-इसी साल नवंबर में होने हैं बिहार विधानसभा चुनाव
-जेपी नड्डा की कांफ्रेंंसिंग के बाद तेज हुई सियासत
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
कोरोना और लॉकडाउन के बीच बिहार की सियासत एक बार फिर से गरमा गई है। भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की बिहार बीजेपी कोर कमेटी के साथ कांफ्रेंसिंग के बाद से राज्य में सियासत और तेज हो गई है। दरअसल नवंबर 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सियासी दलों ने अभी से बिसात बिछाना शुरू कर दिया है। सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के नेताओं ने अपने जमीनी कार्यकर्ताटों के साथ संबंध बनाना शुरू कर दिया है।
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खास बात है कि महागठबंधन के घटक दलों ने कभी अलग-अलग तो कभी एक साथ बैठकर विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा शुरू कर दी है। चूंकि बिहार विधानसभा चुनाव में अब चंद महीनों का समय ही बचा है। ऐसे में कोई भी दल कोरोना महामारी के दौर में भी जनता से संपर्क और अपने विरोधी दलों की आलोचना को कोई भी मौका नहीं चूकना चाहता।
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बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने खुद प्रदेश से लेकर जिला, प्रखंड व पंचायत स्तर तक के प्रमुख नेताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सीधे संपर्क साधा है। कोरोना संकट के दौरान सरकार की ओर से किए जा रहे राहत कार्यों पर ग्रासरूट के कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया जा रहा है। इसके साथ ही चुनाव के मद्देनजर डिजिटल माध्यमों के जरिए जनता से जुड़ने का निर्देश दिया जा रहा है।
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बता दें कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को बिहार बीजेपी की कोर कमेटी के सादस्यों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की थी। इसके साथ ही उन्होंने सभी पदाधिकारियों को विधानसभा चुनाव की तैयारियों में अभी से जुट जाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद से ही प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संपर्क साधना शुरू कर दिया है। बूथ स्तर पर बनायी गयी सप्तर्शी कमेटी के साथ लगातार सम्पर्क शुरू हो गया है। इसी महीने के अंत में होने वाले पीएम के मन की बात सुनने के लिए इन्हीं सप्तऋषियों को जुटने के लिए कहा गया है।
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प्रवासी मजदूर बन रहे मुद्दा
लॉकडाउन के दौरान बिहार में विभिन्न राज्यों से लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूरों की वापसी जारी है। राज्य का कोई भी सियासी दल इन मजदूरों से जुड़ने का कोई भी मौका नहीं चूकना चाहता। एक ओर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और एनडीए गठबंधन के दूसरे नेता लगातार मजदूरों को राज्य में वापसी की व्यवस्था में जुटे हैं। दूसरी ओर प्रमुख विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं को राज्य में आने वाले मजदूरों का स्वागत करने और उन्हें पार्टी के साथ जोड़ने के आदेश दिए हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव में प्रवासी मजदूर चुनावी मुद्दा बन सकते हैं।
सोनिया की बैठक में महागठबंधन के नेता
शुक्रवार 22 मई को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सभी विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए महागठबंधन में शामिल हम के मुखिया जीतनराम मांझी, रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा और वीआईपी के मुकेश सहनी खासे सक्रिय दिखाई दिए। तीनों नेताओं ने हाल ही में तेजस्वी यादव से अलग एक बैठक की थी। शुक्रवार को कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के साथ हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में तेजस्वी यादव भी मौजूद रहे।
सोनिया को दी आंदोलन की सलाह
शुक्रवार को कांग्रेस प्रमुख की ओर से बुलाई गई बैठक में महागठबंधन के नेता जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और तेजस्वी यादव ने सोनिया गांधी को केंद्र की मोदी सरकार के फैसलों के खिलाफ आंदोलन की सलाह दी। इन नेताआें ने सोनिया गांधी को केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए कई सुझाव दिए। रालोसपा प्रमुख ने सुझावों को नहीं मानने पर आंदोलन की राह पकड़ने का भी आग्रह किया।
ऑनलाइन वोटिंग पर आरोप-प्रत्यारोप
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने पिछले दिनों सुझाव दिया था कि चुनाव के लिए ऑनलाइन वोटिंग पर भी विचार किया जाना चाहिए। उनके इस बयान पर भी सियासी युद्ध छिड़ गया है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने मोदी के बयान को बचकाना बताया है। दूसरी ओर जवाब में सुशील मोदी ने कहा है कि लाठी में तेल पिलाने वाले क्या समझेंगे ऑनलाइन चुनाव का पारदर्शी स्वरूप। खास बात है कि प्रवासी मजदूरों को प्रदेश वापस लाने और उनके लिए इंतजामों को लेकर भी हर दिन पक्ष और विपक्ष के बीच खींचतान बनी हुई है।