-शाहदरा दक्षिण जोन का मामला पहले नोटिस फिर लाखों की वसूली और फिर सील कर दिया गोदाम
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 09 मई, 2023।
दिल्ली नगर निगम (Municipal Corporation of Delhi) में सत्ता परिवर्तन के बावजूद कुछ नहीं बदला है। कुछ अधिकारियों की मनमानी की वजह से दिल्ली वालों को तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें निगम अधिकारियों पर लाखों की वसूली करने के बाद प्रॉपर्टी को सील करने के गंभीर आरोप लगे हैं। शाहदरा दक्षिण जोन के लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर और उसके सहयोगी दलाल पर चालान व सीलिंग के नाम पर डरा-धमका कर लाखों रूपये की वसूली के गंभीर आरोप लगे हैं। पीड़ित की शायद यही गलती थी कि वसूली के लिए आये लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर और उसके साथी दलाल को मुंह मांगी रकम नहीं दी थी।
निगम उपायुक्त को दी गई लिखित शिकायत के मुताबिक कृष्णा नगर निवासी संजय बंसल की यहां के ई ब्लॉक में दुकान है। उन्होंने अपने नाम से ही ग्राउंड एवं फर्स्ट फ्लोर के लिए नगर निगम से लाइसेंस भी ले रखा है। इसके बावजूद लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर ओम सिंह और दलाल राहुल गुप्ता उनकी दुकान पर गये और उनके कर्मचारी वैभव जैन के नाम से लाइसेंस नहीं होने के नाम पर चालान काट दिया और कर्मचारी से 2100 रूपये वसूल लिये।
इसके पश्चात 416/417/430 की धाराओं के तहत सीलिंग शोकॉज नोटिस थमा दिया। लेकिन चालान केवल 417/430 के तहत काटा गया था। इसके पश्चात यह दोनों पीड़ित से जुर्माने और मामले को रफा-दफा करने के नाम पर डेढ़ लाख रूपये और वसूल कर चले गये। इसके पश्चात 12.04.2023 को लाइसेंसिंग इंसपेक्टर ओम सिंह और राहुल गुप्ता अपने साथ महेंद्र नाम के व्यक्ति को लेकर पहुंचे और पीड़ित को बताया कि उसकी प्रॉपर्टी के सीलिंग के आदेश हो गये हैं। इसके साथ ही उन्होंने मामले को निपटाने के लिए एक लाख रूपये की और मांग कर दी। जब पीड़ित ने 1 लाख रूपये और नहीं दिये तो वह तीनों उसका ऑरिजिनल लाइसेंस लेकर चले गये।
इसके पश्चात महेंद्र नाम का व्यक्ति 20.04.2023 को फिर से पीड़ित के पास पहुचा और बताया कि संबंधित अधिकारी से बात हो गई है और 50 हजार रूपये की मांग रख दी। उसने यह भी बताया कि इंसपेक्टर ओम सिंह का ट्रांसफर हो गया है। जब उसे 50 हजार रूपये नहीं दिये गये तो वह प्रॉपर्टी को सील करने की धमकी देकर चला गया। इसके पश्चात वही लोग 26.04.2023 को पीड़ित के पास पहुंचे और प्रॉपर्टी को सील कर दिया। जब उनसे सीलिंग का कारण पूछा गया तो बताया गया कि पीड़ित के पास एमसीडी का लाइसेंस नहीं होने की वजह से यह कार्रवाई की गई है।
शिकायत में कहा गया है कि ओम सिंह ने 1 मई को पीड़ित संजय बंसल का पूराना ओरिजिनल लाइसेंस वापस किया और उसने 2 मई को अपना लाइसेंस फिर से रिन्यू भी करा लिया। लेकिन अब अपनी सीलिंग खुलवाने के लिए शाहदरा दक्षिण जोन के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
डराने के लिए दुकानदारों को भेजे जाते हैं फैक्ट्री लाइसेंसिंग की धाराओं को जोड़कर नोटिस
लाइसेंस होने के बावजूद जिस व्यक्ति की प्रॉपर्टी सील की गई है, वह दुकानदार है और इस प्रॉपर्टी में कोई फैक्ट्री नहीं चलाई जा रही है। इसके बावजूद संबंधित अधिकारियों ने शोकॉज नोटिस और सीलिंग के नोटिस में फैक्ट्री लाइसेंसिंग की धारा 416 को जोड़कर नोटिस भेजे जाते हैं। बताया जा रहा है कि ऐसा कुछ घूसखोर अधिकरियों के द्वारा आम लोगों को डराने के लिए किया जाता है।
मुझे याद नहीं आ रहा मामलाः ओम सिंह
उपरोक्त मामले में जब ओम सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मुझे इस मामले का ध्यान नहीं है। जबकि दोनों आरोपी कई बार पीड़ित की दुकान पर गये थे और उन्होंने ही चालान काटने के साथ ओरिजिनल लाइसेंस भी अपने पास रख लिया था। हालांकि दी गई तारीखों की प्रॉपर्टी के आस पास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से सब स्पष्ट हो जायेगा। वहीं जब राहुल गुप्ता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ‘उसे जोन में सभी अधिकारी जानते हैं। वह दलाल है और लोगों के ट्रेड वह हेल्थ विभाग के लाइसेंस बनवाता है।’ वहीं राहुल गुप्ता से संपर्क किया गया लेकिन उसने फोन नहीं उठाया।
अधिकारी हुए बेलगाम, लोगों का किया जा रहा शोषण
बीजेपी के नेता स्थानीय निगम पार्षद संदीप कपूर ने कहा कि हमें इस व्यक्ति ओम सिंह की शिकायतें मिली थीं तो हमने इसे अपने यहां से पिछले दिनों ही हटवाया है। नगर निगम के अधिकारी पूरी तरह से बेलगाम हो गये हैं। जनता का शोषण किया जा रहा है। जब दुकानदार के पास शॉप स्टेब्लिशमेंट का लाइसेंस था तो यह वरिष्ठ अधिकारियों की भी जिम्मेदारी थी कि उसकी दुकान सील करने से पहले अपने रिकॉर्ड को देखते। उन्होंने कहा कि अधिकारी छोटे-छोटे दुकानदारों को अलग अलग बहानों से परेशान कर रहे हैं। जोन और स्टेंडिंग कमेटी का गठन नहीं हो पाने की वजह से भी अधिकारियों पर कोई अंकुश नहीं है। हम कई बार निगम आयुक्त से मिलकर इस तरह के भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायत कर चुके हैं। इस तरह की घटनाओं के लिए वरिष्ठ अधिकारी पूरी तरह से जिम्मेदार हैं।