यज्ञ से होती वातावरण शुद्धि… दूर होती नकारात्मक ऊर्जा… बढ़ता सौभाग्य

-घर पर स्वयं भी विधि-विधान से कर सकते हैं हवन-यज्ञ
-एक बार हवन करने से एक सप्ताह तक रहता है प्रभाव

आचार्य रामगोपाल शुक्ल/ नई दिल्ली
यज्ञ कर्म एवं हवन वैदिक काल से प्रेरित कर्मकांडीय अनुष्ठान हैं, जो इस देश को प्राचीन ऋषियों की देन हैं और संसार को इस देश की। यह अपने आप में एक समग्र उपासना विधि है। यह भौतिक संसार के सर्जक और संसार की संचालक महाशक्तियों के प्रसन्न करने के लिए विकसित की गई है। युगों तक हमारे देश के आराधना संसार, जीवन व्यवहार और वायुमंडल को यज्ञों के द्वारा सुवासित करते रहे हैं। यज्ञ कर्म शास्त्रों के मुताबिक यज्ञ के द्वारा वातावरण यानी कि पर्यावरण की शुद्धि होती है। दूसरी ओर यज्ञ वाले स्थान या घर पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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यज्ञ या हवन एक निर्धारित विधि-विधान, प्रक्रियाओं, मंत्र-मालाओं से व्यवस्थाबद्ध एक अनुशासित उपासना विधि है। जिसे स्वयं या प्रक्रिया एवं मंत्रों के ज्ञाता पुरोहितों के द्वारा संपन्न कराया जाता है। गीता के चौथे अध्याय में कुछ लाक्षणिक यज्ञों की चर्चा की गई है। यज्ञों का यह संकेत मानसिक यज्ञों की ओर है, जो चिंतनशील बुद्धिजीवी लोगों के लिए उपयोगी है। गीता में यज्ञ के महत्व पर विस्त्रित चर्चा की गई है। औषधीय युक्त हवन सामग्री से हवन-यज्ञ करने से पर्यावरण शुद्ध होता है, वहीं वायरस का संक्रमण भी नष्ट हो जाता है। अनेक वैज्ञानिकों एवं धर्मगुरुओं ने कोरोना महामारी पर नियंत्रण पाने के लिए एवं वातावरण की शुद्धि के लिए हवन यज्ञ का अद्भुत लाभ बताया है।

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जिस स्थान पर हवन किया जाता है, वहां उपस्थित लोगों पर तो उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता ही है, साथ ही वातावरण में मौजूद रोगाणु और विषाणुओं के नष्ट होने से पर्यावरण भी शुद्ध होता है। यज्ञ के आयोजनों से शरीर स्वस्थ्य रहता है। क्योंकि हवन में काम में ली जाने वाली जड़ी बूटी युक्त हवन सामग्री, शुद्ध घी, पवित्र वृक्षों की लकड़ियां, कपूर आदि के जलने से उत्पन्न अग्नि और धुएं से वातावरण शुद्ध तो होता ही है, नकारात्मक शक्तियां भी दूर भागती हैं। माना जाता है कि एक बार हवन करने से घर को एक सप्ताह तक किसी प्रकार के वायरस से मुक्त रखा जा सकता है।

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यज्ञ-हवन कई प्रकार से किये जा सकते हैं। मुख्यतौर पर प्रातःकालीन हवन या सायंकालीन हवन का आयोजन किया जाता है। हवन वातावरण को शुद्ध करने के साथ खुद को भी ऊर्जा से संचारित करने का सबसे उपयुक्त माध्यम है। धर्म विज्ञान के अनुसार नवदुर्गा के पवित्र दिनों में वातावरण में एक पवित्र ऊर्जा का प्रवाह होता है। प्रतिदिन सुबह हवन की सुगंध चहुं ओर से जब उठती है तो एक सकारात्मकता ऊर्जा अपने आप मन मस्तिष्क को झंकृत कर देती है। हवन महज एक धार्मिक क्रिया नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। हवन या यज्ञ साधक के तन और मन को शुद्ध करता है। हवन के धुएं से प्राण में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। हवन के माध्यम से बीमारियों और विषाणुओं से छुटकारा पाने का जिक्र ऋग्वेद में भी है। हवन से हर प्रकार के 94 प्रतिशत जीवाणुओं का नाश होता है। घर की शुद्धि तथा सेहत के लिए हर घर में हवन किया जाना चाहिए। हवन के साथ मंत्रों का जाप करने से सकारात्मक ध्वनि तरंगित होती है।
हवन का धार्मिक महत्व
भारतीय परंपरा अथवा सनातन धर्म में यज्ञ-हवन शुद्धिकरण का एक कर्मकांड है। पुराणों के अनुसार कुंड में अग्नि के माध्यम से देवता के निकट हवि पहुंचाने की प्रक्रिया को ’यज्ञ’ कहते हैं। हवि, हव्य अथवा हविष्य वे पदार्थ हैं जिनकी अग्नि में आहुति दी जाती है। इससे देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और हवन सामग्री में शामिल जड़ी-बूटियों, घृत व अन्य दृव्यों के अग्नि के माध्यम से वातावरण में पहुंचने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
नोटः अगले आलेख में आपको बताएंगे यज्ञ करने की पूरी विधि और यज्ञ या हवन करने के लिए किन वस्तुओं की जरूरत होती है और किस तरह से कोई भी श्रद्धालु अपने घर पर ही यज्ञ कर सकते हैं। अगले आलेख में आपको यज्ञ में पढ़े जाने वाले मंत्रों के बारे में भी बतायेंगे।