-राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के बाद होगा यूपी-दिल्ली का फैसला
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 04 जुलाई।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में करीब ढाई साल की देरी हो चुकी है। लेकिन, अब जल्दी ही इसका फैसला सामने आने वाला है। माना जा रहा है कि इस महीने में केंद्र में सत्ताधारी दल को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा। क्योंकि, ज्यादातर राज्यों को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल चुका है और नई कार्यकारिणी तय हो चुकी है। चर्चा यह भी है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद उत्तर प्रदेश और दिल्ली के अध्यक्षों का फैसला भी किया जायेगा।
चर्चा है कि बीजेपी को पहली महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकती है। इसके लिए जो नाम सबसे ज्यादा सुर्खियों में है उनमें केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का नाम सबसे आगे है। ऐसा इसलिए क्योंकि निर्मला सीतारमण पीएम नरेंद्र मोदी की भरोसेमंद भी हैं और दक्षिण भारत से आती हैं। काफी पढ़ी-लिखी और कई भाषाओं की जानकार भी हैं।
दरअसल, केंद्र में पिछले 11 वर्षों से सत्ता पर काबिज बीजेपी इस बार बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है। इसी क्रम में पार्टी इस बार किसी महिला को बीजेपी की कमान सौंप सकती है। वुमन फैक्टर के चलते ही हाल में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव के बाद दिल्ली के सीएम पद की कमान महिला को सौंपी गई। इसीलिए आधी अबादी के फैक्टर को ध्यान में रखते हुए इस बार राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान भी पार्टी किसी महिला को सौंप सकती है। और इस नाम के लिए सबसे ज्यादा चर्चा निर्मला सीतारमण की ही हो रही है।
दक्षिण भारत में पैर पसारने पर जोर!
वित्त मंत्री के तौर पर कार्यरत निर्मला सीतारमण ने पार्टी में भी अपनी मजबूत पकड़ बना रखी है। केंद्र सरकार में भी काम करने का उनका लंबा अनुभव रहा है। हाल ही में बीजेपी मुख्यालय में उनकी जेपी नड्डा और पार्टी महासचिव बीएल संतोष के साथ मीटिंग भी हुई है। निर्मला सीतारमण का दक्षिण भारतीय होना भी एक बड़ा फैक्टर है। उनके अध्यक्ष बनने से पार्टी को दक्षिण भारत में विस्तार करने का रास्ता मिल सकता है।
ऐसा रहा है निर्मला सीतारमण का सियासी करियर
देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी जेएनयू से निर्मला सीतारमण ने इकोनॉमिक्स में एमफिल की डिग्री हासिल की। उन्होंने 2008 में बीजेपी में शामिल होकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 2010 में उन्हें वाकपटुता और आर्थिक मामलों की गहरी समझ होने के चलते राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया गया। उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दों पर पार्टी के पक्ष को मजबूती से रखा और एक प्रखर वक्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई। 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी बीजेपी सरकार में उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गईं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद होगा यूपी-दिल्ली का फैसला!
बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषण के बाद उत्तर प्रदेश और दिल्ली के अध्यक्षों की घोषण की जा सकती है। हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि उत्तर प्रदेश का फैसला पहले भी किया जा सकता है। क्योंकि यूपी में मुख्यमंत्री राजपूत बिरादरी से हैं, अतः प्रदेश अध्यक्ष के लिए एससी या ओबीसी वर्ग से किसी नेता को सामने लाया जा सकता है। इसी तरह दिल्ली में भी मुख्यमंत्री एवं विधानसभा अध्यक्ष सामान्य वर्ग से हैं और मेयर पंजाबी समुदाय से हैं। अतः पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में किसी एससी या ओबीसी नेता के नाम पर विचार कर सकती है।