छात्रवृत्ति के नाम पर 45 करोड़ का घोटाला

-समाज कल्याण विभाग के तत्कालीन उपनिदेशक समेत कई गिरफ्तार
-हरियाणा में मां-बेंटी ने लगाया अनुसूचित जाति की लड़कियों को चूना

टीम एटूजैड/ जींद (हरियाणा)
हरियाणा में पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति के नाम पर 45 करोड़ रूपये का घोटाला सामने आया है। मामले में चौपड़ा गार्डन से गिरफ्तार की गई मां-बेटी के अलावा विजिलेंस टीम ने तत्कालीन उपनिदेशक पानीपत निवासी रवींद्र सिंह सांगवान, जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय सोनीपत के लिपिक सुरेंद्र कुमार और रोहतक निवासी राहुल को भी गिरफ्तार किया है। पूछताछ में मां-बेटी व अन्य आरोपियों ने एससी, एसटी व पिछड़ा वर्ग के छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति योजना में 45 करोड़ 31 लाख रूपये का घोटाला करने की बात स्वीकार की है। माना जा रहा है कि आरोपियों के साथ पूछताछ में यमुनानगर में भी गिरोह से जुड़े अन्य तार खुल सकते है।
एसपी विजिलेंस मनबीर सिंह ने पांचों आरोपियों की गिरफ्तारी की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि पंचकूला विजिलेंस की टीम ने शुक्रवार को यमुनानगर के चोपड़ा गार्डन में रह रही पंजाब के डेराबस्सी निवासी गुरदेव कौर व उसकी बेटी कृतिका को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया था। इन दोनों आरोपियों ने यमुनानगर के एससी व बीसी वर्ग की 41 लड़कियों के राजस्थान के चुरू स्थित ओपीजेएस यूनिवर्सिटी में फर्जी एडमिशन दिखाकर करीब 25 लाख की छात्रवृति ले ली। इस दौरान आरोपियों ने उनके आधार कार्ड व बैंक खातों का मिसयूज कर घोटाला किया था।
रोहतक, हिसार और पंचकूला में दर्ज किए केस
एसपी विजिलेंस मनबीर सिंह के मुताबिक एससी/ एसटी व पिछड़ा वर्ग के छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृति योजना में 45 करोड़ 31 लाख का घोटाला सामने आया है। फर्जी एडमिशन और फर्जी आईडी लगाकर आरोपियों ने इस घोटाले को अंजाम दिया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। आरोपियों पर पंचकूला, हिसार और रोहतक के विजिलेंस थानों में मामले दर्ज किए गए हैं। मामले में पंचकूला से 89,61,372 रुपये, रोहतक से 23,06,92,273 रूपये और हिसार से 21,35,28,753 रूपये के घोटाले का खुलासा हुआ है। जोकि कुल मिलाकर 45,31,82,398 रूपये बैठता है।
एनजीओ के नाम पर घोटाला
शुक्रवार को पंचकूला विजिलेंस की टीम ने चोपड़ा गार्डन निवासी गुरदेव कौर व उनकी बेटी कृत्तिका को गिरफ्तार किया था। मां-बेटी एक एनजीओ चलाती हैं। इन्होंने राजस्थान के चुरू की ओपीजेएस युनिवर्सिटी से सांठगांठ कर 41 छात्राओं के एडमिशन दिखाए। इनकी छात्रवृत्ति के करीब 25 लाख रुपये हड़प लिए गए। जांच में यह भी सामने आया है कि इन्होंने जिन छात्राओं के आधार नंबर व दस्तावेज दिए थे, उन्हें कोई पैसा नहीं मिला। मां-बेटी ने इन छात्रों के दस्तावेज वहां जमा कराए, लेकिन मोबाइल नंबर अपना दिया। इसके जरिए ही यह घोटाला हुआ। शुक्रवार को दोनों मां-बेटी को विजिलेंस की टीम अपने साथ लेकर पंचकूला गई थी।
छात्राओं का दावा, नहीं की पढ़ाई
जींद शहर की कुल 41 लड़कियों को राजस्थान के ओपीजेएस विश्वविद्यालय चूरू में अलग-अलग कोर्सों में पढ़ाई दिखाकर छात्रवृत्ति ले ली गई। जबकि इन विद्यार्थियों ने बताया कि उन्होंने न तो कभी विश्वविद्यालय में पढ़ाई की और न ही कभी छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया। रिपोर्ट के अनुसार एससी वर्ग की 28 बालिकाओं को एक वर्ष का कप्यूटर कोर्स फ्री में करवाने की बात कहकर उनसे उनके दस्तावेज ले लिए थे। जून 2016 में गुरुदेव कौर, उसकी बेटी कृतिका व मयंक चौधरी ने रीटा के जरिए इन 28 लड़कियों के खाते खोलने के लिए फार्म स्वयं भरकर शहर के पंजाब नेशनल बैंक में खाते खुलवाए। इनके खाते खुलवाने के बाद सभी एटीएम गुरदेव कौर ने अपने पास ही रख लिए। कुछ दिनों बाद तीनों आरोपी आठ लड़कियों को ओपीजेएस यूनिवर्सिटी चुरू, राजस्थान लेकर पहुंचे। वहां उनसे एक फार्म पर हस्ताक्षर कराए गए। इसी दिन ये सभी वापस भी आ गए।
यूनीवर्सिटी ने किया पढ़ाने का दावा
जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि गांव खेड़ा में एससी वर्ग की करीब 30-32 लड़कियों को सिलाई सेंटर खोलने, सिलाई सिखाने और सिलाई मशीन देने का लालच देकर उनके दस्तावेज ले लिए गए थे। उन्हें छात्रवृत्ति दिलाने का झांसा भी दिया गया था। इन सभी के खाते सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक और पंजाब नेशनल बैंक यमुनानगर में खुलवाए गए। इसके बाद दस्तावेजों के आधार पर ओपीजेएस यूनिवर्सिटी चूरू में अलग-अलग कोर्स में दाखिला दिखाकर विभाग से छात्रवृत्ति ले ली गई। यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार से रिकॉर्ड मांगा गया तो वहां से बताया गया कि ये छात्राएं एक साल तक वहां पढ़ी हैं। जबकि जांच के दौरान लड़कियों ने दावा किया कि उन्होंने ऐसे किसी यूनिवर्सिटी में कोई कोर्स ही नहीं किया।
पहले भी विवादों में रही यूनीवर्सिटी
राजस्थान के चुरू में स्थिति ओपीजेएस यूनीवर्सिटी में हुए घोटाले से संबंधित यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी यह यूनीवर्सिटी कई बार सुर्खियों में रही है। अप्रैल 2018 में भी यहां से फर्जी डिग्रियों के काले धंधे का खुलासा हुआ था। तब यूनीवर्सिटी के चार कर्मियों को गिरफ्तार किया गया था। तब चारों आरोपियों दीपक, नवीन, अनिल और कृष्ण ने अपना अपराध कबूल कर लिया था। तब भिवानी एसआईटी को शिकायत मिली थी कि ओपीजेएस यूनीवर्सिटी में मोटा पैसा लेकर फर्जी डिग्रियां बेची जा रही हैं।