हार पर भाजपा में रार… प्रदेश नेतृत्व पर लग रहे गंभीर आरोप

-पूर्व अध्यक्ष अमित शाह और अध्यक्ष जेपी नड़डा को भेजी शिकायत
-आत्म मंथन के नाम पर हार का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ने का आरोप

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली । 19 फरवरी, 2020
दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में रार बढ़ती जा रही है। पार्टी के ही कुछ नेताओं ने निवर्तमान अध्यक्ष अमित शाह और वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर प्रदेश नेतृत्व के ऊपर गंभीर आरोप लगाए हैं। बीजेपी शीर्ष नेतृत्व को पत्र लिखने वालों में कई स्थानीय चुनाव प्रभारी भी शामिल हैं।
एटूजैड न्यूज को मिले के पत्र में आरोप लगाया गया है कि प्रदेश नेतृत्व ने कई सीटों पर टिकट बांटने में मनमानी की। जिसकी वजह से जीती जा सकने वाली सीटों को भी बीजेपी हार गई। पत्र में कई नेताओं पर टिकट के लिए पैसे के लेन-देन का आरोप भी लगाया गया है। शिकायत के मुताबिक पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह और जेपी नड्डा के चुनाव प्रचार में सक्रिय रहने की वजह से वोट शेयर में बढ़ोतरी हो सकी। नहीं तो पार्टी इस बार फिर दो से तीन सीट पर ही सिमट जाती।
शीर्ष नेतृत्व को भेजी गई शिकायतों में कहा गया है कि आत्म मंथन के नाम पर प्रदेश के नेता केवल अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। कारण है कि पार्टी का कोई भी व्यक्ति प्रदेश नेतृत्व के सामने अपनी बात रख ही नहीं पा रहा है। पार्टी नेताओं की सलाह के बावजूद प्रदेश नेतृत्व ने नातो शीर्ष नेतृत्व के सामने दिल्ली की सही स्थिति रखी और नाही चुनाव की तैयारियों पर जोर दिया। खास बात है कि अपनी पसंद के पार्षदों और नेताओं को विधानसभा चुनाव लड़ाने के लिए प्रदेश नेतृत्व ने सारी सीमाएं लांघ दीं।
बीजेपी ने पहले मंडल, जिला और अन्य पदाधिकारियों से उम्मीदवारों के नाम मांगे थे। लेकिन दिए गए नामों के बजाय दूसरे लोगों को उम्मीदवार बना दिया गया। उत्तर-पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में एक पार्षछ अपने वार्ड में ही सबसे ज्यादा वोट से हार गया। जबकि दूसरे नेताजी, जो कि बड़ी बड़ी गाड़ियों में चलते हैं लेकिन उन्होंने चुनाव आयोग को दी गई जानकारी में अपनी सालाना आमदनी 2 लाख 95 हजार रूपये बताई है। इन नेताजी को प्रदेश नेतृत्व के साथ नजदीकी की वजह से ऐसी सीट से टिकट दे दिया गया जहां से ना तो नताजी ने मांगा था और ना ही रायशुमारी में उनका नाम उस सीट से भेजा गया था। सूत्रों का कहना है कि इन नेताजी का नाम तो किसी सीट से भेजा ही नहीं गया था।
शिकायतों में उम्मीदवारों के चयन पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि शुरू में जिन नियमों की चर्चा की गई थी बाद में उन सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया। दो या दो से ज्यादा बार हार चुके लोगों को भी पार्टी ने टिकट दे दिया, जिसकी वजह से बीजेपी बुरी तरह से हारी। पूरी चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि पार्टी केवल मोदी जी के नाम के भरोसे लगे रही। जबकि प्रदेश नेतृत्व को चुनाव जिताने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए थे।
बता दें कि बीजेपी नेताओं ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 44 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा किया था। जबकि चुनाव परिणामों में पार्टी का पूरी तरह से सफाया हो गया। आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर 70 में से 62 सीट जीतकर सरकार बनाई। जबकि बीजेपी 3 सीटों से बढ़कर केवल 8 सीट तक ही पहुंच पाई। पार्टी आम आदमी पार्टी की लहर में जीती मुस्तफाबाद सीट को भी इस बार हार गई।