-दल-बदल कानून का उल्लंघन करने पर एक दिन भी पद पर रहने का हक नहींः सुप्रीम कोर्ट
-पार्टी बदलकर दूसरी दलों में जाने वाले सांसदों, विधायकों के खिलाफ होगी तुरंत कार्रवाई
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
सियासी मौसम के अनुसार दल बदलने वालों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई सांसद या विधायक दल-बदल विरोधी कानून (10वीं अनुसूची) का उल्लंघन करता है तो उसे एक दिन भी अपने पद पर रहने का हक नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि लोकसभा या विधानसभा अध्यक्ष को मुनासिब समय में सदस्य की अयोग्यता पर फैसला करना चाहिए। अध्यक्ष को ऐसे मामलों को ज्यादा समय लंबित नहीं रखना चाहिए।
जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस वी रामा सुब्रमड्यम की पीठ ने विधायकों-सांसदों की अयोग्यता के मामले में स्पीकर की शक्तियों पर भी सख्त टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि संसद को अब इस पर भी विचार करना चाहिए कि क्या किसी स्पीकर को किसी सांसद या विधायक की अयोग्यता या सदस्यता पर फैसला लेने का अधिकार होना चाहिए? क्योंकि लोकसभा और विधानसभा के अध्यक्ष भी किसी न किसी राजनीतिक दल के ही होते हैं।
कोर्ट ने कहा कि संसद को इस प्रावधान में संशोधन पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। ऐसे मामलों की जांच के लिए स्वतंत्र इकाई बनानी चाहिए। क्यों न इसके लिए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में स्थायी ट्रिब्यूनल गठित किया जाए। जिससे ऐसे विवादों का जल्द व निष्पक्ष निपटारा किया जा सकेगा। इससे इस कानून के प्रावधान और कारगर हो जाएंगे जो लोकतंत्र की उचित कार्यपद्धति के लिए बेहद जरूरी हैं।
चार हफ्ते में किया जाए फैसला
बता दें कि कोर्ट ने यह सख्त टिप्पणी मणिपुर के भाजपा विधायक और वहां के वन व पर्यावरण मंत्री टी श्याम कुमार को अयोग्य ठहराने की मांग वाली कांग्रेस नेता केशाम मेघचंद्र सिंह की याचिका पर की। कोर्ट ने मणिपुर विधानसभा स्पीकर को कहा कि वह श्यामकुमार को अयोग्य ठहराने की याचिका पर चार हफ्ते में फैसला लें। पीठ ने कांग्रेस विधायक फजुर रहीम और के. मेघचंद्र से कहा, अगर स्पीकर चार हफ्ते में फैसला नहीं लेते तो वे फिर सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं।
कांग्रेस छोड़ थामा था भाजपा का दामन
कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीते टी श्यामकुमार भाजपा में शामिल होकर मंत्री बन गए थे। उन्हें अयोग्य ठहराने के लिए कांग्रेस नेताओं ने स्पीकर को याचिका दी थी। लेकिन अब तक इस पर निर्णय नहीं हो सका है। बता दें कि पिछले साल कर्नाटक में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। तब स्पीकर ने कांग्रेस और जेडीएस के 17 विधायकों को अयोग्य ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था। हालांकि अयोग्य ठहराए गए विधायकों को उपचुनाव लड़ने की अनुमति दे दी थी।