-कोर्ट ने की टिप्पणीः कभी भी चुनी हुई एमसीडी को अस्थिर कर सकते हैं उपराज्यपाल
एसएस ब्यूरो/नई दलि्लीः 17 मई, 2023।
दिल्ली नगर निगम (MCD) में 10 एल्डरमैन पार्षदों (Elder man Councilor) की नियुक्ति खतरे की तलवार लटक गई है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए फैसले को सुरक्षित रख लिया है। बुधवार को लगातार दूसरे दिन मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि ‘इस तरह तो उपराज्यपाल (LG) कभी भी चुनी हुई एमसीडी के सामने मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि एमसीडी की मालिक दिल्ली सरकार नहीं है। अतः दिल्ली सरकार का कोई आदेश नगर निगम में नहीं चल सकता।
शीर्ष अदालत ने आज तक के लिए सुनवाई को टाल दिया था और बुधवार को एक बार फिर इस मामले पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उप-राज्यपाल द्वारा नियुक्त किए गए 10 एल्डरमैन पार्षदों की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसले को सुरक्षति रख लिया है।
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी (AAP) ने उप-राज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से एमसीडी के लिए मनोनीत किये गये 10 एल्डरमैन पार्षदों की नियुक्ति को कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले की सुनवाई के दौरान मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील ने अपना पक्ष रखा था। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच कर रही है।
मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील ने कहा कि एमसीडी का प्रशासन दिल्ली सरकार के अंतर्गत नहीं आता है। जिन विषयों को 239एए के तहत दिल्ली सरकार को सौंपा गया है उनमें एमसीडी का मसला नहीं आता है। इसके बाद बेंच ने मामले की सुनवाई को बुधवार तक के लिए टाल दिया था। आज बुधवार को फिर दोनों पक्षों की दलीलों को सुना गया।
इस मामले में उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार एक्ट में 2019 में हुए बदलाव के बाद कानूनी स्थिति बदल चुकी है। इसके बाद एमसीडी एक्ट में हुए बदलावों के बाद एल्डरमैन मनोनीत करने का अधिकार दिल्ली के प्रशासक (उपराज्यपाल) के पास आ गया है।