करके उसमें प्रधानमंत्री की फोटो लगाने पर ध्यान दे रही है और 100 दिनों में एक आरोग्य मंदिर का उद्घाटन करके भाजपा सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों के साथ-साथ निगम अस्पताल भी मरीजों का इलाज के उन्हें सुविधाएं देने में पूरी तरह असमर्थ पड़े है।
देवेन्द्र यादव ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस की आरटीआई सेल द्वारा दिल्ली सरकार के अस्पतालों, डिस्पेंसरियें व अन्य क्लीनिकों में रिक्त पदों की प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रबंधन क्षेत्र में ही 4 निदेशक, 6 अतिरिक्त निदेशक, 23 सीडीएमओ, 24 अतिरिक्त सीडीएमओ, 6 मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट मुख्यालय और जीडीएमओ/सीएमओ/एसएमओ के 1538 पद खाली है तथा इनके अतिरिक्त डाक्टर, नर्स, सहायक, पेरामेडिकल स्टॉफ, टेकनिकल स्टाफ और अस्पतालों में प्रशासनिक पदों पर 20264 पद खाली पड़े है। जब अस्पतालों में स्टॉफ की कमी है तो कैसे दिल्ली की स्वास्थ को कैसे दुरुस्त रखा जा सकता है।
देवेन्द्र यादव ने कहा कि स्वास्थ्य संबधी सीएजी रिपोर्ट के दिल्ली विधानसभा में सार्वजनिक होने पर दिल्ली के स्वास्थ्य क्षेत्र में भारी कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार, बुनियादी ढांचे की विफलता और कर्मचारियों की कमी को उजागर किया गया है। एक लाईन में कहा जाए तो जहां पिछली सरकार ने दिल्ली को बर्बाद कर दिया, उसे संभालने और दुरुस्त करने की दिशा में भाजपा की रेखा गुप्ता सरकार ने भी कुछ न करने का जैसे संकल्प ले रखा है। जबकि सीएजी रिपोर्ट अनुसार दिल्ली के 27 में से 14 अस्पतालों में आईसीयू सेवाएं नहीं। 16 अस्पतालों में ब्लड बैंक नहीं। 8 अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं। 15 अस्पतालों में शवगृह नहीं था। 12 अस्पतालों में एंबुलेंस सेवाएं नहीं थीं, जो थी वो खराब रूप से सुसज्जित एंबुलेंस, कई कैट्स एंबुलेंस में जीवन रक्षक उपकरण नहीं थे। दिल्ली के अस्पताल इतनी खामियों के साथ चल रहे है भाजपा सरकार ने 100 दिनों स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोई ठोस कदम नही उठाया है।
देवेन्द्र यादव ने कहा कि डबल इंजन की सरकार के बावजूद दिल्ली के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में जरुरी दवाएं तक नही है। एम्स, जीटीबी, दिल्ली कैंसर संस्थान, बुराड़ी सहित दिल्ली सरकार के बड़े अस्पतालों में जरुरी दवाओं, नेबुलाईजर जैसे उपकरण, टेबलेट नाडोसु और डुओलिन तक उपलब्ध नही है। डायलॉसिस के लिए फ्लूएडस, फिल्टर और ट्यूब तक गरीब और मध्यम वर्गीय मरीजों को बाहर से लेने पड़ रहे है। यह चौकाने वाला है कि दिल्ली कैंसर अस्पताल में 178 आवश्यक दवाओं में से 100 से अधिक दवाएं स्टॉक से बाहर है। जबकि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में अस्पतालों में हर बीमारी का इलाज मुफ्त किया जाता था।