-कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से नाराज आलाकमान
-सिंधिया की बगावत के बाद कम हुई दोनों की हैसियत
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
मध्यप्रदेश कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। आने वाले दिनों में राज्य कांग्रेस पार्टी में बड़ी उठापटक की तैयारी हो रही है। राज्य में अपनी सरकार गंवाने के बाद कांग्रेस आलाकमान एमपी के नेताओं से नाराज है। खास तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के चलते राज्य में अपनी सरकार गंवाने के बाद आलाकमान की नजर में दिग्गजों की हैसियत घटी है।
पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कोरोना टास्क फोर्स बनाई है। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को इसमें नहीं रखा गया। पार्टी आलाकमान की ओर से प्रदेश के नेताओं की अनदेखी चौंकाने वाली है, खासकर ऐसे में जबकि मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ा है। मौतों के मामले में यह यह राज्य देश में दूसरे नंबर पर है।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि इन्हीं दोनों नेताओं की निजी महत्वाकांक्षाओं की वजह से कांग्रेस को मध्य प्रदेश में सरकार गंवानी पड़ी है। कांग्रेस आलाकमान ने इसके जरिए संदेश देने की कोशिश की है कि दूसरे नेता अपनी महत्वाकांक्षाओं को पीछे रखकर मिलजुलकर काम करें। गौरतलब है कि पिछले दिनों मध्य प्रदेश जैसी तनातनी की खबरें राजस्थान से भी आ रही थीं, लेकिन कोरोना महामारी फैलने के बाद से ऐसी खबरों पर विराम लगा है।
बता दें कि गांधी परिवार के साथ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की नजदीकियां पुरानी रही हैं। दूसरी ओर दिग्विजय सिंह का नाम अब भी मध्य प्रदेश के कद्दावर नेताओं में लिया जाता है। दोनों ही नेता काग्रेस की कई शीर्षस्तरीय पूर्व कमेटियों में शामिल रहे हैं। लेकिन सिंधिया की बगावत के बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की नजरों में दोनों की हैसियत कमजोर पड़ी है। लेकिन पार्टी आलाकमान की नजर में यही दोनों नेता मध्य प्रदेश में सरकार गंवाने के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि यही कारण है कि कांग्रेस नेतृत्व द्वारा इन्हें संगठन के काम से दूर रखा जा रहा है।
समय रहते नहीं हुई कोशिश
मध्य प्रदेश में 15 साल के बाद कांग्रेस की सरकार बनने की शुरूआत से ही मुख्यमंत्री कमलनाथ और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ज्यातिरादित्य सिंधिया के बीच सियासी घमासान शुरू हो गया था। सूत्र बताते हैं कि इस दौरान कमलनाथ गांधी परिवार के साथ अपनी नजदीकियों का फायदा उठाते रहे। पार्टी आलाकमान की ओर से कई बार राज्य की स्थिति के बारे में चर्चा की गई। लेकिन पहले कमलनाथ और बाद में दिग्विजय सिंह विधायकों के साथ तो बात करने की कोशिश करते रहे लेकिन किसी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बैठकर स्थिति को संभालने की कोशिश नहीं की।
सिंधिया को किया आलाकमान से दूर
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसियों ने पार्टी आलाकमान के सामने कभी सही स्थिति नहीं आने दी। ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्य में जिन मुद्दों को उठा रहे थे, सरकार में रहते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन मुद्दों को कभी गंभीरता से लिया ही नहीं। जिसके चलते ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस नेतृत्व के बीच की खाई लगातार बढ़ती चली गई। दूरियां इतनी बढ़ीं कि सिंधिया ने पार्टी को झटका देते हुए कांग्रेस नेतृत्व के पैरों के नीचे की जमीन ही खींच ली।
जा सकती है दिग्गी राजा की राज्यसभा सीट
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता जाने के बाद सियासी समीकरण बदल गए हैं। कोराना महामारी के काबू में आने के बाद राज्य में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होने हैं। भारतीय जनता पार्टी ने पहले ही ऐसा इंतजाम कर लिया है कि उसके दो उम्मीदवार राज्यसभा जा सकते हैं। लेकिन समीकरण बदलने के बाद दिग्विजय सिंह की सीट फंसती नजर आ रही है। कांग्रेस आलाकमान अपने द्वितीय वरीयता वाले पुराने उम्मीदवार फूल सिंह पवैया को प्रथम वरीयता दे सकती है। संख्या पर आधारित समीकरणों के अनुसार कांग्रेस का एक ही उम्मीदवार राज्यसभा में जा सकता है। ऐसे में दिग्विजय सिंह की राज्यसभा सीट जा सकती है।