हिंदूराव अस्पताल पर नहीं चला AAP की MAYOR का आदेश… जिस MS को सस्पेंड कर मीडिया में लूटी वाहवाही, वही संभाल रहे अस्पताल का काम

-हिंदूराव अस्पताल में कार्यरत कई संगठनों ने दी स्वास्थ्य सेवाएं ठप करने की धमकी
-मेयर और MCD प्रशासन आमने-सामने, होने जा रहा दिल्ली सरकार जैसा माहौल

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 7 दिसंबर, 2023।
इंद्रप्रस्थ के सियासी पटल पर ‘रबर स्टेंप’ का खिताब पा चुकीं दिल्ली की मेयर शैली ओबरॉय (Mayor Shally Ibroy) दिल्ली नगर निगम (MCD) के अधिकारियों पर अपना साम्राज्य स्थापित कर पाने में पूरी तरह से नाकामयाब साबित हुई हैं। इसे अनुभव की कमी कहें या फिर आंखें मूंदकर नेतृत्व के आदेशों के पीछे भागना कि शैली ओबरॉय के पास मेयर का पद होने के बावजूद उनका आदेश उन्हीं के वार्ड में जूनियर इंजीनियर तक मानने को तैयार नहीं हैं। हालांकि ताजा मामला दिल्ली नगर निगम के सबसे बड़े हिंदू राव अस्पताल से जुड़ा हुआ है। यहां मयर शैली ओबरॉय ने जिस एमएस को तीन दिन पहले सस्पेंड किया था वह आज भी अपना काम बखूबी संभाल रहे हैं। खास बात यह है कि इस मामले में नगर निगम की ओर से कोई आधिकारिक आदेश आज तक जारी नहीं हुआ है और नगर निगम में कार्यरत कई संगठनों ने धमकी दे दी है कि मेयर की मनमानी पूरी करने के लिए यदि कोई एक्शन लिया गया तो अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर दी जायेंगी।
बता दें कि मेयर शैली ओबरॉय ने 4 दिसंबर को हिंदूराव अस्पातला का औचक दौरा किया था। उसी दिन अस्पताल के अंदर कई तरह की अनियमितताएं बताते हुए शैली ओबरॉय ने इस अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को सस्पेंड करने का मौखिक आदेश जारी कर दिया था। उन्होंने इसकी जानकारी अपने ट्विटर हैंडल जो कि अब एक्स बन गया है, पर भी दी थी। अगले दिन इस वाहवाही को लूटने के लिए प्रिंट मीडिया में एमएस के सस्पेंसन से संबंधित छपी खबरों को भी एक्स के जरिये अपलोड किया था। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिये यह घोषण भी की थी कि वह जल्दी ही फिर से हिंदूराव अस्पताल का दौरा करेंगी और दिये गये आदेशों के अनुपालन का जायजा लेंगी। लेकिन तीन दिन गुजर जाने के बाद भी उन्होंने अभी तक हिंदूराव अस्पताल की ओर पलट कर नहीं देखा है, क्योंकि उन्हें मालूम हो चुका है कि उनके आदेश यहां नहीं माने जाते।
दो दिन से निगम आयुक्त पर दबाव बनाने के लिए की जा रही बुलाने की कोशिश
सूत्रों का कहना है कि मेयर शैली ओबरॉय हिंदूराव अस्पताल के एमएस डॉ मुकेश कुमार को सस्पेंड करने के लिए पिछले दो दिनों से निगम आयुक्त श्रानेश भारती के ऊपर दबाव बनाने के लिए उन्हें अपने कार्यालय में बुलाने की कोशिश कर रही हैं। परंतु ज्ञानेश भारती लगातार उन्हें अपनी बैठकों का हवाल देकर टालते आ रहे हैं। दरअसल जिस तरह से आम आदमी पार्टी नेतृत्व के इशारे पर मेयर शैली ओबरॉय अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दूसरे मंत्रियों की तरह नगर निगम के अधिकारियों को धमकाकर अपने जायज से ज्यादा नाजायज काम कराना चाहती हैं, वह अब संभव नहीं रहा है और निगम अधिकारी ही इसके विरोध में आ गये हैं।
निगम में AAP की असफलता छुपाने का प्रयास
प्राप्त जानकारी के मुताबिक मेयर शैली ओबरॉय की यह पूरी कवायद हिंदू राव अस्पताल सहित निगम के दूसरे बड़े अस्पतालों की व्यवस्था पर सियासी कब्जे के लिए है। मेयर शैली ओबरॉय ने मेयर बनने के बाद से अब तक कभी भी यह घोषणा नहीं की कि निगम के अस्पतालों के लिए उनके कार्यकाल पहले से चली आ रही सुविधाओं और आबंटन से अलग क्या सुविधाएं और धनराशि आबंटित की गई है। शैली ओबरॉय ने अपने अब तक के कार्यकाल में कभी यह घोषणा भी नहीं की कि वह अपना पद संभालने के बाद से अब तक हिंदूराव अस्पताल के साथ ही निगम के दूसरे अस्पतालों के लिए अब तक दिल्ली सरकार से कौनसी सुविधा (धनराशि) लेकर आई हैं?
दरअसल दिल्ली नगर निगम की सत्ता में आने से पहले आम आदमी पार्टी दावा करती थी कि वह निगम की सत्ता में आने के बाद सारी परेशानियां खत्म कर देगी। परंतु निगम का चुनाव जीतने के बाद एक साल मे भी आम आदमी पार्टी नगर निगम की हाल सुधार नहीं पायी। अतः अब अलग अलग तरीकों से दिल्ली वालों का ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है।
स्थानीय AAP नेताओं के इशारे पर हुआ काम
सूत्रो का कहना है कि आम आदमी पार्टी के कुछ दलाल टाइप स्थानीय कार्यकर्ताओं के इशारे पर निगम के हिंदूराव अस्पताल के मेयर के दौरे का यह ड्रामा रचा गया था। यह लोग एमएस से मंथली बांधने के साथ कुछ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ड्यूटी से छूट दिलवाना चाहते थे। करीब 10 से 15 दिन के बीच एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को डॉ मुकेश कुमार ने अपनी ड्यूटी को सही ढंग से नहीं करने के लिए धमकाया था। तभी उसने बोल दिया था कि अगले महीने तक आप ही यहां नहीं नहीं रहोगे। बताया यह भी जा रहा है कि मेयर शैली ओबरॉय का भी इसमें व्यक्तिगत इंट्रेस्ट था। जिसकी वजह से उन्होंने अस्पताल का दौरा किया और केवल यहां के एमएस का ही सस्पेंसन किया, जबकि सस्पेंशन समस्या से संबंधित अधिकारी का किया जाता है।