-डीबीसी कर्मियों को नहीं मिली तीन माह की सेलरी
-डीबीसी कर्मियों ने दी हड़ताल पर जाने की धमकी
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
खबर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम से है। एसडीएमसी की महापौर सुनीता कांगड़ा , नेता सदन कमलजीत सहरावत और स्थायी समिति अध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने घोषणा की कि यदि केजरीवाल सरकार ने जल और मच्छरजनित बीमारियों से निपटने के लिए तुरंत राशि जारी नहीं की तो वह आने वाले शुक्रवार को मुख्यमंत्री केजरीवाल के घर पर धरना देंगे। तीनों नेताओं ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार नगर निगम के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में डीबीसी कर्मियों का तीन माह का वेतन बकाया है और वह हड़ताल पर जाने की बात कर रहे हैं। केजरीवाल सरकार को तुरंत 49 करोड़ में से बकाया राशि जारी करनी चाहिए।
महापौर सुनीता कांगड़ा ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन पर भी निगम के नेताओं और दिल्ली वालों की अनदेखी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली वालों की समस्याओं से भरे पत्र को जैन ने देखना भी उचित नहीं समझा। सुनीता कांगड़ा ने बताया कि दिल्ली सरकार से दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने जल एवं मच्छरजनित बीमारियों से निजात के लिए 49 करोड़ रूपये की मांग की थी। लेकिन सरकार ने केवल 2 करोड़ 15 लाख रूपये की राशि ही जारी की है।
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की महापौर सुनीता कांगड़ा, स्थाई समिति अध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता और नेता सदन कमलजीत सहरावत ने शुक्रवार को मच्छरजनित बीमारियों पर नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार द्वारा फंड जारी नहीं किये जाने की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए निगम ने 49 करोड़ रु की मांग की थी जबकि 34 करोड़ 60 लाख आवंटित किए गए। दिल्ली सरकार ने केवल 2 करोड़ 15 लाख रु जारी किये हैं। उन्होंने कहा कि बरसात के दिनों में इन रोगों के प्रसार की आशंका बढ़ जाती है। इसे देखते हुए दिल्ली सरकार को निगम की मांग पर जनता के स्वास्थ्य हित में उदारतापूर्वक निर्णय लेना चाहिए।
डीबीसी कर्मियों ने हड़ताल की धमकीः
उन्होंने कहा कि 1175 डी.बी.सी कर्मचारी और 734 फील्ड वर्कर का मासिक वेतन 2 करोड़ 75 लाख रु बनता है। 2 करोड़ 15 लाख रु की राशि से इन कर्मचारियों को मुश्किल से एक महीने का वेतन दिया जा रहा है। अब भी उनका तीन माह का वेतन बकाया है। ये कर्मचारी वेतन नहीं दिये जाने को लेकर परेशान हैं और उन्होंने वेतन नहीं जारी किये जाने पर हड़ताल की धमकी दी है। महापौर ने कहा कि इन कर्मचारियों की हड़ताल से मच्छरजनित बीमारियों पर नियंत्रण करना कठिन हो जायेगा और अधिक से अधिक स्थानीय निवासी इन बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इसकी जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की होगी।
स्वास्थ्य मंत्री से मांगा मिलने का समयः
महापौर सुनीता कांगड़ा ने कहा कि हमने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात का समय मांगा है ताकि फंड की कमी का समाधान निकाला जा सके लेकिन उनकी तरफ से कुछ अनुकूल उŸार नहीं मिला। निगम लगातार फंड जारी करने की मांग कर रहा है। अगर एक सप्ताह में समुचित फंड जारी नहीं किये गए तो हमें मजबूरन मुख्यमंत्री निवास पर धरना देना होगा। उन्होंने कहा कि हम प्रत्येक विपरीत स्थिति में जनता की स्वास्थ्य आवश्यकताओं में कमी नहीं आने देंगे। भले ही इसके लिए हमें दिल्ली सरकार पर अधिक से अधिक दबाव डालना पड़े और इस मुद्दे को जनता के सामने ले जाना पड़ेगा।
निगम के पास जरूरी दवाओं का अभावः
स्थाई समिति अध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष मच्छरजनित बीमारियों पर काबू पाने के लिए दवाइयों और फॉगिंग करना भी संभव प्रतीत नहीं होता। उन्होंने कहा कि इन बीमारियों के मामले पिछले तीन वर्ष में बहुत कम रहे है जबकि इस वर्ष बढ़ने की आशंका है। इसका मुख्य कारण दिल्ली सरकार द्वारा की गई सड़कों और गलियों की खुदाई है। खुदाई के बाद गड्ढे नहीं भरे गए जिसकी वजह से मच्छरों का प्रजनन हो रहा है।
फंड कमी से नहीं हो पा रही जरूरी दवाओं की खरीदारीः
नेता सदन कमलजीत सहरावत ने कहा कि दवाओं का स्टॉक केवल दो-तीन महीने का बाकी है। फंड नहीं मिलने से दवाओं की खरीद नहीं की जा सकेगी। यह स्टॉक नियमित आवश्यकता के लिए है अगर दवाइयों की मांग बढ़ी तो यह पहले भी समाप्त हो सकता है। इसके अलावा इस मौसम में फॉगिंग की मांग भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए 53 करोड़ रु की मांग की गई थी जबकि दिल्ली सरकार ने इस मद के अंतर्गत एक रु भी जारी नहीं किया। उन्होंने कहा कि यह एसडीएमसी के निवासियों के जीवन के साथ खिलवाड़ है। श्रीमती सहरावत ने कहा कि दिल्ली सरकार को जनता के स्वास्थ्य के मामले में राजनीति के हटकर फैसले करने चाहिए।