-न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था को मंदी से मुक्ति मिलेगी
-देश में सबसे अधिक न्यूनतम मजदूरी देने वाला राज्य दिल्ली
-70 साल में न्यूनतम मजदूरी में अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी
टीम एटूजेड/नई दिल्ली
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने राजधानी के निजी संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों और मजदूरों को वेतन में बढ़ोतरी का तोहफा दिया है। इसे बीते 70 साल के इतिहास में दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी में सबसे बड़ी बढ़ोतरी कहा जा रहा है। केजरीवाल सरकार के इस फैसले से 55 लाख कर्मचारियों व मजदूरों को लाभ होगा। दिल्ली सरकार ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी
कर दिया है।
ऐसा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद संभव हो पाया है। पहले दिल्ली सरकार के नोटिफिकेशन को दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इससे दिल्ली के 55 लाख कर्मचारियों और मजदूरों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम मजदूरी 4628 रूपये है। जबकि दिल्ली में यह अब सबसे ज्यादा 14842 रुपये हो गई है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मंदी और गरीबी से निपटने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। हमने शहर में काम करने वाले कर्मचारियों व मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के लिए पिछले पांच वर्षों में कड़ी मेहनत की है। उच्चतम न्यायालय ने हमारे न्यूनतम वेतन पर फैसला सुनाया है। मजदूरी नीति हमारे पांच साल के संघर्ष का परिणाम है। इस नीति से दिल्ली के 55 लाख कर्मचारियों व मजदूरों के वेतन में बढ़ोतरी हो जाएगी।
बढ़ेगी लोगों की परचेजिंग पॉवरः
सीएम ने कहा कि इससे इंडस्ट्री संचालक व व्यापारियों को भी फायदा होगा। पहले भले ही बोझ बढ़ेगा लेकिन इससे दिल्ली वालों की परचेजिंग पावर बढ़ेगी। इससे व्यापारियों का ज्यादा माल बिकेगा। जाहिर सी बात है कि इससे व्यापारियों को भी फायदा होगा। इससे बाजार में आर्थिक उत्पादन बढ़ेगा तो रोजगार भी बढ़ाएगा और इससे दिल्ली और देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
लंबे संघर्ष के बाद संभव हो सकाः
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी पर सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी पांच साल के संघर्ष का परिणाम है। हमने अप्रैल 2016 में न्यूनतम मजदूरी के लिए सरकार, मजदूरों और कई ट्रेडों और उद्योग संघों के सदस्यों के साथ एक न्यूनतम मजदूरी समिति बनाई थी। जिसे उपराज्यपाल ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि समिति बगैर इजाजत के बनी है। हमारे लाख निवेदन के बाद भी वह नहीं माने। हमने उपराज्यपाल से अनुमति लेकर फिर से कमेटी बनाई। जिसकी सिफारिशों को हमने लागू कर दिया। जिसके बाद व्यापार व उद्योग संघ दिल्ली उच्च न्यायालय चले गए। उच्च न्यायालय ने हमारे नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया। जिसके बाद हम सुप्रीम कोर्ट गए। कोर्ट ने आपत्ति करने वाले संघ को साथ लेकर चार माह में कमेटी बनाने को कहा। हमने चार माह में कमेटी बनाकर न्यूनतम मजदूरी तय की। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया। जिसके बाद हमने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। अब मजदूरों को बढ़ी हुई मजदूरी मिल सकेगी। यह वास्तव में, दिल्ली में गरीब लोगों के लिए एक बड़ी जीत है।
सख्ती से होगा फैसले का पालनः
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी नीति का ऑन-ग्राउंड कार्यान्वयन बहुत मुश्किल है। हमने नीति के कार्यान्वयन के संबंध में कई सकारात्मक कदम उठाए हैं। हमने सरकारी एजेंसियों से जुड़े ऐसे 1373 ठेकेदारों को हटा दिया जो न्यूनतम मजदूरी नहीं दे रहे थे। इसके अलावा हमने न्यूनतम मजदूरी के उल्लंघन की शिकायतों पर दो विशेष अभियान चलाए हैं। इसके तहत न्यूनतम मजदूरी न देने वाले 100 से अधिक लोगों और फर्मों पर केस दर्ज कराए गए हैं।
मजदूरों के नाम पर धोखाधड़ीः,
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि सरकार ने ऐसे 6 नियोक्ताओं के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले दर्ज कराए हैं।जो न्यूनतम मजदूरी नीति के अनुसार मजदूरी जमा करने के बाद बैंक से कर्मचारियों के नाम पर पैसे को अवैध तरीके से निकाल लेते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं इस नीति के खिलाफ खड़े व्यापारियों के संगठनों और अन्य लोगों से अनुरोध करता हूं कि अल्पावधि में आप महसूस कर सकते हैं कि आपकी लागत बढ़ रही है। लेकिन जब ये गरीब मजदूर बाजार से उत्पाद खरीदना शुरू कर देंगे तो अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। इससे आर्थिक मंदी दूर होगी। इसका लंबे समय में आपको बड़ा फायदा होगा।
8632 से बढ़कर 14842 हुआ वेतनः
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 2015 में सरकार बनने के समय दिल्ली में अकुशल मजदूरों को प्रति माह 8632 रुपये मिलते थे। यह अब बढ़कर 14842 रुपये प्रति माह हो गया है। दिल्ली सबसे ज्यादा न्यूनतम मजदूरी देने वाला राज्य बन गया है। दिल्ली सरकार ने अप्रैल और अक्टूबर के लिए डीए की बकाया राशि की अधिसूचना भी जारी की है। अकुशल श्रमिकों के लिए डीए को अप्रैल के लिए 478 रुपये और अक्टूबर के लिए 338 रुपये निर्धारित किया गया है।
दिल्ली सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन में की गई बढ़ोतरी
श्रेणी 2014 अब
अकुशल 8632 14842
अर्धकुशल 9542 16341
कुशल 10478 17991
नॉन मैट्रीकूलेट 9542 16341
मैट्रीकूलेट 10478 17991
ग्रेजुएट/ऊपर 11414 19572
डीए में की गई बढ़ोतरीः
डीए अप्रैल अक्टूबर
अकुशल 468 338
अर्धकुशल 520 364
कुशल 546 416
नॉन मैट्रीकूलेट 520 364
मैट्रीकूलेट 546 416
ग्रेजुएट/ऊपर 598 462
विभिन्न राज्यों के साथ न्यूनतम मजदूरी का आंकलनः
राज्य अकुशल अर्धकुशल कुशल
दिल्ली 14842 16341 17991
उत्तर प्रदेश 5750 6325 7085
हरियाणा 8827 9268 10218
गुजरात 8190 8398 8632
झारखंड 6495 6805 8970
1993 से ही दिल्ली रहा सबसे ज्यादा न्यूनतम वेतन देने वाला राज्यः
दिल्ली देश का ऐसा इकलौता राज्य रहा है जहां अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा न्यूनतम वेतन रहा है। 1993 से 1998 में दिल्ली में भाजपा सरकार के दौरान भी दिल्ली न्यूनतम वेतन देने वाले राज्यों में टॉप पर रहा। इसके पश्चात 0998 से 2013 तक तीन बान कांग्रेस का कार्यकाल रहा। इस दौरान स्वर्गीय शीला दीक्षित को 15 साल तक मुख्यमंत्री के तौर पर दिल्ली का नेतृत्व करने का मौका मिला। इस दौरान भी दिल्ली सबसे ज्यादा न्यूनतम वेतन देने वाला राज्य रहा। फरवरी 2015 में दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सरकार बनी। लेकिन इसके अगले साल ही न्यूनतम वेतन का मामला कोर्ट में चला गया। इसके पश्चात सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब दिल्ली में निजी संस्थानों, औद्योगिक इकाईयों में काम करने वालों के लिए केजरीवाल सरकार ने अधिसूचना जारी की है।