विधानसभा चुनाव… कांग्रेस ने तैयार किया पूर्वांचल कार्ड

-कीर्ति आजाद के बाद अब शत्रुघ्न सिन्हा को मैदान में उतारा
-जिला और ब्लॉक स्तर पर संगठन को सक्रिय करने की तैयारी

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/नई दिल्ली
राजधानी का सियासी पारा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। दिल्ली में प्रमुख रूप से भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस तीन राजनीतिक दल हैं। तीनों ही राजनीतिक दल इस बार विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल कार्ड के सहारे सियासी जंग जीतने की कोशिश में हैं। भाजपा ने पहले ही मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पूर्वांचली मतदाताओं को अपनी ओर करने की कोशिश की है। अब कांग्रेस भी दिल्ली में पूर्वांचल के नाम अपनी चुनावी नैया पार करने की तैयारी में है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने चुनाव में पूर्वांचल कार्ड खेलने की तैयारी कर ली है।
कांग्रेस ने दिल्ली में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सुभाष चोपड़ा को सोंपने के साथ ही पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद को अभियान समिति का अध्यक्ष बनाकर अपने पत्ते खोल दिए थे। अब कांग्रेस ने पूर्व सांसद और पटना से लोकसभा चुनाव हार चुके फिल्मी सितारे शत्रुघ्न सिन्हा को मैदान में उतार दिया है। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी आने वाले दिनों में पूर्वांचल के कई दूसरे नेताओं को भी दिल्ली में उतारने जा रही है। इसके साथ ही फिल्म, कला, खेल व ऐसे ही क्षेत्रों से जुड़े कुछ दूसरे लोगों को भी दिल्ली में पार्टी का काम सोंपा जाएगा।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस दिल्ली देहात, वैश्य और पंजाबी नेताओं की भरमार रही है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस दिल्ली के अधिकतर मुस्लिम मतदाताओं को भी अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब रही थी। अब से पहले तक कांग्रेस में महाबल मिश्रा पूर्वांचली लोगों का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। इसके चलते वह विधायक और सांसद बने। लेकिन 2013 और 2015 के विधानसभा चुनाव और 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल के मतदाताओं ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया। इसी के मद्देनजर अब कांग्रेस ने दिल्ली में अपनी खोई सियासी जमीन तलाशने के लिए नए सिरे से पूर्वांचल कार्ड खेलने की तैयारी की है।
25 सीटों पर है प्रभाव
पूर्वांचली नेताओं का दावा है कि दिल्ली में करीब 25 सीट पूर्वांचली मतदाताओं के प्रभाव वाली हैं। हालांकि पूर्वांचली मतदाताओं ने कभी किसी पार्टी के लिए एकतरफा वोट नहीं किया है। ज्यादातर अनियमित कालोनियों में पूर्वांचल के मतदाताओं का प्रभाव ज्यादा है। दिल्ली में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से आकर बड़ी तादाद में लोग बसे हैं। राजधानी में इन्हें पूर्वांचली कहा जाता है। दिल्ली में पूर्वांचल के मतदाताओं की तादाद करीब 30 लाख बताई जाती है।
आप में पूर्वांचल का प्रभावः
दिल्ली में सियासी बदलाव के मुद्दे को लेकर बनी आम आदमी पार्टी में पूर्वांचल के नेता खासी तादाद में हैं। इनमें से राज्यसभा सांसद संजय सिंह, दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय और पूर्व लोकसभा प्रत्याशी दिलीप पांडे के नाम प्रमुखता से लिए जा सकते हैं। इनके अलावा आम आदमी पार्टी में पूर्वांचल के कई अन्य नेता हैं, जिनके पास पार्टी की अहम जिम्मेदारियां हैं।
भाजपा में मनोज तिवारीः
भाजपा ने दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी पूर्वांचल से आने वाले मनोज तिवारी को पहले ही सोंप रखी है। पार्टी का पूर्वांचल के मतदाताओं पर खासा ध्यान है। छठ का पर्व हो या दूसरा कोई मौका, फिलहाल दिल्ली बीजेपी नेतृत्व का सारा ध्यान पूर्वांचल को इकट्ठा करने पर लगा है। हालांकि पिछले दिनों से दिल्ली के सियासी मैदान में बीजेपी में पूर्वांचली नेताओं के दो गुट नजर आ रहे हैं।