-उत्तरी दिल्ली निगम में अधिकारियों की मनमानी… निगम को आर्थिक नुकसान देने की तैयारी
-पी एंड आई विभाग में अनुभवहीन अधिकारी की मदद के लिए तीन लोगों की भर्ती की तैयारी
-वर्षा जोशी के बाद अतिरिक्त आयुक्त रश्मि सिंह के कंधों पर निगम की बदहाली का भार
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कुछ नए आए आईएएस अधिकारियों की लॉबिंग पूरे निगम को आर्थिक परेशानी में झोंक रही है। गिने-चुने चार-पांच अधिकारियों में हुई मलाईदार पदों की बंदरबांट के बाद अब काम का बोझ दूसरों के सिर पर डालने के लिए नए लोगों की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया है। जो काम केवल एक अधिकारी करता था, उस अधिकारी को हटाने के बाद नए अधिकारी ने चार्ज संभाल लिया है। लेकिन अब उस एक अधिकारी के काम की कमी को पूरा करने के लिए तीन नए लोगों को भर्ती किए जाने की तैयारी है।
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ऐसे बदलावों को लेकर नगर निगम में तूफान खड़ा हो गया है। सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के नेता भी निगम में आए कुछ ट्रेनी अधकारियों की कार्यप्रणाली से खफा हैं। मामला उत्तरी दिल्ली नगर निगम के प्रेस एवं सूचना विभाग से जुड़ा है। पूर्व निगम आयुक्त वर्षा जोशी ने इस विभाग के तत्कालीन निदेशक को हटाकर अपनी चहेती और पहले से ही कई दूसरे विभागों का अतिरिक्त भार संभाल रहीं इरा सिंघल को प्रेस एवं सूचना विभाग के निदेशक का पदभार भी दे दिया था। लेकिन इरा सिंघल यह भार संभाल नहीं पा रही हैं। जब से वह विभाग की निदेशक बनी हैं तब से अब तक विभाग की ओर से महज दो प्रेस रिलीज ही ईमेल के जरिए भिजवा पाई हैं। विभाग की हालत इतनी ज्यादा खस्ता हो गई है कि एक छोटे से मुद्दे की प्रेस रिलीज भी कई पेज की भेजी गई थी। इसके चलते लगातार राजनीतिक विंग के नेताओं की नाराजगी भी इन अधिकारियों के प्रति बढ़ती जा रही है।
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खास बात है कि प्रेस एवं सूचना विभाग की जिम्मेदारी उत्तरी दिल्ली नगर निगम में अतिरिक्त आयुक्त के बतौर रश्मि सिंह के पास है। बताया जा रहा है रश्मि सिंह ने इरा सिंघल की प्रेस एवं सूचना विभाग के निदेशक की नई कुर्सी बचाने के लिए विभाग में तीन नए लोग नियुक्त करने के लिए विज्ञापन जारी कर दिया है। इन पदों का कोड 11100, 11102 और 11110 रखा गया है। चर्चा है कि इन अधिकारियों ने अपने कुछ चहेतों को प्रेस एवं सूचना विभाग में तैनात करके व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया है। इन अधिकारियो के इस कदम से पहले से ही आर्थिक बदहाली की स्थिति में चल रहे उत्तरी दिल्ली नगर निगम पर तीन नए लोगों के वेतन का अतिरिक्त भार पड़ेगा।
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बता दें कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में अधिकारियों और कर्मचारियों को पहले ही तीन महीने का वेतन नहीं मिला है। इसको लेकर डीबीसी कर्मचारी, शिक्षक और स्वास्थ्य विभाग के कर्मी नाराजगी जता चुके हैं। एक ओर पूर्व कर्मचारियों को पेंशन नहीं मिल पा रही है और दूसरी ओर शीर्ष पदों पर कब्जा जमाए बैठे इन अधिकारियों की लॉबी अपने कुछ चहेतों का भार भी नगर निगम पर डालने पर तुली हैं।
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प्रेस एवं सूचना विभाग की नवनियुक्त निदेशक इरा सिंघल पत्रकारों को अपने नाम से काई सूचना नहीं देना चाहतीं। उन्होंने विभाग के निदेशक पद तो संभाल लिया है लेकिन वह पत्रकारों की खबरों से संबंधित वह काई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहतीं। हालांकि वह चाहती हैं कि सभी पत्रकार केवल वही लिखें जो वह लिखवाना चाहती हैं। जबकि प्रेस एवं सूचना विभाग के विभागाध्यक्ष की यह जिम्मेदारी होती है कि यदि वह विभाग से संबंधित कोई जानकारी दे रहा है तो या तो संबंधित अधिकारी का नाम कोट करने के लिए बताए या फिर उसका खुद का नाम कोट किया जाए। लेकिन उन्होंने सभी पत्रकारों को यह काम संभालते ही सख्त हिदायत दे दी है कि काई उनका नाम अपनी खबर में कोट नहीं करेगा।
अधिकारियों के ठेंगे पर सत्ता पक्ष के नेता
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर बाहर से आए चार-पांच अधिकारियों ने लॉबिंग के जरिए पदों की बंदरबांट कर ली है। इन्हीं पदों के अधिकारों के जरिए यह अधिकारी सत्ता पक्ष भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भी ठेंगा दिखा रहे हैं। प्रेस एवं सूचना विभाग में फेरबदल करने से पहले या फिर तीन लोगों की भर्ती निकालने के लिए महापौर, स्थायी समिति अध्यक्ष या नेता सदन को भरोसे में ही नहीं लिया गया। एक ओर निगम के नेता अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन दिलाने के लिए संघर्षरत हैं, दूसरी ओर यह अधिकारी उनके इस काम में सहयोग करने के बजाय निगम पर नया आर्थिक बोझ डालने के रास्ते खोज रहे हैं।
अधिकारियों के कामकाज पर होगा विचारः महापौर
उत्तरी दिल्ली के महापौर अवतार सिंह ने कहा कि जिस काम की जानकारी नहीं है वह हाथ में ही नहीं लेना चाहिए था। निगम में प्रेस एवं सूचना विभाग का काम अच्छा चल रहा था। लेकिन अधिकारियों ने सब उलटा कर दिया है। इस कोरोना संकट के समय में नए लोगों की भर्ती करने की जरूरत नहीं बल्कि पुराने अधिकारियों और कर्मचारियों को बकाया वेतन देने और उनके काम में सहयोग करने की जरूरत है। कमिश्नर हो, एडिशनल कमिश्नर हो या फिर डिप्टी कमिश्नर हों, सभी अधिकारियों का ध्यान निगम के काम पर होना चाहिए। किसी अपने खास लोगों को भर्ती करने या उसे फायदा पहुंचाने का नहीं। उन्होंने कहा फिलहाल 24 घंटे हमारी पूरी पार्टी, सभी कार्यकर्ता और हम खुद कोरोना संकट में लोगों की मदद के लिए लगे हैं। हब हम अधिकारियों के कामकाज पर ध्यान देंगे और उनके गलत कामों को रोकेंगे।
कम खर्च में अपना काम चलाने की जरूरतः जेपी
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के अध्यक्ष जयप्रकाश जेपी ने कहा कि नगर निगम को कम खर्च और सीमित साधनों में अपना काम चलाने की जरूरत है। प्रेस एवं सूचना विभाग का काम बहुत अच्छा चल रहा था। बिना निगम के नेताओं को भरोसे में लिए अधिकारियों ने मनमानी करके इस विभाग का भी सत्यानाश कर दिया है। यह मनमानी नहीं चलने दी जाएगी। जो काम एक अधिकारी कर रहा था, वह काम अब खुद नए अधिकारी को करना चाहिए। इसके लिए अलग से कोई भर्ती नहीं की जाएगी। इन अधिकारियों को नई भर्ती का खयाल छोड़कर पुराने कर्मचारियों को सेलरी दिलाने पर ध्यान देना चाहिए। संबंधित अधिकारी काम नहीं संभाल पा रही है तो तुरंत छोड़ देना चाहिए।
इनके काम से पता चल गया कि कितने सक्षम हैं अधिकारीः पंवार
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष सुरजीत सिंह पंवार ने कहा कि इनके चार दिन के काम से ही पता चल गया कि निगम के बाहर से आने वाले यह अधिकारी कितने सक्षम हैं? जो काम एक अधिकारी कर रहा था, उसी काम को अब चार लोग करेंगे। यह नहीं चलने दिया जाएगा। डेपुटेशन पर आने वाले यह अधिकारी इस तरह के कामों से नगर निगम को बरबाद कर रहे हैं। गिने-चुने अधिकारियों ने एडीशनल कमिश्नर से लेकर डिप्टी कमिश्नर और डायरेक्टर के कई-कई पद हथिया रखे हैं। इनसे कोई काम नहीं आता है, उसका उदाहरण इस बात से ही मिल जाता है कि डायरेक्टर की कुर्सी संभालते ही चार नए लोगों की जरूरत पड़ गई। ऐसे अधिकारियों को तुरंत यह पद छोड़ देना चाहिए। हम इन अधिकारियों की मनमानी का पूर्ण विरोध करते हैं।
ऐसे विभाग में भर्ती का क्या मतलब, जहां पहले ही काम ठीक था?: गोयल
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस दल के नेता मुकेश गोयल ने कहा कि प्रेस एवं सूचना विभाग का काम बाकी सभी विभागों के मुकाबले सबसे अच्छा चल रहा था। इन अधिकारियों ने मिलकर खराब कर दिया। जो काम एक अधिकारी कर रहा था, उसे खुद नए डायरेक्टर को कना चाहिए। इस विभाग में भर्ती की जरूरत नहीं है। एक ओर पुराने कर्मचारियों को तीन महीने से सेलरी नहीं मिली है। रिटायर्ड कर्मियों को पेंशन नहीं दी जा रही है और दूसरी ओर यह अधिकारी अपने चहेते लोगों की भर्ती करने जा रहे हैं। यह गलत है, हम इसका विरोध करते हैं। यह मनमानी नहीं चलने दी जाएगी। अधिकारियों को भर्ती करनी है तो सफाई कर्मचारियों की करें, मालियों की करें, बेलदारों की करें, जिनकी कमी की वजह से निगम का काम पिछड़ रहा है।
अनुभव रेवड़ियों की तरह नहीं बंटताः आप
अधिकारियों की चुप्पी
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के प्रेस एंव सूचना विभाग में हुए बिना-मतलब उलटफेर को लेकर शीर्ष अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। अतिरिक्त आयुक्त रश्मि सिंह और निदेशक प्रेस एवं सूचना से खबर के संबंध में जानकारी मांगी गई। लेकिन दोनों अधिकारियों में से कोई भी कुछ बताने के लिए सामने नहीं आया।