-पदाधिकारियों की घोषणा के पश्चात उत्तर-पूर्वी जिला बीजेपी में मचा घमासान
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 6 नवंबर, 2023।
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व के द्वारा जिला पदाधिकारियों की घोषणा के बाद से ज्यादातर जिलों के कार्यकर्ताओं में बवाल मचा हुआ है। कार्यकर्ताओं का विरोध जिला में दो पार्षदों को पदाधिकारी बनाये जाने से लेकर पार्टी छोड़कर जाने वालों को जिम्मेदारी दिये जाने पर बवाल मचा हुआ है। खास बात है कि कोषाध्यक्ष के ऊपर पार्टी के कई लोग आरोप लगा रहे हैं कि वह एक बैंक का डिफाल्टर है।
बीजेपी पदाधिकारियों की घोषणा होने के बाद सबसे ज्यादा विरोध जिला कोषाध्यक्ष मनीष कसाना और दो महामंत्रियों गुलाब सिंह राठौर व सागर त्यागी के नाम को लेकर हो रहा है। इसके साथ ही जिला में मंत्री बनाई गई रजनी सोढ़ी के नाम को लेकर भी विरोध जताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि रजनी सोढ़ी बीजेपी छोड़कर आम आदमी पार्टी में चली गई थीं और पार्टी का जमकर विरोध किया था। केवल इतना ही नहीं बल्कि कांग्रेस से आये विनोद जायस को जिला में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी में चर्चा है कि पदाधिकारी बनाने के लिए जमकर लेन-देन हुआ है।
वहीं कोषाध्यक्ष मनीष कसाना के बारे में कहा जा रहा है कि वह बैंक डिफॉल्टर हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं के नाम पर बैंक मैनेजर के साथ मिलकर हेराफेरी की थी। इसके बारे में उत्तर पूर्वी जिला बीजेपी के कुछ कार्यकर्ताओं के द्वारा सोशल मीडिया पर जमकर खुलेआम विरोध जताया जा रहा है। वहीं महामंत्री गुलाब सिंह के नाम पर भी ‘खिला गुलाब’ के नाम पर सोशल मीडिया पर बहस जोरों पर है।
रायशुमारी के समय जिला अध्यक्ष ने जताया था विरोध
दिल्ली बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि जिस समय प्रदेश नेतृत्व के आदेश पर जिला पदाधिकारियों के नामों के लिए रायशुमारी की जा रही थी, तभी जिला अध्यक्ष पूनम चौहान ने इस पर अपना विरोध जता दिया था। उन्होंने यहां तक आरोप लगाये थे कि उनके ऊपर नाजायज दबाव बनाया जा रहा है। वह बीमारी का बहाना बनाकर रायशुमारी के दौरान सामने नहीं आई थीं, तब प्रदेश महामंत्री कमलजीत सहरावत को यह जिम्मेदारी दी गई थी।
AAP से BJP मे आये नेता ने दिया इस्तीफा
जिला पदाधिकारियों की सूची जारी होने के अगले ही दिन आम आदमी पार्टी से बीजेपी में आये सीपी शर्मा और उनकी पत्नी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे कहा कि वह 14 महीने से बीजेपी के लिए काम कर रहे थे। उन्हें बीजेपी ज्वॉइन करते समय भरोसा दिलाया गया था कि जिला में पदाधिकारी बनाया जायेगा। निगम चुनाव में टिकट देने का वादा भी किया गया था। लेकिन ना तो टिकट दिया और ना ही जिला में पदाधिकारी बनाया गया, इसलिए वह और उनकी पत्नी इस्तीफा दे रहे हैं।
केवल नाम की वजह से हो गए बदनाम
जिला कोषाध्यक्ष मनीष कसाना ने इस बारे में बताया कि उनके खिलाफ ऐसा कोई मामला नहीं है! इसी नाम का कोई और व्यक्ति है, जिसके खिलाफ इस तरह के बहुत से मामले हैं! बताया जा रहा है कि जिला कार्यकारिणी और कई पदाधिकारी ही अपने नए पदाधिकारियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान चला रहे हैं!
बता दें कि A2Z न्यूज़ मनीष कसाना के ऊपर लगे आरोपों का समर्थन नहीं करता है! परन्तु जिस तरह से बीजेपी कार्यकर्ता यदि उनके ऊपर झूठे आरोप लगा रहे हैं, तो उनके ऊपर आरोप लगा रहे है, उनके ऊपर भी कार्रवाई होनी चाहिए!