-पहलवानों को आस कुश्ती फेडरेशन के चुनाव होंगे खास
-लंबे समय से चले आ रहे विवाद के बाद 12 अगस्त को होने हैं चुनाव
विजय कुमार/ नई दिल्ली 23 जुलाई।
किसी ने सच ही कहा है परिवार से जब मुखिया का साया उठ जाता है तो परिवार छिन्न-भिन्न होने लगता है। इसका जीता जागता सबूत दिल्ली के इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कांप्लेक्स पर देखने को मिला। जहां एशियाई खेलों के लिए पहलवानों का चयन ट्रायल लिया जा रहा था। यूं तो माहौल एक-दो मौकों को छोड़कर बाकी सब शांति से निपट गया। लेकिन यह जरूर पता चल गया कि मुखिया का साया किसी भी परिवार के लिए कितना जरूरी है।
ट्रायल देने के लिए सुबह से ही 100 के करीब पहलवान और सैकड़ों में उनके समर्थन करने वाले कुश्ती प्रेमी इंदिरा गांधी स्टेडियम में पहुंच गए। जहां पहलवानों को अपने अपने ग्रुपों में पहला स्थान प्राप्त कर एशियाई खेलों में भाग लेने के लिए जाना था। बजरंग पूनिया के वजन 64 किलो में आशा के अनुरूप विशाल कालीरमन ने पहला स्थान प्राप्त किया।
मगर राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेता रवि दहिया को हार का सामना करना पड़ा। कुश्ती ट्रायल के दौरान कुश्तियों को लेकर जरूर हॉजपॉज का माहौल बना रहा। पदाधिकारी से लेकर पहलवान इधर उधर ही भटकते दिखाई दिए। यही नहीं अक्सर देखने को मिला कि कौनसा रैफरी किस मैट पर होगा इसकी जानकारी मिल ही नहीं पा रही थी। वैसे नियमों के अनुसार किसी भी रेफरी को किसी भी कुश्ती के लिए पहलवानों के मैट में पहुंचने से पहले पहुंचना होता है, लेकिन अक्सर देखने को मिला कि पहलवान तो मैट में पहुंच गए, मगर रेफरी गायब है।
कई बार तो लगातार माईक पर बोलने के उपरांत रेफरी नेट पर पहुंचते थे। दूसरा यह भी देखने को मिला, कि मामूली से अंतर में हारने वाले पहलवान जब प्रोटेस्ट करते थे, तो टेक्निकल कमेटी उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाती थी। टेक्निकल कमेटी का हर पदाधिकारी अपना अपना राग लेकर बयान बाजी देता दिखाई दिया।
यही नहीं कई बार तो इंडिया टीम के कोच या पूर्व कोच भी टेक्निकल कमेटी के पदाधिकारियों से बिगड़ते दिखाई दिए। उनका कहना था, कि वह लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहलवानों के साथ रहते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नियम लगातार बदल रहे हैं। जबकि हमारी टेक्निकल कमेटी पुराने नियमों पर ही पहलवानों पर हार जीत का फैसला थोप देती है। जिससे इतने बड़े चयन ट्रायल में पहलवानों और उनके कोचों का गरम होना जायज है।
दूसरी तरफ बजरंग पूनिया के वजन में प्रथम रहे विशाल कालीरमन ने कहा कि वह हाईकोर्ट से भले ही न्याय नहीं पा सके, लेकिन वह अब सुपीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वह किसी पहलवान के खिलाफ नहीं है, उनका तो केवल और केवल यही कहना है, कि जो जीते वही जाए। एशियन चैंपियनशिप के बाद वर्ल्ड चैंम्पियनशिप का भी ट्रायल जल्द ही होने वाला है। उनके माता-पिता भी कालीरमन की कुश्ती देखने के लिए आए हुए थे उन्होंने भी कालीरमन की इस बात पर मोहर लगाई।
उन्होंने कहा, कि प्रदर्शन के दौरान वह हिसार से लगातार दिल्ली आते थे। वह भी हमारे बच्चे है लेकिन यह गलत है कि वह बिना खेले जाएं और हमारे बच्चे एक ही दिन में 5-5 कुश्तियां लड़ें। हमारा सिर्फ यही कहना है कि जो बेस्ट हो वह देश के लिए जाए और पदक जीत कर आए। वैसे चयन ट्रायल के दौरान 12 पहलवानों को छोड़ दे, तो ज्यादातर पहलवान खुश नजर आए। इस पूरे प्रकरण में मजेदार बात यह रही, कि आईओए द्वारा बनाई गई तदर्थ कमेटी के सदस्य तो बहुत सारे लोग बन गए लेकिन जब पहलवान अपने इंसाफ की बात करता रहा, तो कमेटी के लोगों के पास जवाब देने के लिए कुछ नहीं था।
क्योंकि वह तकनीकी रूप से पहलवानी के बारे में जानते ही नहीं थे ।खुद कमेटी के सुप्रीमो बाजवा जी भी पहलवानों को संतुष्ट नहीं कर पाए। वह खुद दूसरे पहलवान को बोलते रहे, कि आप जाकर देख लीजिए। इससे साफ हो जाता है कि जिसका पिता नहीं होता उसके साथ क्या गुजरती है । एशियाई खेलों के लिए फ्री स्टाइल मैं चुने गए पहलवान इस प्रकार है अमन 57 किलो, विशाल काली रमन 65 किलो, यश 74 किलो ,दीपक पुनिया 86 किलो ,विक्की 97 किलो, और सुमित 125 किलो, ज्ञानेंद्र 60 किलो, नीरज 67 किलो, विकास 77 किलो ,सुनील कुमार 87 किलो, नरेंद्र चीमा 97 किलो, नवीन 130 किलो।