-आप पार्षदों के बजाय निगम उपायुक्तों ने कराये वार्ड समितियों के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों के चुनाव
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 04 सिंतबर।
दिल्ली नगर निगम (MCD) के सियासी अखाड़े में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सामने आम आदमी पार्टी (AAP) बुरी तरह से लड़खड़ाकर गिरी है। वार्ड समितियों (Ward Committees) के चुनाव (Elections) टलवाने की जी तोड़ कोशिशों के बावजूद उपराज्यपाल (LG) ने आप पार्टी और मेयर (Myor) के अरमानों पर बुरी तरह से पानी फेर दिया। मेयर ने जब मंगलवार को चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति करने से मना कर दिया तो निगम आयुक्त ने आदेश जारी करते हुए जोन के उपायुक्तों को चुनाव अधिकारी नियुक्त करने का आदेश जारी करके बुधवार को वार्ड समितियों के चुनाव करवा दिये।
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी और मेयर शैली ओबरॉय ने पूरी कोशिश की थी कि किसी भी तरह से सभी 12 जोन के अध्यक्षों, उपाध्यक्षों और स्टेंडिंग कमेटी के एक-एक सदस्यों के चुनाव टल जायें। इसके लिए पहले कई आप नेता दिल्ली हाई कोर्ट भी गये थे, परंतु अगले दिन उन्होंने फटकार के डर से अपनी याचिका वापस ले ली थी।
इसके पश्चात मेयर शैली ओबरॉय ने निगम आयुक्त को पत्र लिखकर चुनाव की तारीख टलवाने और नई तारीख की घोषणा करने के लिए पत्र लिखा था। परंतु उपराज्यपाल के आदेश पर निगम आयुक्त ने चुनाव अधिकारियों की घोषणा कर दी और आप नेताओं के इस चुनाव को टलवाने के सारे मनसूबे धरे के धरे रह गये। बताया जा रहा है कि बीजेपी की वार्ड समितियों में बढ़त को देखकर आप नेता डर गये थे। जिस तरह से 25 अगस्त को ‘ऑपरेशन लोटस’ के जरिये आप के 5 निगम पार्षद बीजेपी में शामिल हो गये थे, उसी के साथ बीजेपी को 12 में 7 वार्ड समितियों में बढ़ी हासिल हो गई थी। हालांकि अगले ही दिन आप के एक पार्षद ने घर वापसी कर ली थी, परंतु इसका चुनावी नतीजों पर असर नगण्य था। क्योंकि एक ही झटके में नरेला और सेंट्रल जोन पर बीजेपी का प्रभुत्व स्थापित हो गया था।
मेयर नॉमिनेट करती तो आप पार्षद कराते चुनाव
आप नेताओं की नासमझी और चालाकी वजह से वार्ड समितियों के चुनाव कराने का अधिकार सत्ताधारी पार्टी के हाथ से निकल गया। यदि समय रहते मेयर चुनाव अधिकारियों को मनोनीत कर देतीं तो यह चुनाव आप पार्षद कराते। परंतु आप नेताओं की अव्यवहारिक सोच की वजह से यह अधिकार सीधे उपराज्यपाल के हाथों में चला गया है। आप नेताओं को इसका आभास ही नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है, क्योंकि दिल्ली नगर निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब उपराज्यपाल के दिशानिर्देशन पर निगम आयुक्त ने बिना मेयर की मर्जी के सीधे प्रेसाइडिंग आफिसर्स को मनोनीत किया है।