-AAP नेताओं ने लगाए LG, केंद्र और BJP पर दिल्ली सरकार को साइड लाइन करने के आरोप
-BJP प्रवक्ता बोले: अब तक कहां थे शिक्षा पर अपनी पीठ ठोंकने वाले सरकार
जे. के. शुक्ला/ नई दिल्ली: 5 फरवरी, 2023।
दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में प्रिंसिपलों की नियुक्ति को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और (BJP) के बीच सियासी संग्राम छिड़ गया है। उपराज्यपाल (LG) के द्वारा 244 विद्यालयों में प्रधानाचार्यों की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए जाने के खिलाफ आप ने रविवार को अपने प्रवक्ताओं की फौज सियासी मैदान में उतार दी। आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज और आतिशी के साथ दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अलग अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दिल्ली के उपराज्यपाल, बीजेपी और केंद्र सरकार पर सरकारी नियुक्तियों को लेकर गंभीर आरोप लगाए। दूसरी ओर बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने भी पलवार करते हुए आप नेताओं की नीयत पर सवाल खड़े किए।
आप नेताओं ने कहा कि दिल्ली सरकार के सभी विभागों में कर्मचारियों की नियुक्ति उपराज्यपाल के जरिये की जाती हैं और दिल्ली के शिक्षा मंत्री तक को फ़ाइल नहीं दिखाई जाती। यहां तक कि विधानसभा सभा में पूछे गए सवालों के जवाब तक नहीं दिए जाते। दिल्ली सरकार ने 370 प्रिंसिपल्स की नियुक्ति के लिए मांग यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन को भेजी थी। लेकिन 244 प्रिंसिपल की नियुक्ति को ये कहकर रोक दिया कि ये रिक्तियां 5 साल से ज्यादा समय से खाली हैं और इनकी जरूरत की समीक्षा की जानी चाहिए।
दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं को जब भी कोई नया झूठ या भ्रम फैला कर राजनीतिक बवंडर खड़ा करना होता है तो वह उस एक विषय पर तीन चार नेताओं से प्रेस कांफ्रेंस करवाते हैं।
रविवार को फिर आम आदमी पार्टी ने स्कूल प्रिंसीपल नियुक्ति के मुद्दे पर विवाद खड़ा करने के लिए अपना वही पुराना तरीका अपनाया और उप मुख्य मंत्री मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज एवं सुश्री आतिशि से प्रेस कांफ्रेंस करवाईं।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा है कि सभी जानते हैं कि गत 8 साल से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लगभग 24000 टीचर्स एवं प्रिंसीपल के पद खाली पड़े हैं पर केजरीवाल सरकार ने उन्हें भरने की जगह स्कूलों में मेगा पे.टी.एम. एवं हैपीनैस क्लासों के आयोजन में ज्यादा ध्यान दिया।
अब जब उपराज्यपाल महोदय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए स्कूलों में 6100 टीचर्स एवं 126 प्रिंसीपलों की नियुक्ति की स्वीकृति दे दी तो बौखलाई आम आदमी पार्टी को लगा कि उपराज्यपाल के कदम से उनकी लापरवाही की पोल खुल गई है, अतः अब इन नियुक्ति की अच्छी खबर को दबाने के लिए शेष नियुक्तियों पर विवाद खड़ा करना प्रारम्भ कर दिया है।